रायपुर. छत्तीसगढ़ के छोटे-बड़े उद्योगों को पिछले करीब तीन महीने से अलॉटेड लिंकेज कोयला सप्लाई नहीं किया जा रहा है. जिसके कारण अब कोयले की ब्लैक मार्केटिंग शुरू हो गई है.
वहीं दूसरी तरफ कोल इंडिया कोयला अधिक दाम पर बेचने के लिए ऑक्शन भी कर रहा है. लेकिन इसका सीधा असर सीमेंट सेक्टर, रोलिंग मिल, एल्यूमिनियम सेक्टर समेत तमाम सेक्टर्स पर हो रहा है, जिनके लिए कोयला उपयोगी है.
इस उद्योग से जुड़े एक उद्योगपति ने बताया कि देश का करीब 90 से 92 प्रतिशत कोयला पॉवर सेक्टर को सप्लाई होता है. बाकी का 8-10 प्रतिशत कोयला ही अन्य उद्योगों को जाता है. लेकिन वो सप्लाई भी बाधित कर दी गई है. यही कारण है कि जो व्यापारी कोयला ऑक्शन में खरीद रहा है वह महंगे दामों पर पुनः बेच ब्लैक मार्केटिंग कर रहा है.
सूत्र बताते है कि छत्तीसगढ़ के कई उद्योगपति विदेशों से कोयला मंगवाते थे. लेकिन राजधानी रायपुर के दौरे पर आए कोयला मंत्री ने उद्योपतियों से कहा था कि वे कोल इंडिया से ही कोयला खरीदे वे उनकी कोयले की डिमांड पूरी करेंगे. उनके इस आश्वासन को स्वीकारते हुए प्रदेश के उद्योगपतियों ने विदेशों से कोयला मंगवाना बंद कर दिया. लेकिन अब उनकी स्थिति खराब हो गई है और विदेशी कोयला भी काफी महंगा हो गया है.
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लि. (सीआईएल) की बिजली क्षेत्र को ईंधन आपूर्ति पिछले महीने 11.4 प्रतिशत बढ़कर 3.86 करोड़ टन पर पहुंच गई. आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. देश के कोयला उत्पादन में कोल इंडिया की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है. पिछले साल अगस्त में बिजली इकाइयों को कोल इंडिया की आपूर्ति 3.46 करोड़ टन रही थी. चालू वित्त वर्ष के पहले पांच माह अप्रैल-अगस्त में बिजली संयंत्रों को कोल इंडिया की आपूर्ति 27.2 प्रतिशत बढ़कर 20.59 करोड़ टन पर पहुंच गई, इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 16.18 करोड़ टन रहा था.
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