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सलफ जलाशय परियोजना इतिहास बनकर रह गई, विष्णु सरकार से है क्षेत्र के किसानों को उम्मीद

 

० 20 से 25 नग कोसम के झाड़ को लाखों वृक्ष बताया , सलफ जलाशय बांध निर्माण कार्य पर लगा है 44 साल से रोक

० क्षेत्र के किसान सलफ जलाशय परियोजना को पुरा करने कई बार कर चुके चक्काजाम धरना प्रदर्शन आंदोलन

० विधानसभा- लोकसभा चुनाव के समय राजनितिक दलो के घोषणा में रहता है प्रमुख मुद्दा

गरियाबंद। गरियाबंद जिले के मैनपुर क्षेत्र के बहुचर्चित सलफ जलाशय बांध का निर्माण कार्य 80 प्रतिशत पूर्ण होने के पश्चात पर्यावरण के अड़ंगा के चलते पिछले 44 वर्षो में निर्माण कार्य पूरा नही हो पाया है जबकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सभी राजनैतिक पार्टियों के नेताओ के घोषणा में सलफ जलाशय निर्माण को पूरा करने की बात कहीं जाती है। मैनपुर क्षेत्र के किसानों ने सलफ जलाशय बांध के निर्माण के लिए कई बार धरना प्रदर्शन चक्काजाम और तो और प्रदेश के तीन मुख्यमंत्रियों तक को किसानों का प्रतिनिधी मंडल मुलाकात कर जलाशय निर्माण की सभी फाईलें सौपकर निर्माण कार्य पूरी कराने की मांग कर चुके है लेकिन यह जलाशय निर्माण कार्य अब तक पूर नही हो पाया जबकि इस बांध की निर्माण से मैनपुर क्षेत्र के लगभग 2000 हेंक्टेयर खेतो में पानी की सिंचाई हो सकती है।

क्षेत्र के किसानों से चर्चा करने पर बताते हैं कि सन 1979 में मैनपुर नगर से 4कि.मी. दूर फूलझर के उपर दो पहाड़ियों को जोड़कर सलफ जलाशय निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ यह निर्माण कार्य लगातार 3-4 वर्षो तक चला जलाशय निर्माण के लिए बकायदा दोनो पहाड़ियों को चार दशक पहले लाखों रुपए खर्च कर जोड़ा जा चूका है और तो और 05 से 06 कि.मी. ग्राम हल्दीभाठा तक नहर का निर्माण कार्य भी पूर्ण हो चूका है जिसका मुआवजा भी सरकार दे चुकी है फिर निर्माण कार्य के दौरान एकाएक इस बांध निर्माण कार्य को रोक दिया गया ।

20 से 25 नग कोसम के वृक्ष को लाखों पेड बताकर बांध निर्माण कार्य पर लगा है रोक

जलाशय बांध निर्माण कार्य पर रोक लगी तो इसके बारे में क्षेत्र के किसन जो जानकारी देते है वह काफी आश्चर्य जनक है अविभाजित मध्य प्रदेश सरकार के जमाने में पर्यावरण मंत्रालय भोपाल की टीम ने जब इस जलाशय स्थल का निरीक्षण करने पहुचे तो भारी बारिश नदी में बाढ़ के कारण अफसरों की टीम जलाशय बांध निर्माण स्थल नहीं जा पाए और कुछ ग्रामीणों से ही मैनपुर रेस्ट हाऊस में बैठे बैठे सर्वे कर जानकारी लिया कि इस जलाशय बांध के निर्माण स्थल पर कितना वृक्ष डूबान में आ रहा है तो ग्रामीणो ने स्थानीय बोल चाल के भाषा में 20 से 25 लाख के पेड़ बताये । यह ये बता देना जरूरी है कि बांध निर्माण स्थल पर मात्र 20 से 25 नग कोसुम का पेड़ है और कोसुम के पेड़ को क्षेत्र में स्थानीय बोलचाल के भाषा में लाख का पेड़ कहा जाता है ग्रामीणो ने बोलचाल के भाषा में पर्यावारण मंत्रालय के अफसरों की टीम को बताया कि यहां मात्र 20 से 25 नग लाख के पेड़ हेै जिसे जांच में पहुंची अफसरों की टीम ने 20 से 25 लाख यानी लाखो पेड़ समझ बैठा और टीम के सदस्यों ने कहा कि 20 से 25 लाख पेड़ को जलाशय बांध निर्माण के लिए नही काटा जा सकता। इस तरह 20-25 नग कोसुम के पेड़ को लाखो पेड़ बताकर इसका निर्माण कार्य पिछले 44 साल रोक दिया गया उसके बाद लगातार क्षेत्र के लोग आविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पंडित श्यामाचरण शुक्ल,दिग्विजय सिंह से लेकर छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी, पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह, भुपेश बघेल तक मुलाकात कर उन्हे सलफ जलाशय बांध निर्माण की फाईल सौपकर मात्र 20-25 नग पेड़ होने की बात बताते हुए पुनः जांच कराते हुए निर्माण कार्य को प्रारंभ करने कई बार मांग पत्र फाईल सौंप चूके है जब भी कोई मंत्री बड़े नेता और बड़े अफसर का इस क्षेत्र में दौरा होता है तो क्षेत्र के लोग सलफ जलाशय बांध निर्माण की मांग प्राथमिकता के साथ उनके सामने रखते है लेकिन अब तक सिर्फ क्षेत्र के लोगो को अश्वासन पर अश्वासन ही मिला। क्षेत्र के वरिष्ठ किसान नेता हेमसिंह नेगी, योगेश शर्मा, खेदुनेगी,निरज ठाकुर,थानु पटेल सीयाराम ठाकुर, टीकमसिंह कपिल,संजय त्रिवेदी,संजय गुप्ता,सोतन सेन, गज्जू नेगी, सुधीर ठाकुर,रामकृष्ण ध्रुव , आलोक गुप्ता,आलीम अंसारी, निहाल नेताम,तनवीर राजपुत, पिलेश्वर सोरी, अमृतलाल नागेश, डोमार साहू ने बताया कि संबंधित विभाग द्वारा 20-25 नग कोसुम के पेड़ को लाखो लाख पेड़ बता कर बांध निर्माण कार्य पर अड़ंगा लगा दिया गया है जबकि मैनपुर क्षेत्र में सिंचाई का कोई भी साधन नही है और यहां के किसानो के लिए सलफ जलाशय वरदान साबित होगा। किसानो ने बताया कि बांध निर्माण कार्य 80 प्रतिशत पूरा हो चूका है ग्राम हरदीभाठा तक नहर नाली का भी निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है।
सफल जलाशय के निर्माण से इन ग्रामों के हजारों हेक्टेयर खेतो में सिंचाई होगी,सलफ जलाशय निर्माण से फूलझर,मैनपुरकला,मौहाभाठा, मैनपुर,हरदीभाठा,भाठीगढ़,नाहनबिरी,गोपालपुर,छुईया,साल्हेभाठ,गौरघाट नवमुड़ा,जाड़ापदर,जिड़ार,तुहामेटा गिरहोला,देहारगुड़ा आदि ग्रामो के लगभग 2000 हेक्टेयर खेतो की सिंचाई हो सकती है।

