बिलासपुर। लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य तय करने, सम्मान निधि की राशि बढ़ाने व अन्य मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ 19 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान गर्जना रैली करने जा रहा है। छत्तीसगढ़ से करीब 2 हजार किसान भी रैली में शिरकत करेंगे। बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश चंद्रवंशी ने कहा कि किसी भी एक उद्योग में उत्पाद की गणना लागत में की जाती है। भूमि, भवन, मशीनें, कच्चा माल, कर्मचारियों व कार्यकारी मंडल का वेतन इसमें शामिल होता है।
कार्यकारी मंडल का वेतन वे स्वयं तय करते हैं, जो करोड़ों में होता है, इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। इधर जब किसान की बात करते हैं तब केवल फसल का लागत मूल्य निकाला जाता है। भूमि का किराया भी नहीं जोड़ा जाता, किसान का पूंजी निवेश नहीं जोड़ा जाता। धान की फसल में 140 दिन लगते हैं परंतु उसमें केवल 40 दिन की मजदूरी ही जोड़ी जाती है, वह भी अकुशल श्रमिक के रूप में। जबकि किसान खेती में क्या आवश्यकता है इसका विचार कर कार्य करता है तो वह अकुशल कैसे हुआ ? इसके अतिरिक्त उसके घर के सदस्यों की मजदूरी भी नहीं जोड़ी जाती।ऐसी आधी अधूरी गणना कर किसान के साथ अन्याय किया जाता है.