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पर्पिचुअल यील्ड में बढ़ोतरी से म्यूचुअल फंड घबराए, निकासी की रफ्तार तेज

शेयरों, म्यूचुअल फंड जैसे एसेट क्लास में तेज गिरावट की वजह से पर्पिचुअल बॉन्ड के यील्ड में तेज बढ़ोतरी दिखी है. इस वजह से म्यूचुअल फंड ने इसमें से तेज निकासी शुरू कर दी है.सेबी ने म्यूचअल फंड के लिए नई स्कीम लागू की है. इस नियम के मुताबिक कोई भी म्यूचुअल फंड अपनी डेट स्कीमों के कुल निवेश का दस फीसदी से ज्यादा निवेश उन बॉन्ड्स में नहीं कर सकेगा, जिन्हें इक्विटी में बदला जा सकता है. इसमें पोर्टफोलियो के पांच फीसदी को एडिशनल टियर 1 और एडिशनल टियर टू बॉन्ड्स में लगाने का कोटा भी शामिल है. इन्हें पर्पिचुअल बॉन्ड भी कहा जाता है.

नए नियम से पर्पिचुअल बॉन्ड के यील्ड में अब तक की सबसे तेज बढ़ोतरी हुई है. लिहाजा म्यूचुअल फंड की वैल्यूएशन घटी है. म्यूचुअल फंड इन पर्पिचुअल फंड में सबसे बड़े निवेशक है. जब बॉन्ड यील्ड बढ़ते हैं तो कीमतें घटती हैं. कहा जा रहा है कि म्यूचुअल फंड ने बड़ी तादाद में पर्पिचुअल बॉन्ड बेचे हैं. धनी निवेशकों और चुनिंदा बड़ी कंपनियों की ओर ये डिस्काउंट में खरीदे गए थे.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेबी की ओर से पर्पिचुअल बॉन्ड से जुड़े नियमों के बारे में स्पष्टीकरण न दिए जाने से इनकी बिकवाली में काफी इजाफा हो सकता है. म्यूचुअल फंड की ओर से इससे निवेशकों में इजाफा हो रहा है. यहां तक कि सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाले टॉप पेपर्स से निवेशक निकल रहे हैं.

पर्पिचुअल बॉन्ड शेयर बाजार में सूचीबद्ध होते हैं. निवेशक शेयर बाजार में इन बॉन्ड्स की खरीद-बिक्री कर सकते हैं. दरअसल जिन कंपनियों या बैंकों को लंबी अवधि के लिए पैसे की जरूरत होती हैं वे ऐसे बॉन्ड जारी करते हैं. हालांकि निवेशकों को लिक्वडिटी, ब्याज दरों और क्रेडिट रेटिंग का ध्यान रखना चाहिए. कई बार बड़ी कंपनियां या बैंक डिफॉल्ट कर जाते हैं और निवेशकों का पैसा डूब जाता है. पिछले दिनों यस बैंक अपने पर्पिचुअल बॉन्ड खरीदारों को पैसा नहीं दे पाया था. इसके बाद पर्पिचुअल बॉन्ड में निवेशकों का रुझान घट गया था.

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