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इकोनॉमिक सर्वे में 2022-23 जीडीपी ग्रोथ 8- 8.5 फीसदी रहने की उम्‍मीद

नई दिल्ली। केंद्रीय बजट से पहले सोमवार 31 जनवरी को इकोनॉमिक सर्वे 2021-22 संसद में पेश किया गया। इकोनॉमिक सर्वे में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 8-8.5% की जीडीपी ग्रोथ (आर्थिक वृद्धि दर) का अनुमान लगाया गया है। ये 2021-22 के 9.2% के ग्रोथ अनुमान से कम है। इकोनॉमिक सर्वे को चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ. वी अनंत नागेश्वरन के नेतृत्व वाली टीम ने तैयार किया है। यह दूसरी बार है जब इकोनॉमिक सर्वे कोविड-19 महामारी के बीच पेश किया गया है।



इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि वैक्सीन कवरेज, एक्सपोर्ट में ग्रोथ, सप्लाई साइड रिफॉर्म और नियमों के आसान होने से ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा। सरकार का जीडीपी  अनुमान इस बात पर आधारित है कि आगे महामारी से कोई आर्थिक गतिविधि प्रभावित नहीं होगी और मानसून भी सामान्य रहेगा। इसका मतलब है कि अगर मानसून या महामारी का कोई प्रभाव आता है तो जीडीपी घट सकती है। इससे पहले इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) जीडीपी के 7.1% की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया। जबकि वर्ल्ड बैंक ने जीडीपी के 8.7% रहने का अनुमान जताया था।

इकोनॉमिक सर्वे से जुड़ी अहम बातें:

इकोनॉमिक सर्वे में वित्त वर्ष 2021-22 में एग्रीकल्चर सेक्टर की ग्रोथ का अनुमान 3.9% रखा है। इंडस्ट्रियल सेक्टर में 11.8% की ग्रोथ का अनुमान रखा गया है। वहीं सर्विस सेक्टर की ग्रोथ का अनुमान 8.2% है। कोयले की मांग बनी रहेगी और वर्ष 2030 तक 130-150 करोड कोयले की डिमांड रहेगी। चालू वित्त वर्ष में कृषि सेक्टर 3.9% की दर से बढ़ सकता है। पिछले वित्त वर्ष में यह 3.6% की दर से बढ़ा था। भारत का कुल एक्सपोर्ट 2021-22 में महामारी से पहले के लेवल को पार करते हुए 16.5% से बढ़ने की उम्मीद है।
2021-22 में इंपोर्ट के कोरोना से पहले के लेवल को पार करते हुए 29.4% से बढ़ने की उम्मीद है। अमेरिका और चीन के बाद भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। भारत को 2021 में 44 यूनिकॉर्न मिले। ये एक नया रिकॉर्ड है। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) वर्तमान में ट्रांजैक्शन वॉल्यूम के मामले में देश में सबसे रिटेल पेमेंट सिस्टम है। यूपीआई  के जरिए दिसंबर 2021 में 8.26 लाख करोड़ रुपए के 4.6 अरब ट्रांजैक्शन किए गए थे।

प्रिसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर संजीव सान्याल ने कहा कि गवर्नमेंट कंजम्प्शन मजबूत रही है। लेकिन प्राइवेट कंजम्प्शन अभी भी महामारी से पहले के लेवल से पीछे है। जीडीपी  भी महामारी से पहले के लेवल से 1.3% ज्यादा है।

जीडीपी से पता चलती है इकोनॉमी की हेल्थ

जीडीपी इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है। जीडीपी देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रोड्यूस सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं, उन्हें भी शामिल किया जाता है। जब इकोनॉमी हेल्दी होती है, तो आमतौर पर बेरोजगारी का लेवल कम होता है। 2021-22 में निर्यात 16.5% की दर से बढ़ सकता है। निर्यात के भी महामारी से पहले के स्तर से पार निकल जाने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष में भारत के आयात में 29.4% की तेजी आ सकती है। सरकार सड़क बनाने पर सबसे ज्यादा 27% खर्च कर रही है. इसके बाद रेलवे पर 25%, बिजली पर 15%, तेल व पाइपलाइन पर 8% और टेलीकॉम पर 6% खर्च कर रही है।

क्या भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है?

जीडीपी आंकड़ों को देखकर लगता है कि इकोनॉमी तेजी से बढ़ रही है। लेकिन जब हम सभी आंकड़ों को कंपेयर करते हैं तो तस्वीर कुछ और नजर आती है। दरअसल, मार्च 2020 में कोरोना की वजह से लगाए गए लॉकडाउन की वजह से देश में आर्थिक गतिविधियां थम गई थीं। बाद में लॉकडाउन खुला, लेकिन फिर भी ये पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाई। इसका असर यह हुआ कि जीडीपी बेस नीचे चला गया और इसे -7.3% नापा गया। जब बेस बहुत नीचे चला जाता है तो थोड़ी उछाल भी बड़े सुधार का भ्रम पैदा करती है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कि 2019 में देश की जीडीपी 1000 रुपए थी। 2020 में 7.3% की गिरावट के बाद वह 927 रुपए पर आ गई। अब 2021 में अगर उसमें 9.2% की बढ़ोतरी हुई है, तो वह ऊपर तो गई है, लेकिन 1012 पर ही पहुंची है। यानी 2020 की तुलना में तो ये अच्छी बढ़त है लेकिन 2019 की तुलना में काफी कम है।

बीते सालों से तुलना पर जीडीपी के आंकड़े क्या कहते हैं?

इकोनॉमिक सर्वे में सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि साल 2022 में जीडीपी ग्रोथ 8.0-8.5% रह सकती है। ये 2021 के 9.2% अनुमान की तुलना में कम है। इससे पहले 2020 में कोरोना से प्रभावित साल में जीडीपी ग्रोथ रेट -7.3% थी। यानी कोरोना की पहली लहर से प्रभावित हुई इकोनॉमी अब रिकवरी मोड में है। वहीं कोरोनाकाल से पहले 2019 में देश की जीडीपी 6.5% थी।

इकोनॉमिक सर्वे क्या होता है?

हम उस देश में रहते हैं, जहां मिडिल क्लास लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है। हमारे यहां ज्यादातर घरों में एक डायरी बनाई जाती है। इस डायरी में पूरा हिसाब-किताब रखते हैं। साल खत्म होने के बाद जब हम देखते हैं तो पता चलता है कि हमारा घर कैसा चला? हमने कहां खर्च किया? कितना कमाया? कितना बचाया? इसके आधार पर फिर हम तय करते हैं कि हमें आने वाले साल में किस तरह खर्च करना है? बचत कितनी करनी है? हमारी हालत कैसी रहेगी?

ठीक हमारे घर की डायरी की तरह ही होता है इकोनॉमिक सर्वे। इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है? इकोनॉमिक सर्वे में बीते साल का हिसाब-किताब और आने वाले साल के लिए सुझाव, चुनौतियां और समाधान का जिक्र रहता है। इकोनॉमिक सर्वे को बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है।

 

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