कहते है…हौसले बुलंद हो तो मौत भी घुटने टेक देती है..और कुछ कर गुजरने करने की जज्बा हो तो कोई रूकावट इंसान का रास्ता नही रोक सकती.कुछ इसी तरह की दास्ता धमतरी जिले के कुरूद मे रहने वाले बंसत साहू की है..जिन्होने मौत को मात देकर पेन्सिल को अपनी जिंदगी बना ली.और हाथ पैर से दिव्यांग होने के बाद भी पेटिंग मे महारत हासिल कर ली है.बसंत ने अपने 50 वे जन्मदिन पर कुरूद मे 22 से 24 नवबंर तक प्रदर्शनी लगाए हुए है.जिसे देखने दूर दूराज से लोग पहुच रहे है.
दरअसल धमतरी जिले के कुरूद नगर पंचायत मे रहने वाले शख्स एक समय अपनी मौत के इंतजार मे था.कि कब उसको इस जिल्लत भरी जिंदगी से मुक्ति मिल जाये.लेकिन जीवन मे ऐसा मोड आया.कि एक बेजान पेन्सिल ने उसके शरीर मे जान फूंक दी.और इस शख्स ने इसी पेन्सिल को अपना जीने का सहारा बना लिया है, और आज इस हाथ पैर से दिव्यांग बंसत साहू की बनाई पेटिंग देश विदेश मे धूम मचा रही है.और इसी पेटिंग की वजह से इनको देश और विदेश मे सम्मान मिला है.दरअसल बंसत साहू 28 साल पहले इलेक्ट्रानिक्स का काम करता था.और इसी सिलसिले मे किसी काम से पास के गांव गया हुआ था.कि वापस घर लौटते वक्त ट्रक ने उनको टोकर मार दी.हादसे के बाद उनके दोनो पैर व हाथ काम करना बंद कर दिया.और शरीर भी पूरी तरह से कमजोर हो गया.जिसके चलते बंसत का सारा दिन बिस्तर मे गुजरने लगा.जिसके बाद मानो बंसत को सिर्फ मौत का इंतजार रहने लगा.कि कब उसको इस जिल्लत भरी जिंदगी से छुटकारा मिले.लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था.बिस्तर मे पड़े -पड़े बंसत रोज पेसिंल पकड कर चित्रकारी करने की कोशिश करता था.बंसत ने बताया कि 50 साल की उम्र पूरा करने के बाद मै 23 साल की उम्र मे बडी दुघर्टना के कारण 95 प्रतिषत दिव्यंगता ने मुझे ग्रहण लगा दिया था.शुरूआत मे थोडी समस्या जरूर हुई.आडी तिरछी रेखाए खिचना शुरू की.लेकिन बाद मे कोशिश ऐसे कामयाब हुआ की मानो उसके हाथ मे जादू है..उनके बनाये पेटिंग आज देश विदेश के प्रदर्शनी मे लगाई जाती है..और इसी पेटिंग के बदौलत बंसत को कई सम्मान मिल चुका है..अब बसंत साहू की एक ही ख्वाहिश है.कि बसंत फाउन्डेशन को मजबूत करके और भी कलाकारो को आगे लाने की बात कर रहे है, जो तकलीफ मे है.उसमे आत्मविष्वास भरना चाहते है.शासन से निवेदन किया है, कि कोई प्रतिभावन है तो वो छूटना नही चाहिए।अगर दिव्यांग आफिस तक नही जा सकते तो प्रशासन के अमले तक पहुचे ताकि जो हम सोचते है उसे साझा कर सकते है जो शासन प्रशासन के मदद के बिना संभव नही है.