दशहरा 2021: अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो जाते हैं. इन नौ दिनो में मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चनी की जाती हैं. नवमी तिथि को नवरात्रि का समापन हो जाता है और अगले दिन अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा या विजादशमी का त्योहार देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है.
दशहरा या विजयदशमी हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.हिंदू धर्म में दशहरा के पर्व को विशेष माना गया है. पंचांग के अनुसार दशहरा यानि विजय दशमी का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी की तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने अहंकारी रावण का वध कर धरती को उसके प्रकोप से बचाया था. यह राक्षस महिषादुर पर देवी दुर्गा की विजय के जश्न के रूप में भी मनाया जाता है.दशहरा का पर्व अवगुणों को त्याग कर श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है. इसी कारण इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है.
इस साल कब है दशहरा (Dussehra 2021)
पंचांग के अनुसार दशहरा का पर्व दिवाली से 20 दिन पूर्व मनाया जाता है. इस साल दशहरा 15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार को मनाया जाएगा.
विजय दशमी पूजा मुहूर्त
अश्विन मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि शुरू – 14 अक्टूबर 2021 को शाम 6 बजकर 52 मिनट से
अश्विन मास शुक्ल पक्ष तिथि समाप्त – 15 अक्टूबर 2021 शाम 6 बजकर 2 मिनट पर
पूजन का शुभ मुहूर्त – 15 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से 02 बजकर 48 मिनट तक
दशहरा का महत्व
दशहरा या विजय दशमी के दिन भगवान राम की अराधना की जाती है. इस राम का नाम जपने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. वहीं, इस दिन किसान नई फसलों का जश्न मनाते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन हथियारों की पूजा भी की जाती है. योद्धा इस दिन हथियारों की पूजा करते हैं और ऐसा कर वह अपनी जीत का जश्न मनाते हैं.
दशहरा पर शस्त्र पूजन विधि
- इस दिन प्रात: काल उठकर परिवार के सभी सदस्य स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- सर्वप्रथम सभी शस्त्रों को पूजा के लिए निकाल लें.
- सभी शस्त्रों पर गंगाजल छिड़कर उन्हें पवित्र करें.
- इसके बाद सभी शस्त्रों पर हल्दी या कुमकुम से तिलक करें और पुष्प अर्पित ककें.
- शस्त्र पूजन के समय फूलों के साथ शमी के पत्ते भी अर्पित करें.
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