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क्या 15 जनवरी के बाद बिना हॉलमार्क की गोल्ड ज्वैलरी नहीं बेच पाएंगे ?

नई दिल्ली : सोने के गहनों की हॉलमार्किंग को लेकर काफी लोग असमंजस में हैं. कुछ का मानना है कि ऐसे सोने के गहने जिस पर हॉलमार्किंग स्टांप न लगा हो, उन्हें 15 जनवरी के बाद से नहीं बेचा जा सकता है. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि अभी कुछ समय तक ऐसे गहनों को बेचा जा सकता है. आइए हम आपके इस असमंजस को दूर कर देते हैं और बताते हैं कि आखिर मामला क्या है?

दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक बिना हॉलमार्किंग स्टांप लगे पुराने गहनों की समय सीमा 15 जनवरी तक थी. हालांकि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए सरकार ने इसे जून 2021 तक बढ़ाने का फैसला लिया है. बता दें कि ट्रेडर्स और कंज्यूमर्स के बीच गहनों की बिक्री के दौरान ही हॉलमार्किंग एक्ट एप्लाई किया जाएगा.

15 जनवरी 2021 के बाद भी बिना हॉलमार्किंग वाला सोना एक्सचेंज किया जा सकता है. अगर कोई ट्रेडर सोना एक्सचेंज करने से मना करता है तो कंज्यूमर उस पर कानूनी कार्रवाई कर सकता है.

बता दें कि बिना हॉलमार्किंग के सोना गिरवी रखा जा सकता है. इसके अलावा गोल्ड लोन लेते समय यह नियम एप्लाई नहीं होगा. हालांकि, सोना गिरवी रखने के दौरान डीलर से कंडीशन के बारे में जरूरी जानकारी ले लें.

ज्वैलर्स 1 जून, 2021 के बाद से गहनों को बिना हॉलमार्किंग स्टांप के नहीं बेच सकते हैं. हालांकि, कंज्यूमर अपने गहनों को बेच या एक्सचेंज कर सकते हैं. वहीं ग्राहक गहने की शुद्धता के हिसाब से उसे बाजार भाव में बेच सकेंगे. नए नियम के तहत ज्वैलरी विक्रेता केवल 14, 18 और 22 कैरेट सोने से बने हॉलमार्क वाले आभूषण और स्वर्ण कलाकृतियां ही बेच सकेंगे. इसका उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना भी लगेगा. हालांकि ज्वैलर्स ग्राहकों से 21 कैरेट के आभूषण खरीद सकते हैं.

दरअसल, सोने के गहने और कलाकृतियों पर BIS हॉलमार्क में कई घटक होते हैं. जैसे BIS का लोगो, परख केंद्र का लोगो, ज्वैलर्स का लोगो, निर्माण का साल आदि. इनकी मदद से पता लगता है कि गहने शुद्ध हैं या नहीं.

हॉलमार्क एक तरह से शुद्धता का प्रमाण है. सोने, चांदी या कीमती धातुओं पर हॉलमार्क का निशान होता है. दरअसल, भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की ओर से गुणवत्ता के आधिकारिक निशान को हॉलमार्क कहते हैं. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) उपभोक्ता मंत्रालय के तहत आता है. गहने में मिलावट रोकने के लिए हॉलमार्किंग की व्यवस्था है. यह व्यवस्था बहुत पुरानी है.

अलग-अलग देशों में हॉलमार्किंग की व्यवस्था भी अलग-अलग है. हॉलमार्क के आभूषण अंतर्राष्ट्रीय मानक के होते हैं. हॉलमार्किंग के गहने की शुद्धता की गारंटी होती है. भारत में सोने के गहने पर हॉलमार्किंग की व्यवस्था साल 2000 से सोने और चांदी के गहने पर 2004 से लागू है लेकिन अभी तक भारत में गहने पर हॉलमार्क के चिन्ह की अनिवार्यता नहीं थी.

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