हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी का त्यौहार मनाया जाता है। आज के दिन को स्वामी कार्तिकेय के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करके भगवान शिव और देवी पार्वती का आशीर्वाद पाया जा सकता है। खासतौर पर यह व्रत संतान की उन्नति और प्रगति के लिए रखा जाता है और साथ में सुखी और संपन्न जीवन का वरदान प्राप्त होता है। कार्तिकेय जी को दक्षिण भारत में मुरूगन और सुब्रमण्यम भी कहते हैं। तो आइए जानते हैं स्वामी कार्तिकेय को खुश करने के लिए किस तरह पूजा करनी चाहिए और कौन से मंत्रों का जाप करें।
स्कंद षष्ठी समय: 25 अप्रैल 2023 को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर स्कंद षष्ठी व्रत का प्रारंभ होगा और सुबह 11 बजकर 27 मिनट पर 26 अप्रैल को इसका समापन होगा।
स्कंद षष्ठी पूजा विधि: स्नान-ध्यान से फ्री होकर भगवान कार्तिकेय की तस्वीर को अपने सामने रखें। स्कन्द देव को सिंदूर, अक्षत, फूल, फल और मेवा अर्पित करें। उसके बाद भगवान कार्तिकेय के सामने घी की दीपक जलाएं।
स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व: इस व्रत को करने से संतान के जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है। कहते हैं जो लोग संतान के सुख से वंचित हैं वो इस व्रत को करके अपने मन की मनोकामना को पूर्ण कर सकते हैं।
दक्षिण भारत में इस उत्सव को पूरे 6 दिनों तक मनाया जाता है। लोग 6 दिन तक व्रत रख कर भगवान की पूजा करते हैं। कहते हैं ऐसा करने से अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती है।