प्रयागराज: उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से मची तबाही के बाद संगम नगरी प्रयागराज में भी अलर्ट घोषित कर दिया गया है. यहां अफसरों से लेकर सरकार तक खास निगहबानी कर रही है. दरअसल, प्रयागराज में इन दिनों माघ मेला लगा हुआ है, जिसके लिए संगम की रेती पर गंगा नदी के दोनों तरफ अलग से तंबुओं का शहर आबाद किया गया है. तंबुओं की नगरी गंगा नदी के ठीक किनारे पर बसाई गई है, यही वजह है कि माघ मेले को लेकर खास फोकस किया जा रहा है.
पानी बढ़ने पर माघ मेले में संत, महात्माओं और श्रद्धालुओं के लिए लगाए गए कैंपों में पानी घुस सकता है और तबाही मच सकती है. इसी के मद्देनजर यहां अब 24 घंटे निगरानी की जा रही है. हालांकि, राहत की बात सिर्फ ये है कि सरकारी अमले को उत्तराखंड से जानकारी मिली है कि उत्तराखंड की तबाही की वजह से प्रयागराज में करीब एक हफ्ते बाद गंगा का जलस्तर 60 से 70 सेंटीमीटर तक ही बढ़ेगा. सरकारी अमला इसके बावजूद एहतियाती कदम उठाने लगा है और गंगा के किनारे लगाए गए कैंपों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाने लगा है. इसके बावजूद माघ मेले में आए भगवाधारी, श्रद्धालु और कल्पवासी बेचैन हैं. प्रशासन की तरफ से भरोसा दिलाए जाने के बावजूद मेले में मौजूद लोग आशंकित हैं.
प्रयागराज जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने आपदा प्रबंधन को लेकर आपात बैठक कर एहतियाती कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. अधिकारी जहां सिंचाई विभाग के जरिए गंगा के जलस्तर पर लगातार नजर बनाए हुए हैं. वहीं, संगम की रेती पर चल रहे माघ मेले में सभी सेक्टरों में एडीशनल एसपी और मजिस्ट्रेट को स्थिति का आकलन कर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया है.
आईजी रेंज केपी सिंह के मुताबिक ग्लेशियर के टूटने से आए सैलाब को उत्तराखंड सरकार ने नहरों में डायवर्ट कर दिया है. जिससे संगम में बाढ़ का खतरा फिलहाल टल गया है. इसके बावजूद प्रशासन ने गंगा तट के किनारे बसाए गए शिविरों को 30 फीट दूर करने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ ही एसडीआरएफ, पीएसी की फ्लड कंपनी और अतिरिक्त जल पुलिस को मुस्तैद रहने के निर्देश दिए गए हैं. साधु-संत भी नदियों के जलस्तर को लगातार देख रहे हैं, ताकि समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें और किसी भी तरह की जनहानि से बचा जा सके.