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लोकतंत्र का महापर्व : 42 डिग्री तापमान में कमार आदिवासी जनजाति के सैकड़ों ग्रामीण 25 से 30 किलोमीट पैदल चलकर आएंगे मतदान करने

० तेज धूप गर्मी में मतदान के लिए पहुंचेंगे छोटे-छोटे बच्चों को लेकर ग्रामीण

० इन ग्रामो में अब तक कोई भी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में नही पहुचे

० ग्राम पंचायत के सचिव एंव बीएलओ दुरस्थ ग्रामो में पहुचकर ग्रामीणों मतदान के लिए दिया है निमंत्रण

जीवन एस साहू

गरियाबंद।छत्तीसगढ के गरियाबंद जिले अंतर्गत आदिवासी विकाखण्ड मैनपुर के दुरस्थ वनांचल पहाडी के उपर बसे ग्रामों के विशेष पिछडी जनजाति के सैकडो कमार आदिवासियों को आजादी के सात दशक बाद भी मतदान करने के लिए 25 से 30 किलोमीटर दुर्गम पहाडी रास्ता को पैदल तय कर कुल्हाडीघाट आना पडता है ग्रामीण इस उम्मीद के साथ मतदान करने आते है कि उनके चुने हूए जनप्रतिनिधि चुनाव जीतने के बाद उनके गांव तक पहुचने के लिए पक्की सडक, पेयजल, शिक्षा, बिजली, स्वास्थ्य जैसे मूलभूत सुविधाए उपलब्ध करायेंगे.

लेकिन आजादी के 75 वर्षो बाद भी पहाडी के उपर बसे इन ग्रामो में न तो पक्की सडक का निर्माण हो पाया है और न ही पेयजल स्वास्थ्य शिक्षा जैसे बुनियादी सुविधाए पहुच पाये है बावजूद इसके ग्रामीण हर पांच वर्ष में चाहे ग्राम पंचायत का चुनाव हो या विधानसभा या फिर लोकसभा का चुनाव हो पुरी ईमानदारी के साथ लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने के लिए परेशानियों को झेलते हूए पहुचते है इन ग्रामों के ग्रामीणों को मतदान करने के लिए दो से तीन दिन का समय लगता है चुनाव के एक दिन पहले पुरें गांव के मतदाता पैदल पहाड़ी रास्ते के सहारे कुल्हाडीघाट लगभग 25-30 किलोमीटर पैदल सफर कर आते है और रात्रि विश्राम कुल्हाडीघाट में करते है साथ ही मतदान करने के बाद दुसरे दिन फिर पैदल अपने ग्रामों के तरफ वापस जाते है इस तरह उन्हे आना जाना लगभग 50 से 60 किलोमीटर पड जाता है दिलचस्प यह है कि घने जंगलो और पहाडियों के कारण सरकारी योजनाओ का लाभ यहा के ग्रामीणों को नही मिल पा रहा है बडे जनप्रतिनिधि तो दुर शासन के आला अफसर भी इन पहाडी ग्रामों में नही पहुच पाते जिसके कारण इन ग्रामों में विकास की रौशनी अब तक नही पहुच पाई है।

पहाडी के उपर बसे ग्रामीणों ने बताया –
ग्राम पंचायत कुल्हाडीघाट पहाडी के उपर बसे इसके आश्रित ग्राम जो दुर्गम पहाडियों के उपर बसा है ताराझर,कुरूवापानी, मटाल , भालूडिग्गी जैसे ग्रामो के ग्रामीण आज सरकारी राशन दुकान कुल्हाडीघाट मे राशन लेने के लिए पहुचे थे ग्रामीण जयसिंह कमार, राजमन कमार, चरणसिंह कमार, परमेश्वर कमार, सुुंदर कमार, सीताराम कमार, दुलेश्वरी मरकाम, जगनी बाई सोरी, मोहनी सोरी एंव भागवती ने बताया कि हर चुनाव में मतदान करने के लिए पैदल आते है और उन्हे तीन दिन का समय लग जाता है, ग्रामीणों ने बताया कि अब तक कोई भी राजनीतिक पार्टी के नेता तो बहुत दुर कार्यकर्ता भी हमारे गांव में वोंट मांगने के लिए नही पहुचे है, ग्राम पंचायत के सचिव प्रेम ध्रुव और बीएलओ सुखराम नागेश पिछले दिनों पहुचे थे, उन्होने ग्रामीणों को बताया कि 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव है जिसके मतदान के लिए ग्रामीण 25 अप्रैल को पैदल ग्राम कुल्हाडीघाट शाम तक पहुचेंगे और 26 अप्रैल को मतदान करने के बाद 27 अप्रैल तक अपने ग्राम वापस लौटेंगे ग्रामीणो ने बताया कि मतदान हमारा अधिकार है और हम लोग हर चुनाव में मतदान करने आते है साथ ही अपने साथ भोजन की भी व्यवस्था लेकर आते है, कोई व्यवस्था नही किया जाता उन्होने बताया कि कई लोग अपने रिश्तेदारों के यहा रूक जाते है कई लोग पेड के नीचे तो कुछ लोग स्कूल आंगनबाडी में आश्रय लेते है।

