(रवि भोई की कलम से)
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भले मुख्यमंत्री नहीं बन पा रहे हैं, पर मुख्यमंत्री जैसे काम करने से तो उन्हें कोई रोक नहीं सकता। दौरा और औचक निरीक्षण से छत्तीसगढ़ का राजनीतिक पारा उबाल मारने लगा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चार मई से राज्य व्यापी दौरा प्रारंभ किया तो टीएस सिंहदेव ने भी वैसा ही कर दिया। मुख्यमंत्री जी सरकारी हेलीकाप्टर में उड़कर गांव-कस्बे में जा रहे हैं तो सिंहदेव साहब किराए के हेलीकाप्टर से जगह-जगह जा रहे हैं।
यह अलग बात है कि मुख्यमंत्री जी जहां उतर रहे हैं, वहां लोगों की भीड़ लग रही है। नेता-कार्यकर्ताओं का हुजूम लग रहा है और आव-भगत में सरकारी अमला जुट जा रहा है। कलेक्टर-एसपी हाथ बांधे खड़े दिख रहे हैं, लेकिन सिंहदेव साहब के अभियान में ऐसा नजारा नहीं दिख रहा है। न नेता-कार्यकर्त्ता और न ही अफसर।
सिंहदेव साहब अपने अभियान में जनता का दुख-दर्द दूर करने की जगह खुद ही दुखी हो गए और अपने अपमान का दुखड़ा पत्रकारों के सामने रो रहे हैं। लेकिन एक बात तो साफ़ लग रहा है कि अब सिंहदेव साहब ने ईंट से ईंट बजानी शुरू कर दी हैं। अब किसकी ईंट चकनाचूर होती है या आपस में जुड़तीं हैं, यह तो समय बताएगा।
मंत्री और कलेक्टर में जंग
कहते हैं राज्य के राजस्व मंत्री और कोरबा शहर के विधायक जयसिंह अग्रवाल और कोरबा की कलेक्टर रानू साहू में खंदक की लड़ाई शुरू हो गई है। एक सड़क निर्माण और भुगतान के लिए दोनों के बीच शुरू हुआ विवाद अब डीएमएफ फंड तक जा पहुंचा है। मंत्री ने कलेक्टर पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए 9 मई को होने वाली जिला खनिज न्यास निधि की बैठक को रद्द करवाने के लिए खनिज सचिव और मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
वैसे मंत्री जी कलेक्टर के बारे में पहले सार्वजानिक बयान दे चुके हैं, पर चिट्ठी से फिर राज्य की राजनीति गरमा गई है। कहा जा रहा है कि जिस सड़क को लेकर मंत्री-कलेक्टर में अनबन शुरू हुई, उसके निर्माण के एवज में भुगतान जिला प्रशासन ने रोक दिया है, पिछले दिनों निर्माण कंपनी के कर्मचारियों ने छह माह का वेतन न मिलने का आरोप लगाते हुए धरना-प्रदर्शन किया।
चर्चा है कि सड़क निर्माण का ठेका मंत्री जी से जुड़े लोगों के पास हैं, ऐसे में मंत्री के मूंछ का सवाल है और मंत्री जी को अपनी इज्जत-साख की खातिर कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा, सो मंत्री जी ने कलेक्टर पर डीएमएफ का तीर चलाया है। अब देखते हैं ‘वार’ निशाने पर लगता है या फिर पिछली बार की तरह खाली चला जाता है?
विधानसभा में घोषणा की हवा-हवाई
विधानसभा के इसी बजट सत्र में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने गड़बड़ी के आरोप में एक जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और वन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों समेत एक दर्जन से अधिक लोगों को सस्पेंड किया था, लेकिन जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अभी भी पद पर बने हुए हैं और दबंगई से जहां पहले थे, वहीं जमे हैं।
आमतौर पर विधानसभा में मंत्री की घोषणा पर तत्काल अमल होता है,लेकिन यह छत्तीसगढ़ है। लगता है विधानसभा की घोषणा को अमलीजामा पहनाने में न विभाग को सुध है और न ही आला अफसरों को। ऐसे में विधायिका और जनप्रतिनिधियों के सम्मान की बात भी खड़ी होती है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा की धुरी टूटेगी ?
