कोरोना की दूसरी लहर की वजह से कई राज्यों में लगाया गया लॉकडाउन लंबा खिंचता जा रहा है. राज्यों में लगे प्रतिबंधों की वजह से बिजनेस गतिविधियां धीमी हो गई हैं. सामानों की ढुलाई के साथ मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों पर असर पड़ा है. ऐसे में निवेशक अपने निवेश को लेकर सतर्क हो गए हैं. खास कर एफपीआई. विदेशी निवेशक मई में बाजार से अब तक 4,444 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं
डिपोजिटरी डेटा के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी FPI ने 1 से 21 मई के बीच इक्विटी मार्केट से 6,370 करोड़ रुपये निकाले हैं, जबकि डेट सेगमेंट में 1,926 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इस तरह से FPI ने शुद्ध रुप से 4,444 करोड़ रुपये निकाले हैं. पीटीआई की एक खबर के मुताबिक Morningstar India के हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर और भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को लेकर विदेशी निवेशक बाजार से थोड़ा दूरी बनाकर चल रहे हैं. श्रीवास्तव के मुताबिक हालांकि हालांकि पिछले दो हफ्तों से कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति में सुधार आया है. इससे कुछ राहत मिली है और पैसे निकालने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आई है.
अप्रैल महीन में भारतीय बाजार से 9,435 करोड़ रुपये विदेशी निवेशकों ने निकाले थे. कोटक सिक्योरिटीज के मुताबिक बढ़ती महंगाई और बढ़ते कर्ज के स्तर के चिंताओं से उभरते बाजारों से FPI पूंजी निकाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि उभरते बाजारों में इस महीने अब तक दक्षिण कोरिया से 825 करोड़ रुपये और ताइवान से 344 करोड़ डॉलर निकाले गए हैं. हालांकि इसके उलट इंडोनेशिया में इस दौरान 4.6 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ है. कोरोना के हालात ऐसे रहे तो इमर्जिंग मार्केट से और भी निवेश निकल सकता है.
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