रायपुर। आंतकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन और सिमी को पाकिस्तान से आने वाले पैसे पहुंचाने वाले नेटवर्क में शामिल 4 आरोपियों को अदालत ने 10-10 साल की सजा सुनाई है। पुलिस ने 25 अक्टूबर 2013 को आतंकी संगठनों के शहरी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था।
भनपुरी में चिकन का ठेला लगाने वाले 21 वर्षीय धीरज साव के पुलिस गिरफ्त में आने के बाद टेरर फंडिंग करने वाला रैकेट पकड़ा गया था। पुलिस ने मेंगलोर में छापा मारकर दंपत्ति सहित कुल 4 आरोपियों को पकड़ा। इस केस में गिरफ्तार तीन आरोपी अभी बिलासपुर जेल में बंद है।
केस की सुनवाई के बाद बुधवार को विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत ने फैसला सुनाया। लोक अभियोजक केके शुक्ला ने बताया कि खमतराई निवासी 21 वर्षीय धीरज साव को टेरर फंडिंग के मामले में 25 अक्टूबर 2013 को सबसे पहले गिरफ्तार किया गया था। जांच में खुलासा हुआ कि पाकिस्तान निवासी मोहम्मद खालिद द्वारा उसके खाते में पैसे भिजवाए जाते हैं। मोहम्मद खालिद वहां आतंकी संगठन से जुड़ा बताया गया था। जांच में ये भी खुलासा हुआ कि धीरज साव टेरर फंडिंग के लिए आने वाले पैसों को मेंगलोर कर्नाटक निवासी जुबैर हुसैन व उसकी पत्नी आयशा बानो के बैंक खाते में भेजता है। इसमें बिहार का पप्पू मंडल उसकी मदद करता है। इन सभी के आपस में कनेक्शन जुड़े हुए थे।
टेरर फंडिंग के बदले में धीरज और पप्पू को पाकिस्तान से आने वाली रकम का 13 फीसदी कमीशन मिलता था। पैसे जितने भी आते थे, उसका 13 प्रतिशत कमीशन काटने के बाद वह खाते में आए पैसे कर्नाटक की दंपत्ति के अलावा देश के अलग-अलग इलाकों में फैले आतंकी संगठन को भेज दिया करते थे। मुख्य आरोपी धीरज साव से पूछताछ के बाद पुलिस ने बाकी आरोपियों के ठिकानों पर दबिश देकर उन्हें गिरफ्तार किया। जांच के दौरान सभी के पास निजी बैंक का खाता मिला। इसमें आंतकवादी संगठनों को मदद करने के लिए पाकिस्तान से पैसों का ट्रांजेक्शन होता था। आरोपियों के कृत्य को गंभीर प्रकृति का मानते हुए विशेष न्यायाधीश ने सभी आरोपियों को 10-10 वर्ष के कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई है।
खमतराई के युवक के पास पाक से आ रहे थे फोन
एटीएस को पता चला था कि खमतराई के एक युवक के पास पाकिस्तान से लगातार फोन आ रहा है। पुलिस ने उसका कॉल ट्रेस किया और खाते से जानकारी निकाली। उसके बाद खमतराई के धीरज साव को गिरफ्तार किया गया है। वह मूलतः बिहार का था। उस समय शहर में चिकन और अंडे का ठेला लगता था। पकड़े जाने के चार साल पहले से वह खमतराई में किराए के मकान रह रहा था। साव के घर की तलाशी में पुलिस को एक दर्जन बैंक के 57 खाते मिले थे। उसमें पाकिस्तान से लेकर कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, दिल्ली, कश्मीर और असम से भी पैसे जमा किए थे।
कर्नाटक से गिरफ्तार आयशा के नाम 50 से ज्यादा खाते
जांच में खुलासा हुआ कि कर्नाटक से गिरफ्तार आयशा के नाम पर देश के अलग-अलग शहरों में 50 से ज्यादा खाते हैं। बिहार, बंगाल, असम, यूपी, छत्तीसगढ़ समेत कुछ और राज्य के शहर हैं। उसके खाते में 2012 से 2013 के बीच 3 करोड़ से ज्यादा का ट्रांजेक्शन हुआ था। राजधानी में टेरर फंडिंग के अपनी तरह के इस पहले मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने की। विदेशों में पैसे ट्रांसफर होने की वजह से ईडी ने भी पड़ताल की है। फिलहाल तीनों बिलासपुर जेल में हैं।
एटीएस रायपुर और क्राइम ब्रांच ने 2013 में राजधानी के राजातालाब से आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उसमें 16 की गिरफ्तारी की गई थी। उनमें से 2 को एनआईए बिहार लेकर गई थी। उन आरोपियों का पटना ब्लास्ट में कनेक्शन मिला था। कुछ ही दिन पहले उन दोनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
