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14 को है बैसाखी, जानें महत्त्व और इसकी मान्यताएं

बैसाखी का त्‍योहार प्रमुख रूप से पंजाब और हरियाणा के साथ दिल्‍ली के आस-पास के कुछ हिस्‍सों में धूमधाम से मनाया जाता है। यह मुख्‍य रूप से पंजाबी और सिख समुदाय के लोगों का त्‍योहार है और इन स्‍थानों पर सबसे ज्‍यादा मनाया जाता है, जहां इस समुदाय के लोग अधिक रहते हैं। इस साल बैसाखी 14 अप्रैल को है। बैसाखी को लेकर यह भी मान्‍यता है कि वर्ष 1699 में इस दिन सिखों के 10वें गुरु यानी गुरु गोबिंद सिंह ने पवित्र खालसा पंथ की स्थापना की थी। पंजाब एक कृषि प्रधान राज्‍य है। इसलिए पारंपरिक रूप से यह त्‍योहार सिख समुदाय के लोग फसल पकने की खुशी में मनाते हैं। आइए आपको बताते हैं कि बैसाखी का महत्‍व, मुहूर्त और इससे जुड़ी मान्‍यताएं।
हर साल मेष संक्रांति के दिन बैसाखी का त्‍योहार मनाया जाता है। इस साल मेष संक्रांति 14 अप्रैल को है। इसलिए इसी दिन बैसाखी का त्‍योहार सभी सिख समुदाय के लोग धूमधाम से मनाएंगे। इस दिन नई फसल के स्‍वागत में नए कपड़े भी पहने जाते हैं।

बैसाखी का महत्‍व

बैसाखी को फसल के त्‍योहार के रूप में मनाया जाता है। वैशाख मास तक उत्‍तर भारत में रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है और उनकी कटाई शुरू कर दी जाती है। इसलिए बैसाखी के दिन नई फसल के घर आने की खुशी में खुशियां और उत्‍सव मनाने की परंपरा है। शाम के वक्‍त लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और खुशियां मनाते हैं। इस दिन लोग पंजाब का पारंपरिक नृत्‍य गिद्दा और भांगड़ा भी करते हैं।

ऐसे मनाते हैं बैसाखी का त्‍योहार

बैसाखी का त्‍योहार बहुत जोश उल्‍लास और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घर को सजाते हैं। रंगोली बनाते हैं और तरह-तरह के पकवान बनाते हैं। घर की साफ-सफाई की जाती हैं, गुरुद्वारों को सजाया जाता है। गुरुद्वारे में विशेष पूजा-अर्चना होती है और लोग गुरु वाणी को सुनते हैं। खीर और शरबत का वितरण किया जाता है। सुख समृद्धि के लिए प्रार्थनाएं की जाती हैं।

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