संयुक्त राष्ट्र या बहुपक्षवाद और वैश्वीकरण को लेकर बहस के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम में बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण का समाधान विकेंद्रीकरण है और बहुपक्षवाद का हल इसमें सुधार है, न कि 1945 (UN) का पुराना ढांचा।
शुक्रवार को न्यूयॉर्क के ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन‘ द्वारा आयोजित ‘जी-20 इंपीरेटिव
ग्रीन ग्रोथ एंड डेवलपमेंट फॉर ऑल‘ नामक एक कार्यक्रम में बोलते हुए जयशंकर ने यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘फिलहाल दो शब्द ‘वैश्वीकरण‘ और ‘बहुपक्षवाद‘ निशाने पर हैं। मैं नहीं सोचता कि इनमें से कुछ भी गलत है, लेकिन इनके लिए आज चुनौतीयोग्य यह कि इनका क्रियान्वयन कैसे किया गया है? क्या बहुपक्षवाद ने हमें विफल कर दिया है? मैं कहूंगा कि बहुपक्षवाद का यह रूप ऐसे लोगों के हाथ में है, जिन्होंने इसका कभी इस्तेमाल ही नहीं किया।‘
जयशंकर ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष समीर सरन द्वारा आयोजित एक चर्चा में ब्रिटेन के विकास राज्यमंत्री विदेश राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय, विक्की फोर्ड और विश्व आर्थिक मंच के अध्यक्ष बोर्ज ब्रेंडे के साथ बातचीत कर रहे थे। जयशंकर ने कहा कि बहुपक्षवाद का समाधान इसका विस्तार ही है।
संयुक्त महासभा के मौजूदा अधिवेशन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हम सब इस सप्ताह यहां क्यों एकत्रित हुए हैं, क्योंकि हम लोग अभी भी संयुक्त राष्ट्र में विश्वास करते हैं। एक साथ बैठते हैं, इसमें काम करते हैं। एक सिस्टम तैयार करते हैं। लेकिन इस विश्व व्यवस्था के संरक्षकों की सोच गलत है। वैश्वीकरण की मूल समस्या इसका बहुत अधिक केंद्रीकरण है। वैश्वीकरण का हल विकेंद्रीकरण है। इसी तरह बहुपक्षवाद का हल इसका सुधार है न कि 75-80 साल पुरानी व्यवस्था। बता दें, यूएन की स्थापना सात दशक पहले 1945 में हुई थी।
वीटो पावर के दुरुपयोग के मामले
जयशंकर ने कहा कि उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र महासभा सप्ताह के दौरान दुनिया भर के 60 से अधिक विदेश मंत्रियों के साथ उनकी बैठकों के दौरान उनमें से दो.तिहाई विकासशील देशों से थे और वे वास्तव में दुनिया की स्थिति से नाराज थे। वे दुनिया की स्थिति को लेकर गुस्से में हैं। जयशंकर ने खाद्यान्न और ऊर्जा संकट का जिक्र करते हुए कहा कि कैसे यूरोप को इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैै।
बता दें, भारत समेत कई देश संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था में बदलाव की लंबे समय से हिमायत कर रहे हैं। ये देश सुरक्षा परिषद के विस्तार से लेकर वीटो पावर तक पर सवाल उठाते रहे हैं, क्योंकि कई मौकों पर वीटो पावर के दुरुपयोग के मामले सामने आए हैं, वहीं कई अहम प्रस्तावों पर अमल नहीं हो सका है।
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