भनपुरी में चिकन का ठेला लगाने वाले 21 वर्षीय धीरज साव के पुलिस गिरफ्त में आने के बाद टेरर फंडिंग करने वाला रैकेट पकड़ा गया था। पुलिस ने मेंगलोर में छापा मारकर दंपत्ति सहित कुल 4 आरोपियों को पकड़ा। इस केस में गिरफ्तार तीन आरोपी अभी बिलासपुर जेल में बंद है।
केस की सुनवाई के बाद बुधवार को विशेष न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत ने फैसला सुनाया। लोक अभियोजक केके शुक्ला ने बताया कि खमतराई निवासी 21 वर्षीय धीरज साव को टेरर फंडिंग के मामले में 25 अक्टूबर 2013 को सबसे पहले गिरफ्तार किया गया था। जांच में खुलासा हुआ कि पाकिस्तान निवासी मोहम्मद खालिद द्वारा उसके खाते में पैसे भिजवाए जाते हैं। मोहम्मद खालिद वहां आतंकी संगठन से जुड़ा बताया गया था। जांच में ये भी खुलासा हुआ कि धीरज साव टेरर फंडिंग के लिए आने वाले पैसों को मेंगलोर कर्नाटक निवासी जुबैर हुसैन व उसकी पत्नी आयशा बानो के बैंक खाते में भेजता है। इसमें बिहार का पप्पू मंडल उसकी मदद करता है। इन सभी के आपस में कनेक्शन जुड़े हुए थे।
टेरर फंडिंग के बदले में धीरज और पप्पू को पाकिस्तान से आने वाली रकम का 13 फीसदी कमीशन मिलता था। पैसे जितने भी आते थे, उसका 13 प्रतिशत कमीशन काटने के बाद वह खाते में आए पैसे कर्नाटक की दंपत्ति के अलावा देश के अलग-अलग इलाकों में फैले आतंकी संगठन को भेज दिया करते थे। मुख्य आरोपी धीरज साव से पूछताछ के बाद पुलिस ने बाकी आरोपियों के ठिकानों पर दबिश देकर उन्हें गिरफ्तार किया। जांच के दौरान सभी के पास निजी बैंक का खाता मिला। इसमें आंतकवादी संगठनों को मदद करने के लिए पाकिस्तान से पैसों का ट्रांजेक्शन होता था। आरोपियों के कृत्य को गंभीर प्रकृति का मानते हुए विशेष न्यायाधीश ने सभी आरोपियों को 10-10 वर्ष के कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई है।
खमतराई के युवक के पास पाक से आ रहे थे फोन
एटीएस को पता चला था कि खमतराई के एक युवक के पास पाकिस्तान से लगातार फोन आ रहा है। पुलिस ने उसका कॉल ट्रेस किया और खाते से जानकारी निकाली। उसके बाद खमतराई के धीरज साव को गिरफ्तार किया गया है। वह मूलतः बिहार का था। उस समय शहर में चिकन और अंडे का ठेला लगता था। पकड़े जाने के चार साल पहले से वह खमतराई में किराए के मकान रह रहा था। साव के घर की तलाशी में पुलिस को एक दर्जन बैंक के 57 खाते मिले थे। उसमें पाकिस्तान से लेकर कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, दिल्ली, कश्मीर और असम से भी पैसे जमा किए थे।
कर्नाटक से गिरफ्तार आयशा के नाम 50 से ज्यादा खाते
जांच में खुलासा हुआ कि कर्नाटक से गिरफ्तार आयशा के नाम पर देश के अलग-अलग शहरों में 50 से ज्यादा खाते हैं। बिहार, बंगाल, असम, यूपी, छत्तीसगढ़ समेत कुछ और राज्य के शहर हैं। उसके खाते में 2012 से 2013 के बीच 3 करोड़ से ज्यादा का ट्रांजेक्शन हुआ था। राजधानी में टेरर फंडिंग के अपनी तरह के इस पहले मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने की। विदेशों में पैसे ट्रांसफर होने की वजह से ईडी ने भी पड़ताल की है। फिलहाल तीनों बिलासपुर जेल में हैं।
एटीएस रायपुर और क्राइम ब्रांच ने 2013 में राजधानी के राजातालाब से आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उसमें 16 की गिरफ्तारी की गई थी। उनमें से 2 को एनआईए बिहार लेकर गई थी। उन आरोपियों का पटना ब्लास्ट में कनेक्शन मिला था। कुछ ही दिन पहले उन दोनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
Post Views: 284