समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 15 क्विंटल से बढ़ाकर अब 20 क्विंटल की जाएगी
विधानसभा में छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक 2023 पारित
रायपुर- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज विधानसभा में किसानों के हित में बड़ी घोषणा करते हुए प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने आज छत्तीसगढ़ विधानसभा में विनियोग विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए यह घोषणा की। विधानसभा में चर्चा के बाद विनियोग विधेयक 2023 पारित कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हमारे किसान भाई हैं। सम्पूर्ण विश्व आज खाद्य संकट की अग्रसर हो रहा है। इसका मुख्य कारण है कृषि का अलाभप्रद होना। हमारी सरकार बनते ही हमने किसानों की ऋण माफी की, राजीव गांधी किसान न्याय योजना से किसानों को सशक्त बना रहे हैं। उन्हें इनपुट सब्सिडी का लाभ भी दे रहे हैं। समर्थन मूल्य पर प्रति एकड़ धान की खरीदी 15 क्विंटल से बढ़ाकर 20 क्विंटल करने जा रहे हैं। मैं भेंट-मुलाकात में जहां भी गया किसानों की एक ही मांग थी, समर्थन मूल्य पर प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान की खरीदी की जाए। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि एक अप्रैल से आवासहीनों, उज्ज्वला गैस योजना और शौचालय के हितग्राहियों का सर्वे कराया जाएगा। आवास योजना में जितने भी पात्र हितग्राही होंगे, उन्हें क्रमबद्ध रूप से आवास दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने विनियोग विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था का आकार जीएसडीपी से निर्धारित होता है। छत्तीसगढ़ का जीएसडीपी वर्ष 2018 में 03 लाख 27 हजार 106 करोड़ था, जो 2023 में बढ़कर 05 लाख 09 हजार 43 करोड़ अनुमानित है। मार्च 2020 से निरंतर 02 वर्ष तक कोविड-19 आपदा के कारण आर्थिक गतिविधियां मंद होने के बावजूद राज्य शासन की नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था के आकार 56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राज्य की जीएसडीपी में वृद्धि वर्ष 2022-23 में 8 प्रतिशत अनुमानित, जो अखिल भारतीय जीडीपी की अनुमानित वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक। स्थिर भाव पर वर्ष 2022-23 में कृषि क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र एवं सेवा क्षेत्र में राज्य की अनुमानित विकास दर राष्ट्रीय स्तर से अधिक है।
कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से अधिक
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में राज्य की वृद्धि दर 5.93 प्रतिशत रही, जबकि राष्ट्रीय वृद्धि दर 3.50 प्रतिशत, औद्योगिक क्षेत्र में राज्य की वृद्धि दर 7.83 प्रतिशत, जबकि राष्ट्रीय वृद्धि दर 4.10 प्रतिशत इसी प्रकार सेवा क्षेत्र में राज्य की वृद्धि दर 9.21 प्रतिशत और राष्ट्रीय वृद्धि दर 9.10 प्रतिशत रही। राज्य के स्वयं के करों का राजस्व वर्ष 2018-19 में 21 हजार 427 करोड़ की तुलना में वर्ष 2023-24 में बढ़कर 38 हजार करोड़ अनुमानित (77 प्रतिशत वृद्धि) है। उन्होंने कहा कि राज्य के स्वयं का करेत्तर राजस्व वर्ष 2018-19 में 07 हजार 703 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 18 हजार 200 करोड़ अनुमानित – (दो गुणा से अधिक वृद्धि) है। इस प्रकार राज्य का स्वयं का कुल राजस्व वर्ष 2018-19 में 29 हजार 130 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 56 हजार 200 करोड़ अनुमानित – (93 प्रतिशत की वृद्धि) है। केन्द्रीय प्राप्तियां वर्ष 2018-19 में रु. 35 हजार 963 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 49 हजार 800 करोड़ अनुमानित (38 प्रतिशत वृद्धि) है। इस प्रकार विगत 04 वर्षों में केन्द्रीय प्राप्तियां 38 प्रतिशत एवं राज्य की राजस्व प्राप्तियां 93 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है।
चार हजार 471 करोड़ का राजस्व आधिक्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2018-19 में कुल व्यय 73 हजार 565 करोड़ की तुलना में वर्ष 2023-24 हेतु 01 लाख 21 हजार 500 करोड़ अनुमानित (65 प्रतिशत वृद्धि) है। वर्ष 2018-19 में पूंजीगत व्यय रु. 08 हजार 903 करोड़ की तुलना में वर्ष 2023-24 हेतु 18 हजार 660 करोड़ अनुमानित (2 गुणा से अधिक वृद्धि) है। पिछले 4 वर्षों में से कोविड-19 प्रभावित 02 वर्षों को छोड़कर शेष वर्षों में राजस्व आधिक्य – वर्ष 2023-24 में भी राजस्व आधिक्य 03 हजार 500 करोड़ अनुमानित एवं एजी लेखा अनुसार माह जनवरी 2023 में 04 हजार 471 करोड़ का राजस्व आधिक्य है।
इस वर्ष बाजार से कोई ऋण नहीं लिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास के लिए राशि उपलब्धता में ऋण पर कम निर्भरता रही। राज्य सरकार ने इस वर्ष बाजार से कोई ऋण नहीं लिया है। गत वर्ष 2021-22 में भी राज्य द्वारा मात्र 865 करोड़ का शुद्ध ऋण लिया गया था। वर्ष 2022-23 में जनवरी 2023 तक छत्तीसगढ़ का ऋणभार जीएसडीपी का 17.9 प्रतिशत, जो 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित सीमा 25 प्रतिशत से बहुत कम है। वर्ष 2023-24 छत्तीसगढ़ द्वारा ऋणों के ब्याज भुगतान पर राजस्व प्राप्तियों का 6.5 प्रतिशत, जो 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित सीमा 10 प्रतिशत से बहुत कम है। बेहतर वित्तीय प्रबंधन, कम ऋण व सीमित ब्याज भार के कारण विकास कार्यों हेतु पर्याप्त राशि उपलब्ध।
सकल वित्तीय घाटा निर्धारित सीमा से कम
मुख्यमंत्री ने कहा कि एफआरबीएम एक्ट में जीएसडीपी के 03 प्रतिशत तक वित्तीय घाटे की सीमा निर्धारित है। कोविड-19 आपदा को देखते हुए भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक वित्तीय घाटे की सीमा में शिथिलता दी गई थी, किन्तु वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक यह सीमा पुनः 03 प्रतिशत निर्धारित की गई है। वर्ष 2023-24 में 15 हजार 200 करोड़ सकल वित्तीय घाटा अनुमानित है जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (5,09,043 करोड़) का 2.99 प्रतिशत है।