कहते हैं छत्तीसगढ़ में भाजपा की राजनीति मौलश्री विहार और शंकरनगर के बीच उलझकर रह गई है। चर्चा है कि पार्टी के सह -संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और प्रभारी महासचिव डी. पुरंदेश्वरी ने इस धुरी को तोड़ने की वकालत की है। माना जा रहा है कि यह धुरी जल्दी ही टूटेगी, पर इसके लिए सही समय का इंतजार किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव के बाद भाजपा हाईकमान चुनावी राज्यों की तरफ ध्यान देगा। वैसे चुनावी राज्यों में रणनीति के लिए जयपुर में मई के तीसरे हफ्ते में भाजपा की शीर्षस्थ बैठक होने जा रही है, जिसके बाद ही स्थिति साफ़ होगी। इस साल के अंत तक गुजरात, हिमाचल और कर्नाटक में, वहीँ 2023 में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं।
वजनदार अफसर
रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डॉ आलोक शुक्ला को भूपेश बघेल की सरकार में सबसे वजनदार अफसर माना जा रहा है। डॉ शुक्ला प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, रोजगार व कौशल विकास, संसदीय कार्य विभाग, ग्रामोद्योग, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल, अध्यक्ष व्यावसायिक परीक्षा मंडल के साथ रोजगार मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हैं। अब सरकार ने उन्हें ग्रामीण औद्योगिक पार्क, सी-मार्ट एवं गोधन न्याय मिशन के समन्वयक का प्रभार भी सौंपा है। 1986 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ. शुक्ला को भूपेश सरकार ने रिटायरमेंट के बाद मई 2020 में संविदा नियुक्ति दे दी, जिसके खिलाफ भाजपा नेता नरेश गुप्ता कोर्ट गए हैं। भाजपा को भले डॉ आलोक शुक्ला नहीं भा रहे हों, पर उन्हें भूपेश सरकार का ध्रुव तारा कहा जा रहा है।
क्या दुखी लोगों का ठिकाना बनेगा ‘आप’ ?
छत्तीसगढ़ के लोग आम आदमी पार्टी को राज्य में तीसरी शक्ति के रूप में देखने लगे हैं। कभी राज्य की तीसरी शक्ति रही बसपा धूल-धूसरित होने लगी है। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के जीवित रहते तक उनकी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) से लोगों को उम्मीद बंधी थी, लेकिन उनके निधन के साथ पार्टी रसातल पर चली गई। कहा जा रहा कि ‘आप ‘ राज्य में जमीन बनाने में लग गई है। वह कई लोगों के संपर्क में है, तो कई लोग उससे तार जोड़ने में लगे हैं। माना जा रहा है कि भाजपा और कांग्रेस के खफा नेता-कार्यकर्त्ता ‘आप’ को ठिकाना बना सकते हैं।
अमित शाह का गुप्तचर
कहते हैं छत्तीसगढ़ में भाजपा का एक ऐसा नेता है जो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को राज्य में पार्टी संगठन के साथ-साथ शासन-प्रशासन की लगातार ख़ुफ़िया जानकारी देता है। इस नेता का अमित शाह से सीधा कनेक्शन है। चर्चा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में इस नेता की बड़ी भूमिका रहने वाली है।
खबर है कि यह नेता आमतौर हर दो-तीन महीने में अमित शाह से मुलाक़ात कर राज्य की गतिविधियों की जानकारी देता है। कहा जाता है कि यह नेता कभी भाजयुमो के अध्यक्ष पद की दावेदारी कर चुका है और रमन राज में सत्ता-संगठन में पैठ बनाने की कोशिश की थी, लेकिन तब एक पावरफुल नेता ने उसे मक्खी की तरह फेंक दिया था। अब वही पावरफुल नेता किनारे लग गए हैं और भाजपा में किस कोने में हैं, किसी को पता नहीं है। समय बदल गया है।
रौब-दाब वाली महिला अफसर
कहते हैं प्रदेश के आबकारी विभाग में एक महिला अफसर के रौब-दाब की बड़ी चर्चा है। यह महिला अधिकारी एक बड़े जिले के जिला कार्यालय में पदस्थ हैं। कहा जाता है कि महिला अफसर जिला दफ्तर में नंबर दो है, पर उससे नंबर वन खौफ खाता है। खबर है जिला दफ्तर महिला अफसर के इशारे पर चलता है। बताते हैं महिला अफसर एक जिला स्तरीय कांग्रेस नेता की पुत्री है, जिन्हें राज्य के एक बड़े कांग्रेसी नेता का दाहिना हाथ माना जाता है। बड़े कांग्रेसी नेता पर जिला स्तरीय नेता का पूरा प्रभाव बताया जाता है और जिले में उसी नेता की चलती है। ऐसे में पिता का गुण पुत्री पर आना स्वाभाविक है।
(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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