360 के आसपास मतदाता है

कुल्हाडीघाट पहाडी के उपर ताराझर मटाल कुर्वापानी भालूडिग्गी में 360 के आसपास मतदाता है जो मतदान करने के लिए पैदल कुल्हाडीघाट पहुंचेंगे। इसी तरह मैनपुर विकासखंड अमली ग्राम के ग्रामीण 15 किलोमीटर पैदल चलकर मतदान करने इंदागांव पहुंचते हैं, डूमरघाट ग्राम के ग्रामीण 12 किलोमीटर बरदुला बोरीगांव मतदान करने पहुंचेंगे , मैनपुर ब्लॉक में दर्जनों ऐसे ग्राम है जहां की ग्रामीणों को आज भी मतदान करने के लिए 5 से 10 किलोमीटर पैदल ही आना पड़ता है,

राशन सामग्री के लिए घोडे का करते है उपयोग

गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखंड मैनपुर क्षेत्र के पहाड़ी व दूर्गम स्थानो मे बसे कमार ग्रामो के लोगो को इस 21 वी सदी मे राशन सामाग्री ले जाने के लिये घोड़े का उपयोग करना पड़ रहा है दूर्गम रास्ता व सड़क के अभाव मे पिछले कई वर्षो से राशन सामग्री के लिये आदिवासी कमार जनजाति के लोगो का एकमात्र सहारा घोड़े ही है, कुल्हाड़ीघाट के शासकीय राशन दुकान मे चावल दाल मिटटी तेल लेने पहुचते है और उनके गांव आने जाने के लिये कोई भी सड़क का निर्माण अब तक नही किया गया है, सुबह से जब राशन लेने के लिये कुल्हाड़ीघाट के लिये निकलते है तो शाम चार बजे पहुंचते है और उन्हे पैदल घोड़े के साथ आना पड़ता है गांव तक न तो सायकल पहुंच सकती है और न ही कोई अन्य वाहन इसलिये यहां के ग्रामीण घोड़े पाले हुए है। पहाड़ी के ऊपर बसे इन ग्रामो में आज तक बिजली नही लगी है सौर ऊर्जा लगाया गया है लेकिन उसकी स्थिति बेहद खराब है कही कही तो 2 -3 माह से बंद है देखने वाला कोई नही है स्कूल भवन नही है बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ाई करते है। सबसे ज्यादा समस्या ग्रामीणों के सामने पेयजल की है।

पहाड़ी ऊपर के ग्रामीण राशन सामग्री लेकर पहुंचेंगे

मैनपुर विकासखंड के पहाड़ी ऊपर बसे ग्रामों के ग्रामीण मतदान करने के लिए जहां एक और पैदल आएंगे वहीं दूसरी ओर अपने साथ राशन सामग्री लेकर भी पहुंचते हैं और खुद भोजन बनाकर भोजन ग्रहण करते हैं उनके लिए किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं किया जाता लेकिन ग्रामीणों में मतदान को लेकर गजब को उत्साह देखते बनता है आज भी हमारे आदिवासी क्षेत्र के ग्रामीण लोकतंत्र पर आस्था जताते हुए अपने मत देकर लोकतंत्र को मजबूत किए हुए हैं

क्या कहते है सरपंच

ग्राम पंचायत कुल्हाडीघाट के सरपच श्रीमति धनमोति सोरी, पूर्व सरपंच बनसिंग सोरीे ने बताया कि ताराझर, मटाल ,कुरूवापानी, भालूडिग्गी, पहाडी के उपर बसा है इन गांवों में पहुचने के लिए सडक नही है इसलिए ग्रामीण घोडे के सहारे राशन सामग्री कुल्हाडीघाट से पहाडी के गांव तक ले जाते है। उन्होने बताया कि पहाडी के उपर बसे ग्रामों के लोग मतदान के लिए एक दिन पहले कुल्हाडीघाट पहुचते है तब कही जाकर दुसरे दिन मतदान करते है।

सचिव ने बताया

ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट के सचिव प्रेमलाल ध्रुव ने बताया ग्रामीण मतदान करने 20 से 25 किलोमीटर पैदल आते हैं उन्हें दो-तीन दिन का समय लग जाता है पहाड़ी के ऊपर गांव में लगभग 350 मतदाता हैं

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