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चुनावी रैलियों के कारण कोरोना के मामले बढे

आखिरकार वही हुआ, जिसका डर था। सरकार और चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी में लोगों की जान जोखिम में डाल दी है। करीब डेढ़ महीने से जारी चुनावी कार्यक्रम जानलेवा साबित होने लगा है। ये हम नहीं, आंकड़े बोल रहे हैं। हमने इन पांच राज्यों के 1 अप्रैल से 14 अप्रैल तक के आंकड़े देखे। इससे पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में 420%, असम में 532%, तमिलनाडु में 159%, केरल में 103% और पुड्‌डुचेरी में 165% कोरोना केस बढ़ गए। औसत के तौर पर देखें तो इन पांच राज्यों में मौतों में भी 45% का इजाफा हो गया है। और ये तो महज शुरुआत है। आने वाले वक्त में स्थितियां बिगड़ने ही वाली हैं। अगर ये चुनावी रैलियां और भीड़ जुटाकर सभाएं नहीं होतीं तो न जाने कितनों की जान बच सकती थीं। खैर, आप एक-एक करके पांचों राज्यों के हालात से रूबरू होइये

फोटो पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की है। यहां 8 मार्च को BJP की तरफ से बड़ी चुनावी रैली का आयोजन किया गया था। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेताओं ने शिरकत की थी। लाखों की संख्या में लोग रैली में शामिल हुए थे। इस बीच कोविड नियमों का जमकर उल्लंघन हुआ था।

फोटो पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की है। यहां 8 मार्च को BJP की तरफ से बड़ी चुनावी रैली का आयोजन किया गया था। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेताओं ने शिरकत की थी। लाखों की संख्या में लोग रैली में शामिल हुए थे। इस बीच कोविड नियमों का जमकर उल्लंघन हुआ था।

1. असम : कोरोना मरीजों का आंकड़ा 537 से बढ़कर 3398 हुआ

शुरुआत असम से इसलिए कर रहे हैं कि यहां के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। असम में 16 से 31 मार्च के बीच केवल 537 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे। मतलब उस दौरान स्थिति काफी बेहतर थी। अब जरा 1 से 14 अप्रैल के बीच नजर डालें तो डर लगना वाजिब है। इन 14 दिनों में रिकॉर्ड 3398 लोग कोरोना की चपेट में आ गए यानी अब कोरोना की रफ्तार 532% हो चुकी है। मौत के मामलों में भी ये तेजी देखने को मिली। मार्च में जहां केवल 6 लोगों ने जान गंवाई थी, वहीं इन 14 दिनों के अंदर अब तक 15 मौतें दर्ज हो चुकी हैं।

असम में चुनावी रैली को संबोधित करतीं कांग्रेस लीडर प्रियंका गांधी। इस रैली में भी कोरोना के नियमों को ताक पर रख दिया गया था। लोग बगैर मास्क के दिखे।

फोटो असम की है। यहां चुनावी रैली को संबोधित करतीं कांग्रेस लीडर प्रियंका गांधी। इस रैली में भी कोरोना के नियमों को ताक पर रख दिया गया था। लोग बगैर मास्क के दिखे।

2. पश्चिम बंगाल : मार्च में केवल 8 हजार मरीज मिले, इस बार 41 हजार से ज्यादा

चुनाव के लिहाज से इस बार पश्चिम बंगाल काफी चर्चा में है। प्रधानमंत्री से लेकर ममता बनर्जी तक देश के कई बड़े नेता इस समय बंगाल में खूब चुनावी रैलियां, रोड शो और सभाएं कर रहे हैं। इन रैलियों में थोड़े बहुत नहीं बल्कि लाखों की भीड़ जुट रही है। इनमें भी 80% लोग बगैर मास्क के होते हैं। मंच पर भी आपको एक-दो ही लोग ऐसे दिखेंगे जो मास्क पहने रहते हैं। मतलब कोविड नियमों की खूब धज्जियां उड़ रहीं हैं। इसका असर भी अब देखने को मिलने लगा है।

बंगाल में पिछले 14 दिन के अंदर कोरोना की रफ्तार में 420% का इजाफा दर्ज किया गया है। यहां 16 से 31 मार्च तक केवल 8,062 मरीज मिले थे, जो इस बार 1-14 अप्रैल के बीच बढ़कर 41 हजार 927 हो गए। इस दौरान मौतें भी खूब हुईं। मार्च में जहां केवल 32 लोगों ने जान गंवाई, वहीं इन 14 दिनों के अंदर अब तक 127 लोगों की मौत हो चुकी है।

