(रवि भोई की कलम से)
छत्तीसगढ़ के विधायकों की दिल्ली दौड़ क्या रंग लाएगा, यह समय बताएगा, पर कहा जा रहा है कि अब ढाई-ढाई साल की लड़ाई में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव खुलकर सामने आ गए हैं और राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का फैसला हाईकमान के पास सुरक्षित होने की बात कहने लगे हैं। अब तक शालीन तरीके से अपनी बात रखने वाले सिंहदेव कुछ आक्रामक तेवर भी अपनाने लगे हैं। चर्चा है कि आने वाले दिनों में लड़ाई का रुख बदल सकता है और राजनीतिक गर्मी भी बढ़ सकती है।
विधायकों की दिल्ली यात्रा पर सवाल
कांग्रेस के कुछ विधायकों के समूह में दिल्ली जाने से छत्तीसगढ़ का राजनीतिक पारा पिछले दिनों चढ़ गया। पहले भी कुछ विधायक एकजुट होकर दिल्ली की यात्रा कर चुके हैं। जब-जब विधायक दिल्ली जाते हैं, यहां राजनीतिक सरगर्मी बढ़ जाती है। पर एकजुट होकर जाने वाले विधायक अपने या परिजन के इलाज अथवा अन्य निजी काम का हवाला देते हैं। सवाल यह उठता है कि वे निजी कार्य के लिए एकजुट होकर क्यों जाते हैं। किसी राजनीतिक मकसद से जाते हैं , तो फिर खुलकर किसी के पक्ष में अपनी बात क्यों नहीं रखते ? विधायकों की यात्रा को लोग तफरी के तौर पर देखने लगे हैं। कहते हैं अभी विधायक दिल्ली गए, तो किससे मिले उस पर भी सवाल उठ रहा है। कहते हैं पिछले दिनों तो कांग्रेस के सभी बड़े नेता दिल्ली से बाहर थे।
कांग्रेस के एक बड़े नेता की पत्रकारों पर टिप्पणी
कहते हैं कांग्रेस में राजनीतिक आपाधापी को लेकर राज्य में सोशल मीडिया, अखबारों और चैनलों की ख़बरों को लेकर कांग्रेस के बड़े नेता हवा-हवाई मान रहे हैं। चर्चा है कि कांग्रेस के एक बड़े नेता ने टिप्पणी की कि राज्य के कुछ पत्रकार धतूरा खाकर ख़बरें छाप व चला रहे हैं।
समन्वय समिति की बैठक से सीएम की दूरी
29 सितंबर को राजभवन में राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके की अध्यक्षता में हुई विश्वविद्यालय समन्वय समिति की बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की गैरहाजरी चर्चा का विषय है। राज्य में भूपेश बघेल सरकार के आने के बाद समन्वय समिति की यह पहली बैठक थी और राज्यपाल सुश्री उइके के कार्यकाल की भी पहली बैठक थी। 13 सितंबर 2018 के बाद हुई बैठक में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव और उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री उमेश पटेल मौजूद रहे, लेकिन कृषि और डेयरी विश्वविद्यालयों पर निगरानी रखने वाले कृषि मंत्री रविंद्र चौबे नहीं थे। राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति हैं। विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा के बारे में नीतिगत निर्णय लेने वाली समन्वय समिति की बैठक से मुख्यमंत्री की दूरी लोगों को समझ नहीं आ रहा है।
आईएएस कुंदन कुमार की लगी लाटरी
2014 बैच के आईएएस कुंदन कुमार 2013 बैच के डॉ. जगदीश सोनकर को पीछे छोड़ते कलेक्टर बन गए। 2013 बैच के सीधी भर्ती वाले आईएएस में जगदीश सोनकर को कलेक्टरी का मौका नहीं मिल पाया। इस बैच के अफसर राजेंद्र कुमार कटारा बीजापुर जिले के कलेक्टर बनाए गए हैं। कुंदन कुमार को बलरामपुर जिले का कलेक्टर बनाया गया है। इस साल जून में बलरामपुर के कलेक्टर बनाए गए 2013 बैच के इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल को फिलहाल केवल छह महीने ही कलेक्टरी का मौका मिल पाया। विशेष संरक्षित पंडो जनजाति के लोगों की मौत पर बलरामपुर कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल पर गाज गिर गई और वहां की कमान संभालने का मौका कुंदन कुमार को मिल गया। वैसे प्रमोटी आईएएस में 2011, 2012 और 2013 के अफसर कलेक्टर बनने का इंतजार कर रहे हैं।
