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महंत कॉलेज ने श्रवणबाधित बच्चों के संग मनाया युवा दिवस

रायपुर। शहर के डंगनिया स्थित संस्था कोपल वाणी में आज दिव्यांग बच्चों के लिए महंत लक्ष्मी नारायण दास महाविद्यालय के प्रयास से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर देवाशीष मुखर्जी,राहुल तिवारी, जुबेसता मैम एवं संस्था कोपल वाणी की पदमा शर्मा बतौर विशेषज्ञ शामिल हुई. इस कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बात रखते हुए कहा कि पहले श्रवण और दृष्टि बाधित बच्चों को विकलांग कहकर बुलाया जाता था, यद्यपि केंद्र सरकार के प्रयासों से शाब्दिक परिवर्तन हुआ और अब इन बच्चों को दिव्यांग कहां जाने लगा है. दरअसल यह बच्चे किसी कारण से दिव्यांग होते हैं पर वे सभी किसी सफल इंसान से कम नहीं होते सभी क्रियाएं और प्रक्रियाएं उनमें मजबूत होती हैं।

बल्कि यह कहा जाना चाहिए की एक सक्षम व्यक्ति से कहीं तीव्र और मजबूती के साथ काम करने वाले होते हैं. जरूरत इस बात की है इन बच्चों को आगे लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए और अवसर और मंच प्रदान किया जाए महंत कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर देवाशीष मुखर्जी ने भी कहा कि दिव्यांग होना कोई अभिशाप नहीं है. किसी आंशिक कमी के कारण शरीर में यह लक्षण आ जाते हैं पर समय और व्यवस्था के साथ ऐसे बच्चों को अवसर और मंच दिया जाए तो वे बेहतर काम करके दिखा सकते हैं इसके कई उदाहरण सामने आए हैं शानदार उदाहरण गीतकार रविन्द्र जैन का है। जिन्होंने हिंदी फिल्म जगत में अपने हुनर का बेहतर प्रदर्शन किया और चर्चित गायक के रूप में ख्याति प्राप्त की जबकि दृष्टि बाधित रहे हैं। श्री मुखर्जी का कहना था कि महंत लक्ष्मी नारायण दास महाविद्यालय निरंतर ऐसी कोशिशें में है कि समाज के ऐसे वर्ग और संस्था को प्रोत्साहित करने में योगदान किया जा सके।

वहीं संस्था की पदमा शर्मा ने भी बच्चों के उत्कृष्ट प्रदर्शन को बातचीत में रखी और विस्तार से जानकारी दी साथ में संस्था के कार्यों का भी बताया की किस तरह से संस्थान बच्चों को लेकर निरंतर आगे चल रही है आने वाले दिनों में संस्था के कार्य योजना को भी विस्तार से रखा इस आयोजन में संस्था के अन्य प्रमुख अधिकारी भी उपस्थित रहे साथ में संस्था में कक्षा 1 से लेकर कॉलेज स्तर तक पढ़ने वाले बच्चे दृष्टिबाधित और श्रवण बाधित शामिल हुए और कई बच्चों ने अपने विचार भी मंच में आकर साझा किया । व महाविद्यालय के बच्चों को साइन लैंग्वेज भी सिखाया बच्चे ऐसे बच्चों के बीच अपनी अपनी उपस्थिति से रोमांचित एवं भावुक उठे.

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