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आठ हजार पृष्ठ और बीस खण्डों वाली ‘गिरीश पंकज रचनावली’ प्रकाशित

 

रायपुर । हिंदी साहित्य में रचनावली प्रकाशन की एक परंपरा है, जिसमें किसी लेखक का समग्र लेखन समाहित हो जाता है। इसी परंपरा में पिछले 45 वर्षों से साहित्य और पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय छत्तीसगढ़ के लेखक गिरीश पंकज की रचनावली बीस खण्डों में प्रकाशित होकर आ गई है। ज्ञानमुद्रा पब्लिकेशन, भोपाल से निकली रचनावली के हर खंड में 400 पेज हैं। कुल 8000 पृष्ठ हैं। रचनावली के प्रकाशक-संपादक वरुण माहेश्वरी ने बताया की रचनावली के प्रारंभिक पाँच खण्डों में व्यंग्य रचनाएं हैं। छह से दस खण्डों में 14 उपन्यास हैं। उस के बाद अन्य खण्डों में कहानी, लघुकथा, गीत, ग़ज़ल,डेढ़ हजार से अधिक दोहे, बाल साहित्य, नाटक एवं समसामयिक विषयों पर लिखे गए साहित्यिक लेख शामिल हैं।

रचनावालियों का इतिहास देखें तो इसके पूर्व अनेक पुरोधा रचनाकारों की रचनावली प्रकाशित हो चुकी है। जैसे पंडित विद्यानिवास मिश्र रचनावली (21 खण्ड), प्रेमचंद रचनावली (20 खण्ड), दिनकर रचनावली (14 खण्ड), यशपाल रचनावली (14 खण्ड), अज्ञेय रचनावली (13 खण्ड), हजारीप्रसाद द्विवेदी रचनावली (12 खण्ड), बच्चन रचनावली (11 खण्ड), सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ग्रंथावली (9 खण्ड), वृंदावनलाल वर्मा समग्र (सात खंड ) निराला रचनावली (8 खण्ड), मुक्तिबोध रचनावली (6 खण्ड), परसाई रचनावली (6 खण्ड), प्रमोद वर्मा रचनावली (पांच खण्ड), जयशंकर प्रसाद ग्रन्थावली (5 खण्ड),दुष्यंत रचनावली (चार खण्ड) आदि।

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