० आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत पंजीकृत अस्पतालों के ऑडिट में मिली थी गड़बड़ी
० पंजीकृत अस्पतालों में इलाज में किसी भी तरह की दिक्कत होने पर टोल-फ्री नंबर 104 या 14555 में कर सकते हैं शिकायत
रायपुर।आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत पंजीकृत अस्पतालों का ऑनलाइन सिस्टम के माध्यम से उपचार लेने वाले मरीजों का ऑडिट किया जाता है। ऑडिट के दौरान विगत दिनों कुछ अनुबंधित निजी अस्पतालों में गड़बड़ियां पाई गई थीं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा रायपुर और बिलासपुर के ऐसे पांच अस्पतालों के खिलाफ निलंबन एवं अर्थदण्ड की कार्रवाई की गई है।
संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं-सह-मुख्य कार्यपालन अधिकारी आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना राज्य नोडल एजेंसी, रायपुर के द्वारा ऑडिट में गड़बड़ी पाए जाने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई के आदेश जारी किए गए हैं। नवापारा रायपुर के अंजलि नर्सिंग होम, माहेर हॉस्पिटल व शाह नर्सिंग होम, बिलासपुर के श्रीबालाजी हॉस्पिटल और रायपुर के रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल के विरूद्ध कार्रवाई की गई है।
स्वास्थ्य विभाग ने बिलासपुर के श्रीबालाजी हॉस्पिटल को एक साल के लिए निलंबित किया है। नवापारा रायपुर के अंजलि नर्सिंग होम के खिलाफ तीन लाख रूपए के अर्थदण्ड व एक साल के निलंबन, माहेर हॉस्पिटल के खिलाफ पांच लाख रूपए के अर्थदण्ड व एक साल के निलंबन तथा शाह नर्सिंग होम के खिलाफ तीन लाख रूपए के अर्थदण्ड व एक साल के निलंबन की कार्रवाई की गई है। रायपुर के रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत उपचारित मरीजों से अतिरिक्त राशि लिए जाने के मामले में छह लाख 16 हजार 834 रूपए का अर्थदण्ड लगाया गया है। साथ ही इतनी ही राशि संबंधित मरीजों को वापस दिलाया गया है।
टोल-फ्री नंबर पर कर सकते हैं शिकायत
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत पंजीकृत अस्पतालों में इलाज में किसी भी तरह की दिक्कत होने पर मरीज या उसके परिजन सीधे टोल-फ्री नंबर 104 या 14555 में शिकायत कर सकते हैं। शिकायत के आधार पर त्वरित कार्यवाही की जाती है। साथ ही उपचारित मरीजों का ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में उपलब्ध डेटा का ऑडिट भी लगातार संबंधित चिकित्सकों के द्वारा किया जाता है। गड़बड़ी पाए जाने पर राज्य नोडल एजेंसी द्वारा समय-समय पर कार्यवाही की जाती है ताकि मरीजों को निःशुल्क व समुचित उपचार मिल सके।