फोटो पश्चिम बंगाल के बीरभूम की है। यहां TMC की चुनावी रैली को संबोधित करतीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी। इस रैली में भी 80% लोग बगैर मास्क के पहुंचे। सोशल डिस्टेंसिंग की भी खूब धज्जियां उड़ाई गई।

फोटो पश्चिम बंगाल के बीरभूम की है। यहां TMC की चुनावी रैली को संबोधित करतीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी। इस रैली में भी 80% लोग बगैर मास्क के पहुंचे। सोशल डिस्टेंसिंग की भी खूब धज्जियां उड़ाई गई।

3. केरल : मार्च में 30 हजार मरीज मिले थे, इस बार 61 हजार से ज्यादा

यहां तो पहले से ही कोरोना ने लोगों की कमर तोड़ रखी थी। जब पूरे देश में संक्रमितों की संख्या घट रही थी, तो यहां तेजी से बढ़ रही थी। बीच में कुछ राहत मिली, लेकिन चुनाव ने फिर यहां के लोगों को धधकती आग में झोंक दिया। राजनीतिक दलों ने रैलियां, रोड शो और सभाएं करके संक्रमण ऐसे फैलाया कि अब हालात बेकाबू होते जा रहे हैं।

केरल में अप्रैल के 14 दिनों में नए मरीजों की संख्या में 103% का इजाफा दर्ज किया गया है। 16 से 31 मार्च के बीच में यहां कुल 30 हजार 390 लोग संक्रमित मिले थे, जो इस बार अप्रैल में बढ़कर 61 हजार 793 हो गए हैं। इसी तरह मौत के आंकड़े भी हैं। मार्च में यहां 199 लोगों ने जान गंवाई थी, जबकि अप्रैल के इन 14 दिनों में अब तक 204 मौतें हो चुकी हैं।

केरल में जनसभा को संबोधित करते मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन। मुख्यमंत्री की रैलियों में भी 90% लोग बगैर मास्क के ही आते हैं। मुख्यमंत्री इन दिनों खुद कोरोना से संक्रमित हैं।

केरल में जनसभा को संबोधित करते मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन। मुख्यमंत्री की रैलियों में भी 90% लोग बगैर मास्क के ही आते हैं। मुख्यमंत्री इन दिनों खुद कोरोना से संक्रमित हैं।

4. तमिलनाडु : 159% की रफ्तार से बढ़ने लगे कोरोना मरीज

राज्य में कोरोना के मामले मार्च में भी तेजी से बढ़ रहे थे, लेकिन अब इसकी रफ्तार कहीं ज्यादा बढ़ गई है। 16 से 31 मार्च के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां उस दौरान कुल 25 हजार 244 लोग संक्रमित पाए गए थे, जो इस बार 1 से 14 अप्रैल के बीच बढ़कर 65 हजार 458 तक पहुंच गए हैं। संक्रमण की रफ्तार में 159% का इजाफा दर्ज किया गया है। इसी तरह मौत के आंकड़े भी हैं। मार्च में यहां 163 लोगों की मौतें हुईं थीं। इस बार इन 14 दिनों के अंदर अब तक 232 लोग जान गंवा चुके हैं। तमिलनाडु के कोयंबटूर में रोड शो करते कांग्रेस नेता राहुल गांधी। राहुल खुद तो मास्क पहने दिखे, लेकिन उनके साथ ज्यादातर लोग बगैर मास्क के ही चल रहे थे।तमिलनाडु के कोयंबटूर में रोड शो करते कांग्रेस नेता राहुल गांधी। राहुल खुद तो मास्क पहने दिखे, लेकिन उनके साथ ज्यादातर लोग बगैर मास्क के ही चल रहे थे।

5. पुडुचेरी : अप्रैल के 14 दिनों में 3 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित मिले

ये केंद्र शासित प्रदेश कोरोना के पहले पीक में भी ठीक स्थिति में था। मतलब यहां बाकी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों की तरह ज्यादा मरीज नहीं बढ़ रहे थे। नवंबर से फरवरी के आखिरी हफ्ते तक यहां एक दिन में अधिकतम 50 मरीज बढ़ते थे, लेकिन अब हालात बिगड़ने लगे हैं। अब हर दिन 400 से 500 लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं। कोरोना के नए मामलों की रफ्तार में 165% का इजाफा दर्ज किया गया है। यहां 16 से 31 मार्च के बीच 1400 लोगों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इस बार 1 से 14 अप्रैल के बीच ये बढ़कर 3,721 हो गई है। इसी तरह मौत के मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मार्च में यहां संक्रमण के चलते 9 मौतें हुईं थी, जो इस बार बढ़कर 15 हो गई हैं।

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