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पेट्रोल-डीजल के दाम ना घटाने पर पेट्रोलियम मंत्री ने क्या दी दलील, राज्यों पर डाली ये जिम्मेदारी

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि उपभोक्ताओं को राहत के लिए केंद्र सरकार राज्यों से पेट्रोल और डीजल पर मूल्यवर्धित कर (वैट) घटाने की अपील कर रही है. देश में ईंधन की ऊंची कीमतों को लेकर केंद्र को चौतरफा आलोचनाओं को झेलना पड़ रहा है.

छत्तीसगढ़ यात्रा पर थे हरदीप पुरी

हरदीप पुरी एक दिन की यात्रा पर छत्तीसगढ़ के महासमुंद आए थे. इसे केंद्रीय योजना के तहत ‘आकांक्षी जिलों’ में रखा गया है. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जा रहे ‘सामाजिक न्याय पखवाड़ा’ के तहत विभिन्न सरकारी योजनाओं की समीक्षा के लिए यहां आए थे.

पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नियंत्रण में रखने का प्रयासहरदीप पुरी

पुरी ने कहा, “हमारा प्रयास पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नियंत्रण में रखने का है. इसी वजह से केंद्र ने पिछले साल पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाया था. केंद्र ने राज्यों से भी ऐसा करने को कहा था.

राज्यों को घटाना चाहिए पेट्रोल और डीजल पर वैटहरदीप सिंह पुरी

पुरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पेट्रोल और डीजल पर वैट 24 फीसदी है. “यदि इसे घटाकर 10 फीसदी किया जाता है, तो कीमतें स्वत: नीचे आ जाएंगी. जब खपत बढ़ रही हो, तो 10 फीसदी वैट भी काफी ज्यादा है.” उन्होंने कहा, “न मैं वित्त मंत्री हूं और न ही अंतरराष्ट्रीय कीमतों को नियंत्रित करता हूं. अभी हमारी कोशिश है कि केंद्र सरकार की जो जिम्मेदारी है उसे वह निभाएगी और राज्यों की सरकारों से अपील की जा रही.” पुरी ने इस बात का उल्लेख किया कि भाजपा शासित सभी राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट घटाया है.

प्रधानमंत्री आवास योजना पर भी की बात

उन्होंने पिछले ढाई वर्ष से ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राशि नहीं मिलने के सवाल पर कहा कि शहरी क्षेत्रों में कोई समस्या नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या है और राज्य सरकार से इस विषय में बात की जाएगी.

राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जताया रोष

राज्य में केंद्रीय मंत्री के दौरे को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि वह राज्य में राजनीति करने और अपनी जमीन तलाशने आए हैं. बघेल ने कहा कि केंद्रीय मंत्री यहां के आकांक्षी जिलों का भ्रमण करने निकले हैं. भारत सरकार इन आकांक्षी जिलों को अतिरिक्त पैसा नहीं देती है. बस्तर क्षेत्र के सात जिले नक्सल प्रभावित हैं और आकांक्षी जिले हैं. उन्हें वर्ष 2021 तक प्रतिवर्ष 50 करोड़ रुपये मिलता था, उसे बंद कर दिया गया है.

 

 

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