दालों की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार सतर्क है. दरअसल आलू-प्याज की महंगाई को देखते हुए सरकार दालों की कीमतों का काबू में रखना चाहती है. ताकि खाद्य महंगाई दर ज्यादा न बढ़े. अब सरकार दालों की कीमतों को कंट्रोल करन के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम में डिस्काउंट दे सकती है. दरअसल प्राइस मॉनिटरिंग कमेटी ने दालों में प्रति किलो 10 से 15 रुपए छूट देने की सिफारिश की है.
ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत दाल पर छूट मिलेगी. नैफेड ओपन मार्केट स्कीम में दाल की नीलामी करता है. दालों की कीमत दस से पंद्रह रुपये की छूट देने की सिफारिश की गई है. इसके लिए सरकार ने 20 लाख टन दाल का बफर स्टॉक बनाया है. पिछले कुछ महीनों से दालों की कीमतों में इजाफा हुआ है. खासकर त्योहार के दौरान दालों की कीमतों में ज्यादा इजाफा हुआ था. त्योहारों में खासकर खाने के तेल और दालों के भाव में जोरदार उछाल देखने को मिला. सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली अरहर दाल के दाम पिछले एक महीने में डेढ़ गुना तक बढ़ गए हैं.
मूंग और मसूर की कीमत भी बढ़ी हुई है. सिर्फ मटर दाल में राहत है. आढ़तियों का कहना है अरहर के दाम में बढ़ोतरी का असर दूसरी दालों पर भी पड़ सकता है. फिलहाल मूंग दाल 130 रुपये किलो, चना दाल 80 और उड़द दाल 150 रुपये किलो बिक रहे हैं. मसूर दाल 85 से 100 रुपये तक बिक रही है. चने की अच्छी फसल की वजह से इसके दाम काबू में हैं. हालांकि काला चना एक महीने पहले 60 रुपये किलो बिक रहा था जो अब बढ़कर 70 रुपये पहुंचा है. काबुली चना एक महीने पहले के 75 रुपये किलो से बढ़कर 90 रुपये तक पहुंच गया है.
जानकारों का कहना है कि कोरोना के चलते बड़ी तादाद में मजदूर गांव लौटे हैं और उन्होंने अरहर की जगह धान और मक्के की बुआई की है. रकबा घटने से भी अरहर के दाम तेज हुए हैं. इसमें आगे भी तेजी बनी रह सकती है.दूसरी ओर आढ़तियों का कहना है कि सरसों के तेल के दाम भी बढ़ने शुरू हो गए हैं. पिछले एक एक महीने में इसके दाम में 30 फीसदी तक उछाल आया है.