Close

टाटा बनाम साइरस मिस्त्री विवाद में सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा अपना फैसला, जानें क्या है पूरा मामला?

देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकता है. इस मामले में टाटा संस और साइरस मिस्त्री दोनों की ओर से जल्दी मामले को निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. टाटा संस प्राइवेट लि. और साइरस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लि. ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले के खिलाफ क्रॉस अपील दायर की थी, जिसपर शीर्ष न्यायालय फैसला सुनाएगा. एनसीएलएटी ने अपने आदेश में 100 अरब डॉलर के टाटा समूह में साइरस मिस्त्री मिस्त्री को कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल कर दिया था. शीर्ष अदालत के अनुसार मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ शुक्रवार को इस मामले में फैसला सुनाएगी.

पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी सुब्रमण्यम भी शामिल हैं. पीठ ने पिछले साल 17 दिसंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था. शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह ने न्यायालय से कहा था कि अक्टूबर, 2016 को हुई बोर्ड की बैठक में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना खूनी खेल और घात लगाकर किया गया हमला था. यह कंपनी संचालन के सिद्धान्तों के खिलाफ था. वहीं टाटा समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं था और बोर्ड ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मिस्त्री को पद से हटाया था.

टाटा संस के चेयरमैन ने 2010 में जब रिटायरमेंट लेने की घोषणा की तब से नए चेयरमैन की खोज शुरू हो गई. अंततः 2012 में टाटा परिवार से अलग शापूरजी पालोनजी के साइरस मिस्त्री को टाटा संस का चेयरमैन नियुक्त किया गया लेकिन चार साल बाद उन्हें नाटकीय घटनाक्रम में हटा दिया गया.

24 अक्टूबर 2016 को टाटा संस के रतन टाटा ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से बर्खास्त कर दिया. इस फैसले के खिलाफ साइरस मिस्त्री ने कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में याचिका दायर किया. ट्रिब्यूनल ने मिस्त्री की याचिका खारिज करते हुए कहा है कि टाटा संस को यह अधिकार है कि वह चेयरमैन को किसी भी वक्त हटा सके. इस फैसले के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में चुनौती दी गई. एनसीएलएटी ने दिसंबर 2019 में साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने को अवैध करार दिया. इसके अलावा टाटा संस में कई तरह की अनियमितता होने की भी बात कही. इस फैसले के खिलाफ टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि साइरस मिस्त्री ने कंपनी के बोर्ड ऑफ डाइरेक्टरर्स में सभी सदस्यों का विश्वास खो दिया, इसलिए कंपनी के हित में साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया गया.

एक अनुमान के मुताबिक टाटा समूह की सभी सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 7.9 लाख करोड़ है. हालांकि क्रिसिल के मुताबिक यह 7.13 लाख करोड़ रुपये है. टाटा समूह में टाटा संस की हिस्सेदारी 66 प्रतिशत है. इसके बाद सबसे ज्यादा शापूरजी समूह की हिस्सेदारी है जिस परिवार के साइरस मिस्त्री हैं. शापूरजी समूह की हिस्सेदारी टाटा समूह में 18. 37 प्रतिशत है. यानी 1.75 लाख की हिस्सेदारी शापूरजी समूह की टाटा समूह में है.

scroll to top