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कही-सुनी (21APRIL-24 ): छत्तीसगढ़ कांग्रेस के बुरे दिन

रवि भोई की कलम से

कहावत है कि जब जहाज डूबता है तो चूहे उसे छोड़कर भागते हैं, पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं। बिलासपुर लोकसभा से कांग्रेस के सशक्त दावेदार रहे विष्णु यादव की बात करें या भूपेश बघेल के राज में संसदीय सचिव रहे शिशुपाल सोरी की, या फिर कांग्रेस राज में संगठन में पावरफुल पदों की शोभा बढ़ा चुके लोगों की। लोकसभा चुनाव की घोषणा से होने से पहले और अब तक कई कांग्रेसी भगवाधारी हो गए हैं। छत्तीसगढ़ को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में जीत का बादल फटा भी। राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 68 सीटें उसके खाते में आईं, फिर तीन उपचुनावों में भी उसे जीत मिली। 2018 से 2023 तक राज्य में कांग्रेस की सरकार रही। सरकार जाने के तीन-चार महीने के भीतर ही कांग्रेसियों का बड़े पैमाने पर पलायन सोचनीय है। कांग्रेस ने नेता-कार्यकर्ताओं के पलायन को रोकने के लिए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू की अध्यक्षता में एक समिति तो बनाई है। समिति बनने के बाद भी पलायन थमता नहीं दिख रहा है। कांग्रेसी केसरिया गमछा गले में डालते जा रहे हैं। कहा जा रहा है बुरे दिन में भी कांग्रेस के दिग्गज आलोचना को बर्दास्त नहीं कर पा रहे हैं। कड़वी सच्चाई को सामने रखने वालों पर लगाम कसा जा रहा है। छत्तीसगढ़ में अभी एक ही चरण का मतदान हुआ है, और दो चरण के मतदान होते-होते तक कितने कांग्रेसी भाजपाई हो जाएंगे, यह कहा नहीं जा सकता। कांग्रेस नेताओं का पलायन कोई नई बात नहीं है। राज्य बनने के बाद खांटी कांग्रेसी स्व. विद्याचरण शुक्ल पार्टी से नाता तोड़कर एनसीपी में गए और बाद में फिर कांग्रेस में आ गए। मुख्यमंत्री रहते भाजपा के 12 विधायकों को कांग्रेस में लाने वाले स्व. अजीत जोगी ने भी पार्टी का दामन छोड़ा। जोगी ने उपचुनाव लड़ने के लिए भाजपा विधायक से सीट खाली करवाई। बाद में जोगी ने कांग्रेस छोड़कर अलग पार्टी बनाई और विधानसभा चुनाव लड़कर पांच सीटें जीती भी, पर उनके साथ कांग्रेस छोड़ने वाले कुछ फिर कांग्रेसी हो गए और कुछ भाजपाई। यह तो समयचक्र है। लोग आते-जाते रहते हैं, लेकिन कांग्रेस से लोगों का पलायन लोकसभा चुनाव पर कितना असर डालेगा, यह देखने वाली बात होगी।

क्या साहू समाज लामबंद होगा ?

छत्तीसगढ़ में ओबीसी में साहू समाज के वोटरों की संख्या अधिक आंकी जाती है। राज्य में साहू वोटरों को परंपरागत रूप से भाजपा के पाले में माना जाता है। भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में तोखन साहू को बिलासपुर से उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने महासमुंद से ताम्रध्वज साहू और दुर्ग से राजेंद्र साहू को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने बिलासपुर में तोखन साहू से मुकाबले के लिए जाति का दांव खेला है। भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव को बिलासपुर लोकसभा से खड़ा किया है। कहते हैं साहू समाज अपने समाज के प्रत्याशियों की जीत के लिए एकजुट होता है। अब लोग कयास लगा रहे हैं कि साहू समाज बिलासपुर में तोखन साहू के लिए लामबंद होते हैं, तो महासमुंद में ताम्रध्वज साहू और दुर्ग में राजेंद्र साहू के लिए एकजुट हो सकते हैं। ऐसे में महासमुंद और दुर्ग में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है। महासमुंद और दुर्ग में भी बड़ी संख्या में साहू वोटर हैं। वैसे भाजपा ने महासमुंद और दुर्ग में ओबीसी प्रत्याशी ही खड़े किए हैं। महासमुंद में रूपकुमारी चौधरी भाजपा प्रत्याशी हैं तो दुर्ग में विजय बघेल।

