उपभोक्ता मामलों के विभाग के तहत काम करने वाली एजेंसी केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत शुक्रवार को विज्ञापन को लेकर कुछ नए नियम लागू हो गए हैं। नए दिशानिर्देशों के अनुसार, उत्पादों या सेवाओं के विज्ञापन भ्रामक होने पर उनका प्रचार करने वाली सेलेब्स को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है और उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के नए फ्रेमवर्क के तहत सरोगेट विज्ञापनों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। शराब और तंबाकू कंपनियों के लिए ऐसे विज्ञापन देना आम बात है।
उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने और ऐसे विज्ञापनों से उपभोक्ताओं की रक्षा करने के उद्देश्य से ‘भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश और भ्रामक विज्ञापनों के समर्थन, 2022’ को अधिसूचित किया है।
जानिए, क्या होते हैं सरोगेट विज्ञापन
कुछ ऐसे प्रोडक्ट, जिनका सीधे विज्ञापन करने पर बैन लगा है। आमतौर पर इनमें शराब, सिगरेट और पान मसाला जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं। ऐसे में इन प्रोडक्ट विज्ञापन करने के लिए सरोगेट विज्ञापनों का सहारा लिया जाता है। यानी ऐसे ही किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन, जिसमें प्रोडक्ट के बारे में सीधे न बताते हुए उसे किसी दूसरे ऐसे ही प्रोडक्ट या पूरी तरह अलग प्रोडक्ट के तौर पर बताया और दिखाया जाता है। जैसे शराब को अक्सर म्यूजिक CD या सोडे के तौर पर दिखाया जाता है। यानी ऐसा ऐड जिसमें दिखाया कोई और प्रोडक्ट जाता है, लेकिन असल प्रोडक्ट दूसरा होता है, जो सीधा-सीधा ब्रैंड से जुड़ा होता है।
नए दिशानिर्देश में बच्चों को टार्गेट करने और उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए मुफ्त दावे करने वाले विज्ञापन शामिल हैं। नियम और शर्तों में जो कुछ भी फ्री बताया गया है, डिस्क्लेमर में भी वह फ्री होना चाहिए। ‘शर्तें लागू’ होने वाले इस तरह के विज्ञापनों को भ्रामक कहा जाएगा। कंपनी के वे विज्ञापन जो कंपनी से जुड़े लोग कर रहे हैं, तो उन्हें बताना होगा कि वह कंपनी से क्या संबंध रखते हैं। मैन्युफैक्चरर अपने प्रोडक्ट के बारे में सही जानकारी देंगे। जिस आधार पर दावा किया गया है उसकी जानकारी देनी होगी।
मंत्रालय द्वारा जारी किये गए ये दिशानिर्देश प्रिंट, टेलीविजन और ऑनलाइन जैसे सभी मंचों पर प्रकाशित विज्ञापनों पर लागू होंगे। नए दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CCPA) के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह के अनुसार, ‘भ्रामक विज्ञापनों को संभालने के लिए पहले से ही प्रावधान हैं, लेकिन नए दिशानिर्देश उद्योगों के लिए विज्ञापनों को अधिक स्पष्ट बनाते हैं। उद्योगों को जानना चाहिए कि विज्ञापन के लिए फ्रेमवर्क क्या है।’ नए नियम मशहूर हस्तियों को उत्पादों का विज्ञापन करते समय ‘विशेष सतर्कता’ बरतने के लिए मजबूर करेंगे।
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50 लाख जुर्माना और 5 साल जेल की सजा का प्रावधान
नए नियमों के मुताबिक उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा भ्रामक विज्ञापनों का समर्थन करने वाली हस्तियों पर 10 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। नियमों का बार-बार उल्लंघन करने पर 50 लाख तक का जुर्माना और 5 साल तक जेल का प्रावधान है। हालांकि, नए दिशानिर्देश किसी विशेष सेलिब्रिटी को परिभाषित नहीं करते हैं। इस शब्द को आमतौर पर एक प्रसिद्ध व्यक्ति, जैसे अभिनेता या खिलाड़ी के रूप में समझा जाता है।
ऐसे विज्ञापन को गैर-भ्रामक और वैध माना जाएगा
एक विज्ञापन को गैर-भ्रामक और वैध तभी माना जाएगा जब वह नए नियमों में निर्धारित मानदंडों को पूरा करेगा। सरोगेट विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया गया है, शराब और तंबाकू कंपनियां ऐसे विज्ञापनों को बढ़ावा देती हैं और सोडा, इलायची या माउथफ्रेशनर की आड़ में अपने उत्पाद का प्रचार करती हैं।
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