नेशनल न्यूज़। रविवार को पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिले में अनुसूचिति जनजाति (एसटी) के दर्जे समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत कुर्मी समाज ने इस आंदोलन के पांचवें दिन कुस्तौर रेलवे स्टेशन के पास रेलपटरियों पर से अपना धरना-प्रदर्शन समाप्त कर दिया। हालांकि, पश्चिम मेदिनीपुर जिले के खेमाशुलि में रेलमार्ग अब भी बाधित है। पांच अप्रैल से चल रहे इस आंदोलन के चलते सैंकड़ों एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन रद्द कर दी गयी हैं।
कुर्मी नेता अजीत महतो ने कहा कि फिलहाल किस्तौर में आंदोलन वापस लिया जा रहा है लेकिन नेतृत्व के बीच चर्चा के बाद भविष्य में उसे तेज किया जा सकता है। कुस्तौर में अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ रेलमार्ग पर बैठे महता ने कहा, ‘‘अबतक हमारी मांगें नहीं मानी गयी हैं लेकिन हम फिलहाल आंदोलन वापस ले रहे हैं।” दक्षिण-पूर्वी रेलवे ने कहा है कि पांच अप्रैल से दो रेलवे स्टेशनों पर पटरी बाधित किए जाने कर वजह से करीब पांच सौ एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन रद्द की गयी हैं जिससे हजारों यात्रियों को बहुत परेशानी हुई।
खेमाशुली में प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे आंदोलन को जारी रखने के संबंध में अपने नेतृत्व के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड से देश में विभिन्न स्थानों पर जाने वाली कई सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेन पिछले पांच दिनों में रद्द कर दी गईं।
जिन ट्रेनों को रद्द किया गया है उनमें नई दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस, हावड़ा-पुणे -हावड़ा दुरूंतो एक्सप्रेस, हावड़ा -अहमदाबाद एक्सप्रेस, हावड़ा- मुंबई -हावड़ा मेल और अलप्पुझा-धनबाद एक्सप्रेस शामिल हैं। कुर्मी समुदाय के लोग अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने, सरना धर्म को मान्यता देने, कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने समेत कई मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। कुर्मी समुदाय मूलत: झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के छोटानागपुर पठार में केंद्रित हैं, उनके संगठनों ने अपनी ऐसी ही मांगों को लेकर सितंबर 2022 में भी इन दो स्टेशनों पर रेलमार्ग पांच दिनों तक बाधित किया था।