अमन सिंह और मुकेश गुप्ता के अच्छे दिन

भूपेश बघेल के राज में संकट के बादलों में घिरे अमन सिंह और मुकेश गुप्ता के अच्छे दिन दिखाई पड़ने लगे हैं। अमन सिंह के खिलाफ ईओडब्ल्यू और एसीबी में दर्ज आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें राहत मिल गई है। अमन सिंह के खिलाफ जांच बंद करने के ईओडब्ल्यू और एसीबी के कदम पर कोर्ट ने भी मुहर लगा दी, वहीं मुकेश गुप्ता के खिलाफ लोक आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाने के साथ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रकरण निरस्त करने का आदेश दे दिया। मुकेश गुप्ता 1988 बैच के रिटायर्ड आईपीएस अफसर हैं। भूपेश बघेल सरकार में मुकेश गुप्ता को निलंबित कर दिया गया था। अमन सिंह भारतीय राजस्व सेवा के अफसर रहे हैं। इन दिनों वे अडानी समूह से जुड़े हैं। डॉ रमनसिंह की सरकार में अमन सिंह और मुकेश गुप्ता बड़े पावरफुल अफसर थे।

लोकसभा के बाद छत्तीसगढ़ में उपचुनाव

भाजपा ने रायपुर दक्षिण के विधायक और शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर लोकसभा से प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने तीन वर्तमान विधायकों को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा है। राजनांदगांव लोकसभा से पाटन विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, बस्तर लोकसभा से कोंटा के विधायक और पूर्व मंत्री कवासी लखमा और बिलासपुर लोकसभा से भिलाईनगर के विधायक देवेंद्र यादव उम्मीदवार हैं। बृजमोहन अग्रवाल की जीत तो पक्की मानी जा रही है। इस कारण रायपुर दक्षिण विधानसभा में उपचुनाव तो तय माना जा रहा है। रायपुर दक्षिण विधानसभा में चुनाव लड़ने के लिए कुछ भाजपा नेताओं के नाम भी सामने आने लगे हैं। अब कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ रहे कितने विधायक जीतकर लोकसभा पहुंचते हैं, इस पर लोगों की निगाह है। एक बात तो तय मानी जा रही है कि लोकसभा के बाद राज्य में विधानसभा के लिए उपचुनाव होंगे। अब कितने विधानसभा में उपचुनाव होते हैं, यह चार जून को साफ़ होगा।

नक्सल मोर्चे पर बड़ी कामयाबी

अब तक खबरें आती थी कि एक-दो नक्सली मारे गए। पिछले दिनों पहली बार 29 नक्सलियों के मारे जाने की खबर आई। नक्सली प्रवक्ता ने भी 29 नक्सलियों के मारे जाने की सूचना प्रसारित की है। अमूमन बड़ी संख्या में जवान ही शहीद या हताहत होते थे। नक्सलियों के गढ़ में घुसकर उन्हें धूल चटाना फ़ोर्स की बड़ी कामयाबी है। इससे फ़ोर्स का मनोबल बढ़ेगा, साथ ही विष्णुदेव साय सरकार भी नक्सलियों के खिलाफ मुहिम और तेज कर पाएगी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय लगातार राज्य में नक्सलियों के सफाए की बात कर रहे हैं। वैसे भी साय सरकार के कामकाज संभालने के बाद नक्सलियों को लगातार नुकसान उठाना या पीछे हटना पड़ रहा है। साफ़ लग रहा है कि राज्य में नक्सलियों की कमर टूटने लगी है, हालांकि नक्सलियों ने भाजपा नेता-कार्यकर्ताओं पर गुस्सा उतारना अभी बंद नहीं किया है।

दिल्ली से और अफसर लौटेंगे

चर्चा है कि भारत सरकार में कार्यरत छत्तीसगढ़ कैडर के कुछ आईएएस अफसर राज्य में लौट सकते हैं। 2005 बैच के आईएएस रजत कुमार के जल्द छत्तीसगढ़ वापसी की खबर है। माना जा रहा है कि मई के दूसरे हफ्ते में मंत्रालय स्तर पर कुछ अफसरों के विभागों में हेरफेर हो सकता है। केंद्र सरकार से प्रतिनियुक्ति से वापसी करने वाली 1994 बैच की आईएएस ऋचा शर्मा की अभी कहीं पोस्टिंग नहीं हुई है। माना जा रहा है कि उनके छुट्टी से लौटने के बाद पोस्टिंग होगी। 1999 बैच के आईएएस सोनमणि बोरा की भी भारत सरकार से वापसी हो गई है, उनकी भी अभी कहीं पोस्टिंग नहीं हुई है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )

 

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