गोल्ड में लगातार गिरावट ने निवेशकों के बीच इस मुद्दे को एक बार फिर गर्मा दिया है कि क्या अब उन्हें इसे बेच कर निकल जाना चाहिए या ज्यादा खरीदारी करनी चाहिए. क्या गोल्ड इस लेवल से और नीचे जा सकता है या फिर इसमें और उछाल देखने को मिल सकती है. गोल्ड को लेकर ऐसी ऊहापोह की स्थिति बनी रहती है. पिछले छह महीने में गोल्ड में 11 हजार रुपये (10 ग्राम) की गिरावट आ चुकी है. ऐसे में निवेशकों के लिए गोल्ड में दोबारा एंट्री के लिए यह अच्छा प्वाइंट हो सकता है.
अगस्त, 2020 में गोल्ड अपने सर्वोच्च स्तर पर यानी 56,200 रुपये से ज्यादा पर पहुंच गया था. लेकिन बुधवार को यह घट कर 46,120 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया. इस तरह अब तक गोल्ड में 10,098 रुपये की गिरावट आ चुकी है. दरअसल ग्लोबल मार्केट में गिरावट और बजट में गोल्ड-सिल्वर की ड्यूटी घटाने से कीमतों में यह कमी आई है. सवाल यह है कि क्या उन्हें इसे होल्ड करना चाहिए या फिर बेच कर निकल जाना चाहिए.
दरअसल देश में गोल्ड के दाम पर ग्लोबल मार्केट से ज्यादा घरेलू मार्केट का असर पड़ रहा है. ग्लोबल स्तर पर रेट में अभी ज्यादा गिरावट नहीं आई है. लेकिन भारत में गिरावट ज्यादा है. इससे गोल्ड में मांग बढ़ी है. इसका असर यह है कि यह भले ही अभी अपने टॉप लेवल से नीचे दिख रहा है लेकिन अब इसमें ज्यादा गिरावट की संभावना नहीं है. इसलिए अभी गोल्ड कर रखना ठीक रहेगा.
देश में गोल्ड की मांग में आने वाले दिनों में तेज बढ़ोतरी को देखने को मिल सकती है इसलिए इसे फिलहाल न बेचें. याद रखें, गोल्ड में निवेश लॉन्ग टर्म के लिए काफी फायदेमंद है. यह लिक्विड निवेश है और इमरजेंसी के लिए इसे सबसे अच्छा निवेश माना जाता है. निवेश के सुनहरे नियमों में गोल्ड में लगातार खरीदारी शामिल है. इसलिए गोल्ड को लेकर गोल्डन रूल्स को नजरअंदाज न करें. गोल्ड में थोड़ा-थोड़ा निवेश जरूर करें.