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जादू टोने का अस्तित्व नहीं, सिर्फ अंधविश्वास- डॉ दिनेश मिश्र

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने पिछले 10 दिनों में मध्यप्रदेश के जबलपुर व टीकमगढ़ जिलों में जादू टोने के सन्देह में हुई 4 घटनाओ  जिसमें 3 हत्याएं हुई है, की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि जादू टोने का कोई अस्तित्व नहीं होता अंधविश्वास के कारण ऐसी घटनाएं होती हैं, दोषियो पर कड़ी कार्यवाही हो.

डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कि जबलपुर के खमरिया के पिपरिया में एक वृद्ध दम्पति पर  जादू टोना करके बीमार करने के सन्देह में हमला किया गया जिसमे से महिला रुक्मणि गौड़ की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गयी और उसके पति छेदीलाल गौड़  को गम्भीर दशा में मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया है, माढ़ोताल में  नेतराम नामक व्यक्ति की, कुंडम थाने के अंतर्गत उचेहरा में सुनील वरकड़े, टीकमगढ़ जिले के जेरोन थाने के लुहारगुआ के गोप  खिरक की हत्या जादू टोना कर बीमार करने के सन्देह में कई गयी है.

डॉ दिनेश मिश्र ने बताया जानकारी मिली है कि खमरिया वाले मामले में कपिल यादव नामक व्यक्ति कुछ दिनों से बीमार चल रहा था तथा उसकी गाय मर गयी थी, जिसका कारण भी वह उक्त दम्पति के द्वारा किये तथाकथित जादू टोने को मानता था. और इसी  कारण उसने उक्त दम्पति पर तलवार से हमला किया. वहीं अन्य माढ़ोताल, उचकेरा, टीकमगढ़ में घटित तीनों घटनाओं में भी  बच्चा नही होने, खून की उल्टी होने, जैसी मामूली बीमारियों के होने  को आरोपियों द्वारा जादू टोना ही माना गया और यह घटनाये हुईं.

डॉ दिनेश मिश्र ने कहा जादू टोना जैसे अंधविश्वास के कारण  हुई यह घटना अत्यंत निर्मम और शर्मनाक है। दोषी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर  कर उस पर कड़ी कार्यवाही होना चाहिए. डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा जादू टोने का कोई अस्तित्व नहीं है, इसलिए जादू टोने से किसी भी व्यक्ति को बीमार करने, नुकसान पहुंचाने की धारणा मिथ्या है, इस अंधविश्वास के कारण किसी भी महिला, या किसी भी ग्रामीण को प्रताड़ित करना अनुचित, गैरकानूनी है. कोई महिला टोनही नहीं होती.   डायन/टोनही के सन्देह में हुई  प्रताड़ना के लिए दोषी व्यक्तियों पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए. ग्रामीणों से अपील है ,वे अंधविश्वास में पड़कर कानून अपने हाथों में न लें.

वैज्ञानिक जागरूकता के विकास से विभिन्न अंधविश्वासों व कुरीतियों का निर्मूलन संभव है, व्यक्ति  को अपनी असफलता का दोष ग्रह नक्षत्रों को देने की  बजाय स्वयं की खामियों पर विश्लेषण करना चाहिए.

हमारे देश के विशाल स्वरूप में अनेक जाति, धर्म के लोग हैं जिनकी परंपराएँ व आस्था भी भिन्न-भिन्न है लेकिन धीरे धीरे कुछ परंपराएँ, अंधविश्वासों के रूप में बदल गई है। जिनके कारण आम लोगों को न केवल शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा से गुजरना पड़ता है बल्कि ठगी का शिकार होना पड़ता है। कुछ चालाक लोग आम लोगों के मन में बसे अंधविश्वासों, अशिक्षा व आस्था का दोहन कर ठगते हैं। उन अंधविश्वासों व कुरीतियों से लोगों को होने वाली परेशानियों व नुकसान के संबंध में समझा कर ऐसे कुरीतियों का परित्याग किया जा सकता है।

डॉ. मिश्र ने कहा देश के अनेक प्रदेशों में डायन/ टोनही के सन्देह में  प्रताडऩा की घटनाएँ आम है, जिनमें किसी महिला को जादू-टोना करके नुकसान पहुँचाने के संदेह में हत्या, मारपीट कर दी जाती है जबकि कोई नारी टोनही या डायन नहीं हो सकती, उसमें ऐसी कोई शक्ति नहीं होती जिससे वह किसी व्यक्ति, बच्चों या गाँव का नुकसान कर सके। जादू-टोने के आरोप में  प्रताडऩा रोकना आवश्यक है। अंधविश्वासों के कारण होने वाली टोनही प्रताडऩा/बलि प्रथा जैसी घटनाओं से भी मानव अधिकारों का हनन हो रहा है।

डॉ. मिश्र ने कहा समाज में जादू-टोना, टोनही आदि के संबंध में भ्रमक धारणाएँ काल्पनिक है, जिनका कोई प्रमाण नहीं है। पहले बीमारियों के उपचार के लिए चिकित्सा सुविधाएँ न होने से लोगों के पास झाड़-फूँक व चमत्कारिक उपचार ही एकमात्र रास्ता था, लेकिन चिकित्सा विज्ञान के बढ़ते कदमों व अनुसंधानों ने कई बीमारियों, संक्रामकों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया है तथा कई बीमारियों के उपचार की आधुनिक विधियाँ खोजी जा रही है। बीमारियों के सही उपचार के लिए झाड़-फूँक, तंत्र-मंत्र की बजाय प्रशिक्षित चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।अभी कोरोना काल में चिकित्सा विज्ञान के कारण महामारी के नियंत्रण में सफलता मिली है और वैक्सीन के बनने और लगने से काफी प्रभाव पड़ा है.

समिति  जागरूकता अभियान के साथ  इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग,तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी कर रही है  तथा प्रताड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए कार्य करेगी.

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