रवि भोई की कलम से
कहते हैं ईडी ने विधानसभा चुनाव तक छत्तीसगढ़ में डेरा डाल दिया है। चर्चा है कि ईडी ने होटल छोड़कर अपने अधिकारियों को ठहराने के लिए बंगले ले लिए हैं। राज्य में ईडी की सक्रियता से अफसरों और नेताओं में घबराहट तो है ही, साथ में राजनीति भी जमकर हो रही है। मनी लांड्रिग केस में ईडी की गिरफ्त में आए आईएएस समीर विश्नोई के साथ चार्टर्ड एकाउंटेंट सुनील अग्रवाल और लक्ष्मीकांत तिवारी फ़िलहाल एक पखवाड़े के लिए जेल भेज दिए गए हैं। सुनील अग्रवाल जेल में टाइम पास के लिए कई किताब ले गए हैं। ईडी के कब्जे में समीर विश्नोई के होने से कई अफसरों की दीपावली काली हो गई और कइयों को दुबक कर रहना पड़ा। कहा जा रहा है ईडी जल्द ही कुछ और अफसरों और राजनेताओं पर धावा बोलने वाली है। कई दिनों से फरार कारोबारी सूर्यकांत तिवारी ने शनिवार को देर शाम कोर्ट में सरेंडर कर दिया। सूर्यकांत तिवारी 12 दिन के लिए ईडी के रिमांड में है। सूर्यकांत से ईडी कुछ न कुछ सबूत जुटाएगी। खबर है कि समीर विश्नोई, सुनील अग्रवाल और लक्ष्मीकांत तिवारी ने कई राज उगल दिए हैं। अबकी बार कुछ आईपीएस के लपेटे में आने की हवा उड़ रही है। एक-दो मंत्रियों पर आंच आने का शिगूफा चल रहा है। प्रदेश में ईडी की उपस्थिति से कयासबाजी जमकर चल रही है। अब देखते हैं ईडी के भूत से छत्तीसगढ़ को कब मुक्ति मिलती है।
टी एस सिंहदेव और रविंद्र चौबे साथ -साथ
पिछले कई महीनों तक कोप भवन में रहने वाले मंत्री टी एस सिंहदेव अब अपने विरोधियों से गलबहियां करने लगे हैं। इसके तरह-तरह के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। टी एस सिंहदेव पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ हेलीकॉप्टर में बैठकर भेंट-मुलाक़ात कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कवर्धा गए। कवर्धा मंत्री मोहम्मद अकबर का विधानसभा क्षेत्र है। कहते हैं टी एस सिंहदेव पिछले दिनों मंत्री रविंद्र चौबे के साथ बेमेतरा गए। टी एस सिंहदेव के पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग छोड़ने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह विभाग मंत्री रविंद्र चौबे को ही सौंपा। मोहम्मद अकबर और रविंद्र चौबे मुख्यमंत्री के आँख-कान कहे जाते हैं। वैसे टी एस सिंहदेव कवर्धा और बेमेतरा जिले के प्रभारी मंत्री हैं, पर दोनों के साथ उनकी मौज़ूदगी को नए राजनीतिक समीकरण के तौर पर देखा जा रहा है।
कलेक्टर साहब का राउत नाचा
बेमेतरा के कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला साहब का राउत नाचा चर्चा में है। अब तक राजनेताओं को जनता के रंग में रंगते देखा जाता रहा है। अब अफसर भी छत्तीसगढ़िया रंग में रंगने लगे हैं। यह अच्छी बात है।श्रमिक दिवस पर कई अफसरों ने बोरे बासी भी खाया। इनमें कुछ गैर छत्तीसगढ़िया अफसर भी थे। जितेंद्र शुक्ला मूलतः छत्तीसगढ़ के हैं। शायद इसलिए उन्होंने ने अपने आपको राउत नाचा में थिरकने से रोक न सके । जांजगीर -चांपा के कलेक्टर रहते जितेंद्र शुक्ला साहब ने एक बच्चे को बोरवेल से निकलवाने में जी-जान लगा दिया। उन्होंने कई दिनों तक घटनास्थल पर डेरा डाल दिया था। इस सफल अभियान के चलते वे चर्चा में आए थे। यह अलग बात है कि आपरेशन राहुल साहू के बाद जितेंद्र शुक्ला को जांजगीर -चांपा से हटाकर बेमेतरा का कलेक्टर बना दिया गया। अब उनकी तरक्की हुई या पदावनति, वही समझें ?
