उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के दौरान कृषि छात्रों को अपनी शिक्षा के दौरान प्राप्त सैद्धांतिक ज्ञान को व्यवहारिक ज्ञान में परिवर्तित करने का अवसर मिलता है, वे खेती किसानी की बारीकियों एवं समस्याओं से रूबरू होते हैं। इसके साथ ही किसानों को नवीनतम् कृषि प्रौद्योगिकी की जानकारी मिलती है। इसके अलावा रेडी कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों को कृषि आधारित उद्योगों एवं इकाईयों का भ्रमण भी करवाया जाता है जिससे उनमें कृषि उद्यमिता का विकास होता है। डाॅ. सेंगर ने कहा कि रेडी कार्यक्रम को और अधिक सुदृढ़ किया जाना चाहिए ताकि कृषि छात्रों तथा कृषकों को इसका अधिकतम लाभ मिल सके।
उन्होंने कहा कि रेडी कार्यक्रम के तहत छात्र-छात्राओं को ग्रामीण क्षेत्र का सर्वेक्षण, फसल उत्पादन एवं पौध संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य, उद्यानिकी, खाद्य प्रसंस्करण एवं मूल्यसंवर्धन, पशुपालन, तकनीकी हस्तान्तरण एवं कृषि उद्यमिता विकास जैसे क्षेत्रों में उपयोगी जानकारी दी जाती है। इससे उनमें कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था की समझ विकसित होती है तथा खेती किसानी एवं कृषि उद्यमों का व्यवहारिक अनुभव प्राप्त होता है। डाॅ. सेंगर ने रोडी कार्यक्रम के छत्रों एवं शिक्षकों से कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी को अपने निवास, आस-पास, पडोस, महाविद्यालय परिसर अथवा किसी नदी-नाले के किनारे पांच फलदार पौधे लगाकर उसका फोटोग्राफ रेडी कार्यक्रम की रिपोर्ट में लगाना होगा।
वेबिनार के दौरान कुलपति डाॅ. सेंगर ने विभिन्न महाविद्यालयों में रेडी कार्यक्रम के विद्यार्थियों से उनके अनुभव भी सुने छात्रों ने उन्हें बताया कि रेडी कार्यक्रम के दौरान उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला और यह एक शानदार अनुभव रहा। उन्होंने कृषकों के खेतो पर जाकर कृषि से संबंधित व्यवहारिक अनुभव प्राप्त किया। उन्हें कृषि आधारित उद्योगों में कृषि उद्यमिता से अवगत होने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकी से किसानों को अवगत कराया और किसानों ने इसे सहर्ष अपनाया। उन्होंने बताया कि रेडी कार्यक्रम के दौरान उन्हें राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना ‘‘नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी‘‘ तथा गौठान कार्यक्रम से रूबरू होने का मौका मिला इसके साथ ही डेयरी, फिशरीज़, सेरी कल्चर तथा मशरूम इकाईयों को देखने का अवसर मिला उन्होंने किसानों को वर्मिकम्पोस्ट, बायोफर्टिलाईजर, मटका खाद, जीवामृत, अजोला खाद, लाईट ट्रैप, फिरोमोन ट्रैप आदि निर्माण की जानकारी दी। इस तरह यह सीखने-सिखाने का द्विपक्षीय अनुभव रहा।
वेबिनार को कृषि महाविद्यालय रायपुर के अधिष्ठाता डाॅ. एम.पी. ठाकुर, कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डाॅ. वी.के. पांडेय ने भी संबोधित किया। रेडी कार्यक्रम के समन्वयक डाॅ. वी.बी. कुरूवंशी ने रेडी योजना के उद्देश्यों एवं महत्व के बारे में जानकारी दी। कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष डाॅ. ए.के. दवे ने आभार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर संचालक अनुसंधान डाॅ. आर.के. बाजपेयी, निदेशक विस्तार डाॅ. के.एल. नंदेहा, खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डाॅ. एम.पी. त्रिपाठी सहित विभिन्न विभागों के विभागध्यक्ष, वैज्ञानिक उपस्थित थे।
(संजय नैयर)
सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी
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