एक साल पहले निर्माण कार्य प्रारंभ कराने प्रशासनिक तैयारियां प्रारंभ हो चुका था

सलफ जलाशय निर्माण को लेकर प्रशासनिक कवायद फिर से तेज हो गई थी गरियाबंद के तत्कालीन कलेक्टर प्रभात मलिक और वन विभाग के आला अधिकारियों व सिंचाई विभाग के अधिकारियों की टीम एक साल पूर्व सलफ जलाशय निर्माणाधीन स्थल का निरीक्षण कर मामले की रिपोर्ट शासन स्तर तक भेजी गई और निर्माण कार्य प्रारंभ करने की तैयारी किया गया था जिसके लिए सिंचाई विभाग द्वारा साफ सफाई कार्य भी करवाई गई थी,

सिंचाई विभाग गरियाबंद कार्यपालन अभियंता ने बताया

सिंचाई विभाग गरियाबद के कार्यपालन अभियंता  एस के बर्मन से चर्चा करने पर कहते है कि सलफ जलाशय निर्माण कार्य में वन विभाग द्वारा रोक लगाई गई है वन विभाग द्वारा एनओसी मिलने के बाद ही कार्य पूर्ण हो पाएगा, एक डेढ़ वर्ष पहले गरियाबंद के तत्कालीन कलेक्टर प्रभात मलिक और सिंचाई विभाग की टीम मौके का निरीक्षण कर पूरा दस्तावेज वन विभाग को सौप जा चुका है जल्द ही वन विभाग से एनओसी मिलने की उम्मीद है श्री बर्मन ने बताया शुरू में जब यह योजना प्रारंभ की गई तब 50- 60 लख रुपए से यह कार्य प्रारंभ किया गया था अब इसे पूरा करने में 60 से 70 करोड़ रूपए खर्च आएगी.

मामले को विधानसभा में प्राथमिकता के साथ उठाएंगे : जनक धुव विधायक बिन्द्रानवागढ

बिन्द्रानवागढ विधानसभा क्षेत्र के विधायक जनक धुव ने कहा कि सलफ जलाशय स्थल पर मात्र 20-25 नग कोसुम का पेड है जिसे स्थानीय बोलचाल भाषा में लाख का पेड़ कहते हैं इस मामले को लेकर उन्होने कई बार वन विभाग के आला अधिकारियों और सिंचाई विभाग के अधिकारियों से क्षेत्र के किसानों ने चर्चा कर चुके है, साथ ही पुरे जलाशय निर्माण के संबध में सर्वे हो चुका है, जल्द सलफ जलाशय निर्माण कार्य पूरा किया जाना चाहिए मामले को विधानसभा में प्राथमिकता के साथ उठेंगे, विधायक जनक ध्रुव ने आगे कहा जरूरत पड़ी तो किसानों के साथ आंदोलन भी करेंगे।

 

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