17 दिन बाद एलेक्स की नई पोस्टिंग
करीब 17 दिन भटकने के बाद 2006 बैच के आईएएस एलेक्स वी एफ पाल मेनन वी को नई पोस्टिंग मिली। राज्य सरकार ने 13 सितंबर को एलेक्स को श्रमायुक्त के पद से हटाकर संचालक प्रशासन अकादमी बना दिया। श्रमायुक्त की जिम्मेदारी राज्यपाल के सचिव और श्रम सचिव अमृत खलखो को दे दी गई। अमृत खलखो ने श्रमायुक्त का चार्ज तत्काल ले लिया और एलेक्स कार्यमुक्त हो गए, पर प्रशासन अकादमी में संचालक के पद पर रिटायर्ड आईएएस टीसी महावर पदस्थ हैं। वहां संचालक का दूसरा पद नहीं है। सामान्य प्रशासन विभाग ने बिना परीक्षण किए एलेक्स की पोस्टिंग प्रशासन अकादमी में संचालक के पद पर कर दी गई। ऐसे में एलेक्स के सामने समस्या आ गई और वे करीब 17 दिन बिना काम के रहे। इसके बाद सरकार ने गलती सुधारते एलेक्स को विशेष सचिव ग्रामोद्योग के पद पर पदस्थ किया। वैसे एलेक्स अपने गृह राज्य तमिलनाडु कैडर में जाना चाहते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने अनुमति दे दी है , लेकिन कहते हैं भारत सरकार से हरी झंडी नहीं मिल पा रही है। भारत सरकार इंटर स्टेट कैडर परिवर्तन को लेकर फ़िलहाल सख्त है।
ताकतवर पटवारी और तहसीलदार
कहते हैं कि छत्तीसगढ़ के एक जिले के पटवारी और नायब तहसीलदार-तहसीलदार इतने ताकतवर और धनवान हो गए हैं कि वे अपने बीच से किसी को राज्यसभा में भेजना चाहते हैं। चर्चा तो यह है कि कुछ लोग छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य के नेताओं से भेंटकर इसके एवज में मोटे थैले का आफर कर आए हैं। कहा जा रहा है वे ऐसे राज्य गए थे , जहां के मुख्यमंत्री से उनकी पार्टी के लोग आसानी से नहीं मिल सकते। उन्हें मिलने के लिए बड़ी हिम्मत जुटानी पड़ती है। खबर है कि इस जिले के पटवारी और नायब तहसीलदार-तहसीलदार इतने पावरफुल हैं कि वे कलेक्टर की परवाह नहीं करते। कलेक्टर को मन मसोस कर रह जाना पड़ रहा है। इस जिले के एक पावरफुल तहसीलदार प्रमोट होकर वहीं डिप्टी कलेक्टर बन गए थे । बवाल मचा तो उन्हें बीजापुर ट्रांसफर कर दिया गया , लेकिन अब तक शायद ही वे बीजापुर के दर्शन किए हों। पुराने जिले से ही उनका सब कुछ चल रहा है।
भाजपा नेत्री और ज्योतिषी
कहते हैं भाजपा की एक नेत्री सुडौल, आकर्षक और युवा दिखने के लिए एक ज्योतिषी के फेर में आ गई हैं। चर्चा है कि भाजपा की नेत्री ने ज्योतिषी को अच्छी खासी फीस भी दी है। कहा जा रहा है कि भाजपा शासनकाल में एक निगम की अध्यक्ष रहीं नेत्री 2023 के विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाना चाहती हैं और अपने को पार्टी में युवा चेहरे के तौर पर दिखना चाहती हैं। मैडम की चाहत देखकर ज्योतिषी जी तरह-तरह के नुस्खे बता रहे हैं साथ में हवन-पूजन भी करा रहे हैं। कहते हैं नेत्री को ज्योतिषी पर पूरा भरोसा भी हो गया है।
मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि गृहमंत्री क्यों नहीं ?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल मुद्दे पर चर्चा और रणनीति के लिए 10 राज्यों के मुख्यमंत्री,मुख्य सचिव और डीजीपी की बैठक 26 सितंबर को बुलाई थी। कहते हैं पहले से कई कार्यक्रम तय होने के कारण छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस बैठक में शामिल नहीं हुए। छत्तीसगढ़ की तरफ से मुख्य सचिव अमिताभ जैन और डीजीपी डीएम अवस्थी ने बैठक में हिस्सा लिया। छत्तीसगढ़ सर्वाधिक नक्सल प्रभावित राज्य है , ऐसे में लोग कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री नहीं तो गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू तो बैठक में शामिल हो सकते थे ?
(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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