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“अध्यात्म से आत्म” की प्राप्ति होती है: श्री गोपा वृन्दा पाला दासा

 

रायपुर। शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय रायपुर, में आयोजित इंडक्शन प्रोग्राम के पंचम दिवस की शुरुआत वीणापाणि माँ सरस्वती जी को पुष्पांजलि देकर तथा दीप प्रज्वलन के साथ हुई, छात्र आदित्य साहू ने सरस्वती वंदना गाकर ज्ञान की देवी को गीतांजलि दी।

मुख्य अतिथि एवं वक्ता श्री गोपा वृन्दा पाला दासा, के सम्मान में पौधा देकर कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत प्रोफेसर डॉ. एम. आर. खान (प्राचार्य जीईसी रायपुर ), प्रो. जी. आर साहू (वरिष्ठ प्राध्यापक) और प्रोफेसर डॉ. श्वेता चौबे (विभागाध्यक्ष, बेसिक साइंस) जी ने किया।

इसके पश्चात कार्यक्रम के प्रथम सत्र में श्री गोपा वृन्दा जी ने अपने वक्तव्य में बताया कि, “अध्यात्म से आत्म” को पाया जा सकता है, उन्होंने कहा कि, मनुष्य कर्म प्रधान है, अतः सुकर्म सुखद परिणाम देते हैं, और कुकर्म आपको दुखद । और विशेष बात यह है कि, कर्म करना हमारे हाथ की बात है, इसलिए सद्गुणों को सद्कर्मों में बदलें ।

स्वामीजी ने छात्रों को मानव बुद्धि को मापने के लिए उपयोग किए जाने वाले तीन मापदंडों अर्थात् इंटेलिजेंस कोशेंट, इमोशनल कोशेंट और सबसे महत्वपूर्ण रूप से स्पिरिचुअल कोशेंट से परिचित कराकर की।
उन्होंने बताया कि कैसे एसक्यू किसी की तर्कसंगत रूप से सोचने की क्षमता का माप है । स्वामीजी ने अपने तर्क का समर्थन करते हुए इस बात को रेखांकित किया कि किसी व्यक्ति में आध्यात्मिक बुद्धि मानव बुद्धि का प्राथमिक माप है, उन्होंने सांख्यिकीय रूप से साबित किया कि कैसे देशों के आर्थिक और औद्योगिक विकास के बावजूद, खुशी सूचकांक में भारी गिरावट आई है।विकसित देशों में भी आत्महत्या की दर, तलाक की दर, सांप्रदायिक हिंसा और आतंकवाद में बहुत वृद्धि हुई है।

स्वामीजी ने इस बात पर भी जोर दिया कि कैसे हम लोग खुद को केवल अपने भौतिक गुणों के माध्यम से पहचानते हैं, जबकि हम केवल अपने शरीर के मालिक हैं और जो चीज हमें मशीनों और निर्जीव सामग्रियों से अलग बनाती है, वह आत्मा की उपस्थिति है, जो शरीर में चेतना के रूप में व्याप्त है।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रो. जी. आर. साहू, वरिष्ठ प्राध्यापक एवं पूर्व-रजिस्ट्रार, स्वामी विवेकानंद स्वामी टेक्निकल यूनिवर्सिटी, ने अपने वक्तव्य में छात्रों को यूनिवर्सिटी के द्वारा परीक्षा की रूपरेखा, अंकों का विभाजन, उपस्थिति की महत्ता, आदि बताते हुए, कक्षा में नियमित रहने पर बल दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि, फैशन को पैशन से बदल देवें, और सतत रूप से प्रयासरत रहें, आप सफलतम व्यकितत्व को प्राप्त कर सकेंगे।
प्रो. (डॉ.) ए. के. दुबे, प्राचार्य, शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, जगदलपुर, की विशेष उपस्थिति रही, उन्होंने अपने उद्बोधन में छात्रों से कहा कि, शिक्षक ज्ञान का सागर होते हैं, जो अपने अर्जित ज्ञान को छात्रों को प्रदान करने हेतु हमेशा उपलब्ध होते हैं, मगर यह छात्रों को भी ध्यान में रखना है कि, आप बड़े पात्र लेकर ज्ञान लेने पहुंचे, ताकि पर्याप्त ज्ञान आप अपने लिए संजो सकें।

तीसरे सत्र में महाविद्यालय के छात्रों द्वारा संचालित CFC (कोड फ़ॉर कम्युनिटी) क्लब
ने प्रोग्रामिंग, और कंप्यूटर के भाषाओं की महत्ता और क्लब के द्वारा आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों से छात्रों को अवगत कराया।
कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर डॉ. एम.आर. खान (प्राचार्य, जीईसी रायपुर ) एवम प्रोफेसर डॉ. श्वेता चौबे (विभागाध्यक्ष, बेसिक साइंस एवं समन्वयक, इंडक्शन प्रोग्राम 23-24) ने स्मृतिचिन्ह प्रदान कर मुख्य वक्ताओं को सम्मानित किया ।

धन्यवाद ज्ञापन में डॉ.जी. आर. बंजारे ने उपस्थित अतिथियों, पदाधिकारियों, मुख्य वक्ताओं, पालकों, शिक्षकों, छात्रों, स्टाफ़ आदि को हृदय से आभार व्यक्त कर कार्यक्रम के अगले दिवस के गतिविधियों से अवगत कराया। कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी डॉ. अनिल माँझी एवं प्रशांत साहू ने मीडिया को जानकारी साझा करते हुए सूचना दी कि, उक्त कार्यक्रम प्रो. डॉ. एस. के. दबड़गाँव, प्रो. डॉ. एस. डी. दीवान, डॉ. रचना रस्तोगी, सुश्री शशिबाला किंडो, अनिल खत्री, डॉ. आर. एन. देवांगन, डॉ. आरती श्रीवास्तव, आशीष सिंह ठाकुर, आदि की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ ।

 

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