गुड़ी पड़वा : पंचांग के अनुसार 13 अप्रैल मंगलवार को चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन नवरात्रि के पर्व की भी शुरुआत होगी. गुड़ी पड़वा का पर्व महाराष्ट्र में बहुत ही श्रद्धाभाव से मनाया जाता है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार गुड़ी पड़वा से ही हिंदू नववर्ष का आरंभ होता है.
गुड़ी पड़वा का पर्व महाराष्ट्र के साथ ही गोवा और केरल में भी मनाया जाता है. यहां पर इसे ‘संवत्सर पड़वो’ के नाम से जाना जाता है. वहीं कर्नाटक में इसे युगाड़ी पर्व के नाम से जाना जाता है. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में उगाड़ी, कश्मीर में ‘नवरेह’, मणिपुर में सजिबु नोंगमा पानबा या मेइतेई चेइराओबा कहा जाता है.
गुड़ी पड़वा की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान राम लंकापित को पराजित कर अयोध्या लौटे थे. वहीं ये भी मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था और इसी दिन से पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हुई थी. इसीलिए इस दिन ब्रह्माजी की विशेष पूजा का विधान भी है.
गुड़ी पड़वा शुभ मुहूर्त
गुड़ी पड़वा तिथि: 13 अप्रैल 2021
प्रतिपदा तिथि आरंभ: 12 अप्रैल, सोमवार की सुबह 08 बजे से.
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 13 अप्रैल, मंगलवार की सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक.
गुड़ी पड़वा का महत्व
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का विशेष महत्व है. इस दिन घरों में मीठी रोटी बनाई जाती है. जिसे पूरन पोली कहा जाता है. पूरन पोली गुड़, नमक, नीम के फूल, इमली और कच्चा आम मिलाकर बनाई जाती है. गुड़ी पड़वा पर नीम खाने की भी परंपरा है. नीम कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने में सक्षम माना गया है. गुड़ी पड़वा पर भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है. इसके साथ ही भगवान राम, मां दुर्गा और हनुमान जी की भी पूजा की जाती है.