कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। तीन दिनों तक चलने वाले इस पर्व के दौरान सूर्य भगवान की पूजा कि जाती है। साथ ही, छठी मैया की आराधना का भी विधान है। विशेष बात यह है कि छठ पूजा के दौरान 36 घंटों का कठिन व्रत भी भक्तों द्वारा रखा जाता है।
यह व्रत कठिन इसलिए माना जाता है क्योंकि इसके नियम बहुत कड़े हैं। वहीं, इस व्रत को विधिवत करना भी सरल नहीं है क्योंकि छठ पूजा की विधि को पूर्ण करने में कठिन तप लगता है। आइये जानते हैं छठ पूजा विधि के बारे में और साथ ही, जानेंगे कि छठ पूजा में क्या-क्या सामग्री लगती है।
छठ पूजा सामग्री (Chhath Puja Samagri)
छठ पूजा के लिए जिन चीजों की आवश्यकता पड़ती है, वह कुछ इस प्रकार से है: गन्ना, पानी वाला नारियल, अक्षत, पीला सिंदूर (सिंदूर के उपाय), दीपक, घी, बाती, कुमकुम, चंदन, धूपबत्ती, कपूर, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, फूल, हरे पान के पत्ते, साबुत सुपाड़ी, शहद। इसके अलावा, हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा, बड़ा वाला मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती, शकरकंदी, सुथनी, मिठाई, गुड़, गेंहू, चावल का आटा और घी।
छठ पूजा विधि (Chhath Puja Vidhi)
० छठ पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद छठ व्रत का संकल्प लें और सूर्य देव एवं छठी मैया का ध्यान करें। छठ व्रत के दौरान यह नियम है कि व्रती को अन्न का सेवन नहीं करना है। ऐसे में अन्न का सेवन करने से बचें।
० संभव हो तो निर्जल रहकर व्रत का विधिवत पालन करें। छठ के पहले दिन संध्या के समय सूय को अर्घ्य देने का विधान है जिसे संध्याकाली अर्घ्य भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिए जाने का विधान है।
० ऐसे में इस दिन सूर्यास्त होने से पहले छठ घाट पर पहुंचे और दोबारा स्नान करें। फिर अस्ताचलगामी सूर्य यानी कि अस्त होते हुए सूर्य देवको पूरी निष्ठा के साथ अर्घ्य दें। भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बांस का प्रयोग करें।
० बांस के अलावा, आप पीतल की टोकरी या सूप का उपयोग भी कर सकते हैं। ध्यान रहे कि पीतल की टोकरी नई होनी चाहिए। पिछले वर्ष की टोकरी या फिर कटी-फटी टोकरी का इस्टे अमल करने से बचें, नहीं तो पूजा खंडित होगी।
० पूजा के लिए जिस भी टोकरी या सूप का इस्तेमाल कर रहे हैं उसमें फल, फूल, गन्ने, पकवान आदि समेत पूरी सामग्री रखें और सिन्दूर से सूप या टोकरी को तिलक करें। सूर्य अर्घ्र के समय टोकरी में सारी पूजन सामग्री होनी चाहिए।
० ध्यान रहे कि पूरे दिन और रात भर निर्जल व्रत रखना है और फिर अगले दिन सुबह उगते हुए सूर्य को जल अर्पण करना है। सूर्य देव का ध्यान करते हुए अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करनी है।
० छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय के दौरान स्नान-ध्यान करने के बाद व्रती लोग कद्दू-भात ग्रहण करें। छठ व्रती को इस दिन शुद्ध-सात्विक भोजन करना चाहिए। व्रती के भोजन के बाद ही घर के अन्य सदस्य भोजन करें।