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नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा, आगे चलकर ईंधन और कमोडिटी के दाम नीचे आएंगे

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बजट 2022-23 से कोई मुद्रास्फीतिकारी दबाव नहीं पड़ने का दावा करते हुए मंगलवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय ईंधन एवं जिंस कीमतों में वृद्धि का दौर शायद आगे न जारी रहे. कुमार ने भारतीय प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज (एएससीआई) की तरफ से बजट पर आयोजित एक व्याख्यान में कहा कि वैश्विक सुस्ती काफी हद तक अमेरिका एवं चीन की अर्थव्यवस्थाओं में नरमी की वजह से है.

उन्होंने कहा कि यह बजट महंगाई को बढ़ाने नहीं जा रहा है. मुझे नहीं लगता है कि बजट में किसी तरह का मुद्रास्फीतिकारी आग्रह है. हां, यह जरूर है कि वैश्विक स्तर की महंगाई का असर होगा. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि 5.9 प्रतिशत से घटकर 4.8 प्रतिशत रहेगी. यह गिरावट काफी हद तक दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में छाई सुस्ती का नतीजा है.

नीति आयोग उपाध्यक्ष ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में मुझे लगता है कि तेल और अन्य कमोडिटी कीमतों पर दबाव नरम होकर कम होगा. मुझे उम्मीद है कि फ्यूल एवं कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि उस तरह होगी जिस तरह वर्ष 2021 में हुई थी.’’ हालांकि, उन्होंने खाद्य महंगाई को बड़ी चिंता का विषय बताते हुए कहा कि प्रशासकीय एवं अन्य तरीकों से इसका बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है.’

वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पेश बजट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें भारत को अगले 25 वर्षों में डिजिटल रूप से सशक्त, विश्वस्तरीय ढांचे से लैस और स्तरीय शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए एक ठोस बुनियाद रखने की बात की गई है.

कुमार ने कहा, ‘मेरी राय में इस बजट की मुख्य विषयवस्तु अगले 25 वर्षों के लिए एक ठोस बुनियाद रखने से जुड़ी है.’’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह बजट समावेशी विकास को बेहतर ढंग से अंजाम देने और व्यवस्था के निचले स्तर पर मौजूद लोगों को भी इस प्रक्रिया में शामिल करने की बात करता है.’

 

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