मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर वन क्षेत्रों में भू-जल संरक्षण इस साल 209 करोड़ खर्च कर नदी-नालों और तालाबों नए सिरे से बनाया जा रहा है। नरवा विकास योजना के तहत ये काम कैम्पा से किए जाएंगे। इस साल 137 नरवा का चयन कर 160.95 करोड़ रुपए की लागत से 31 वन मण्डल, एक राष्ट्रीय उद्यान, दो टाइगर रिजर्व, एक एलिफेंट रिजर्व, एक सामाजिक वानिकी क्षेत्र में कुल 12 लाख 56 हजार भू-जल संरचनाओं में से 10 लाख 77 हजार संरचनाएं निर्मित की जा चुकी है। इस प्रकार 86 प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं, इससे 3 लाख 12 हजार हेक्टेयर भूमि उपचारित हुई है। विभाग का दावा है कि अब जंगल में पानी की कमी नहीं रहेगी। मुख्यमंत्री बघेल ने मंगलवार को इन निर्माण कार्यों को शुरु किया। इन कार्याें में कैम्पा मद से प्रदेश के 3 टाइगर रिजर्व, 2 नेशनल पार्क और 1 एलिफेंट रिजर्व के 151 नालों में नरवा विकास के कार्य किए जाएंगे।
इनमें से इंद्रावती टाइगर रिजर्व के 58 नालों, घासीदास नेशनल पार्क के 42 नालों, अचानकमार टाइगर रिजर्व के 28 नालों, कांगेर वेली नेशनल पार्क के 11 नालों, उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के 10 नालों और तमोरपिंगला एलिफेंट रिजर्व के 2 नालों में बनाई जाएंगी। इन्हें मिलाकार 37 वन मण्डल के 1089 नालों में 12 लाख 64 हजार भू-जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। इससे 4 लाख 28 हजार 827 हेक्टेयर भूमि उपचारित होगी। वनमंत्री मो. अकबर ने बताया कि कैम्पा मद के बनने वाली इन जल संग्रहण संरचनाओं से वनांचल में रहने वाले लोगों और वन्य प्राणियों के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। नाले में पानी का भराव रहने से आसपास की भूमि में नमी बनी रहेगी।
इससे खेती-किसानी और आय के स्रोत में वृद्धि होगी। वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि 2020-21 में 209 करोड़ रुपए की लागत से 12 लाख 64 हजार भू-जल संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। कैम्पा मद के तहत वर्ष 2019-20 और 2020-21 में स्वीकृत कार्याें से लगभग 370 करोड़ रुपए की राशि से 25 लाख से अधिक भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण होगा। इससे 313 जल ग्रहण क्षेत्र के एक हजार 995 नालों में स्टॉपडेम, चेकडेम, ग्लीप्लग, डाईक, लूज बोल्डर चेकडेम आदि संरचनाओं से 7 लाख 4 हजार हेक्टेयर क्षेत्र उपचारित होगा।