बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी का असर बैंक डिपोजिटों की ब्याज दरों पर पड़ा है. लगभग सभी बैंकों के टर्म डिपोजिट पर ब्याज दरें बेहद घट गई हैं. ज्यादातर बैंकों के एफडी पर ब्याज दरें पांच फीसदी तक ही सीमित हो गई हैं. चाहे सार्वजनिक बैंक हों या निजी बैंक, एफडी पर चार से पांच फीसदी ही ब्याज मिल रहा है. ऐसे में निवेशकों का रुझान तेजी से म्यूचुअल फंड में बढ़ा है. यही वजह है कि पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से खराब आर्थिक हालात में म्यूचुअल फंड इंजस्ट्री से 72 लाख नए फोलियो जुड़े.
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स एसोसिएशन यानी AMFI के आंकड़ों के मुताबिक 2019 में 68 लाख फोलियो म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री से जुड़े थे लेकिन 2020 में इनकी संख्या बढ़ कर 72 लाख फोलियो हो गई. दरअसल कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों ने अपनी बचत बैंकों में सुरक्षित रखना शुरू किया. आर्थिक अनिश्चचतता की वजह से लोगों ने खर्चों में कटौती शुरू की और बचत को तव्ज्जो दी. इससे बैंकों के पास लिक्विडिटी बढ़ गई है और उन्होंने टर्म डिपोजिट्स पर ब्याज घटा दिया. इससे डिपोजिटरों ने अपने फंड पर अधिक रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड्स की ओर रुख किया.
हाल में सेंसेक्स ने 50 हजार का आंकड़ा छू लिया. इससे भी इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेशकों की रुचि बढ़ी. यही वजह है कि निवेशकों का रुख म्यूचुअल फंड में बढ़ रहा है और फोलियो में इजाफा हो रहा है. अगर शेयर मार्केट का यह रुझान जारी रहा तो आर्थिक अनिश्चितता के बावजूद म्यूचुअल फंड फोलियो में और इजाफा दिख सकता है. AMFI के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2020 के आखिर तक 45 म्यूचुअल फंड कंपनियों के कुल फोलियो की संख्या 72 लाख बढ़ कर 9.43 करोड़ रुपये पर पहुंच गई.