रायपुर में नहीं चली डॉ. रमन की
चर्चा है कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह रायपुर का जिला भाजपा अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव को बनवाना चाहते थे, लेकिन पूर्व मंत्री और रायपुर दक्षिण के विधायक बृजमोहन अग्रवाल अपने समर्थक जयंती पटेल को जिला अध्यक्ष बनवाने में कामयाब रहे। कहते हैं सांसद सुनील सोनी और बृजमोहन अग्रवाल की जोड़ी जिला अध्यक्ष के मामले में संगठन पर भारी पड़ गए । वैसे जयंती पटेल को लेकर तरह-तरह की बातें भी चल रही है। खबर है कि जयंती पटेल भाजपा से अलग होकर एक बार पार्षद का चुनाव निर्दलीय भी लड़ चुके हैं।
अजय जामवाल के सामने खरी-खरी
कहते हैं 2018 में भाजपा के हार के कारणों को जानने के लिए जिलों में बैठक कर रहे प्रदेश के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल के सामने नेता-कार्यकर्ता खरी-खरी बातें रख रहे हैं। रायपुर जिले में चारों विधानसभा की समीक्षा बैठक में कार्यकर्ताओं ने अपने नेताओं की कमजोरियां गिनाई और पुराने चेहरों को हार का कारण बताया। महासमुंद में धान का समर्थन मूल्य न बढ़ाने और बोनस न देने को पराजय की वजह बताई गई। कहा जा रहा है किअजय जामवाल ने समीक्षा बैठक में खुलकर बोलने की छूट दी है। बैठक में न बोल पाने वालों को अकेले में उनसे मिलने के लिए दरवाजा खोल रखा है। इसके चलते समय और मौका देखकर कुछ अपनी दिल की भड़ास भी निकाल रहे हैं।
कांग्रेस में अब काम करने वालों की चिंता
कहते हैं विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ कांग्रेस में काम करने वालों की चिंता की जाने लगी है। कहा जा रहा है सत्ता की मलाई खाने वाले एक नेता ने एक बैठक में 2018 के विधानसभा चुनाव में मेहनत करने वालों को दरकिनार करने की बात उठाई। अब लोग कह रहे हैं यह नेता चार साल तक कहां सो रहे थे? सत्ता केंद्र से दूर एक नेता ने अनुशासनहीनता बरतने वालों को पद न देने का सुझाव दिया, वहीं एक नेता ने पार्टी में गुटबाजी का रोना रोया। खबर है कि इस नेता ने तो यहां तक कह दिया कि पिछली बार सब मिलकर चुनाव लड़े थे, इसलिए जीते। अब देखते हैं शीर्ष बैठक के बाद कांग्रेस के नेता सबक लेते हैं या फिर ढाक के तीन पात बने रहते हैं।
बेवरेज और सीएसआईडीसी अब भी खाली
भूपेश सरकार ने निगम-मंडलों में नियुक्ति की लंबी लिस्ट शनिवार को जारी की। कई नेता-कार्यकर्ताओं को खुश किया गया। नेताओं को एडजेस्ट करने के लिए कुछ नए निगम-मंडल भी बनाए गए, लेकिन बेवरेज कार्पोरेशन और छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम में किसी की नियुक्ति नहीं की गई। इन दोनों निगमों में अध्यक्ष बनने के लिए कई कांग्रेस नेता बांट जोह रहे थे। अब देखते हैं दोनों निगमों में नियुक्तियां होती है या खाली ही रहते हैं। वैसे भी अभी नियुक्त पदाधिकारियों को एक साल से भी कम लालबत्ती का सुख भोगने का मौका मिलेगा।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं। )
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