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13 अप्रैल से शुरू हो रहा है शक्ति की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्रि, जानें कब करें कलश स्थापना

शक्ति की उपासना के पर्व नवरात्रि का हिंदू धर्म में खास महत्व है. मां दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना गया है. मां दुर्गा की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. नवरात्रि के पावन पर्व पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व वर्ष में चार बार आता है. माघ नवरात्रि और आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. वही चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. पंचांग के अनुसार इस वर्ष यानि वर्ष 2021 में चैत्र नवरात्रि का पर्व 13 अप्रैल मंगलवार से आरंभ हो रहा है. चैत्र नवरात्रि का समापन 22 अप्रैल को होगा

चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है. जिसमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की पूजा की जाती है.  इन सभी देवियों का विशेष महत्व माना गया है. इन सभी देवियों की पूजा करने से नवग्रहों की शांति भी होती है.

चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन यानि 13 अप्रैल को कलश स्थापना की जाएगी. नवरात्रि में कलश यानि घटस्थापना का विशेष महत्व माना गया है. कलश की स्थापना विधि पूवर्क करनी चाहिए, तभी इसका संपूर्ण लाभ प्राप्त होता है.पहले दिन घट स्थापना या कलश स्थापना करने का विशेष महत्व होता है.

घटस्थापना तिथि- 13 अप्रैल

महानिशा पूजा तिथि- 20 अप्रैल

नवरात्रि में मां दुर्गा के वाहन का भी विशेष महत्व माना गया है. ऐसा माना जाता है कि मां दुर्गा हर नवरात्रि के प्रथम दिन अलग अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं. मोदिनी ज्योतिष शास्त्र में इस पर प्रकाश डाला गया है. मां के वाहन से भी सुख समृद्धि का पता लगाया जाता है. विशेष बात ये है कि वर्ष 2020 में जिस वाहन से मां दुर्गा सवार होकर आईं भी इस वर्ष भी उसी वाहन पर सवार होकर मां दुर्गा आ रही हैं. यानि इस वर्ष मां के वाहन में कोई बदलाव नहीं है. वर्ष 2021 में वासंतिक नवरात्रि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को भी मां दुर्गा का वाहन अश्व ही रहेगा. इस वर्ष मंगलवार से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रहे हैं. इसलिए मां का वाहन अश्व है.

 

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