Close

कही-सुनी (12 JUNE-22): हसदेव अरण्य के बहाने छत्तीसगढ़ में राजनीतिक उबाल

कही -सुनी

(रवि भोई की कलम से)


छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयले की खुदाई के लिए पेड़ों की कटाई राज्य का बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। यह क्षेत्र कोरबा, सरगुजा और सूरजपुर जिले के बीच में स्थित एक समृद्ध जंगल है। करीब एक लाख 70 हजार हेक्टेयर में फैला यह जंगल अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की साल 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में 10 हजार आदिवासी हैं। यहां कोयला खदान राजस्थान विद्युत निगम और कुछ निजी कंपनियों को आबंटित किया गया है। राजस्थान विद्युत निगम को आबंटित माइंस को विकसित करने और खुदाई के साथ प्रभावितों को मुआवजा देने का ठेका देश के बड़े औद्योगिक घराने को मिला है। केंद्र और राज्य सरकार की हरी झंडी के बाद पेड़ों की कटाई से आदिवासियों और पर्यावरण प्रेमियों के कान खड़े हुए। इलाके के आदिवासी और कुछ एनजीओ जंगल बचाने के लिए पिछले करीब 100 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। जंगल और जमीन के मुद्दे में भाजपा, आम आदमी पार्टी और जोगी कांग्रेस से लेकर छत्तीसगढ़ क्रांति सेना भी कूद पड़ी है, पर इस मसले पर मंत्री टीएस सिंहदेव के एक बयान और फिर उस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जवाब से राज्य की राजनीति में उबाल आ गया। सवाल यह है कि डेढ़ साल बाद छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने है और सभी को आदिवासियों के वोट चाहिए। इस कारण हर कोई राजनीतिक रोटी सेंकने की फ़िराक में दिख रहा है।

गुस्से में विधायक जी

कहते हैं एक वरिष्ठ कांग्रेसी विधायक अपनी सरकार से बड़े खफा हैं। आदिवासी इलाके का प्रतिनिधित्व करने वाले इस विधायक का गुस्सा ठंडा करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें सरकारी पद दिया है, लेकिन विधायक जी का फनफनाना बंद नहीं हुआ है। चर्चा है कि चुनाव से पहले विधायक जी बड़ा कदम उठाकर धारा भी बदल सकते हैं। माना जा रहा है सरकार को विधायक जी की गतिविधियों का अहसास हो गया है, तभी तो मुख्यमंत्री जी ने विधायक के चहेते एक अफसर को पिछले दिनों सस्पेंड कर दिया।

एक टीवी चैनल का मालिक जीता और एक हारा

जोड़तोड़ से एक टीवी चैनल का मालिक इस बार राज्यसभा सांसद बन गया, लेकिन दूसरे का दांव काम नहीं आया। दोनों ही टीवी चैनल मालिक निर्दलीय राज्यसभा चुनाव लड़े थे। एक ने हरियाणा से और दूसरे ने राजस्थान से जोर आजमाया था। हरियाणा वाले ने कांग्रेस प्रत्याशी को पटकनी दे दी। हरियाणा के कांग्रेस विधायकों का छत्तीसगढ़ के आलीशान होटल में सेवा-सत्कार काम नहीं आया। वैसे हरियाणा से राज्यसभा सांसद बनने वाले का भी रायपुर में होटल है। राजस्थान से राज्यसभा में जाने की जुगत लगाने वाले मीडिया मालिक पिछली दफे हरियाणा में ऐसी गोटी फिट की थी कि सभी की आँखें फटी की फ़टी रह गई थी। इस बार रणनीति काम नहीं आई और राज्यसभा में जाने से चूक गए। राजस्थान से मीडिया मालिक के राज्यसभा सांसद नहीं बन पाने पर लोग कह रहे हैं – काठ की हाँड़ी बार–बार नहीं चढ़ती।

आप को जमीनी नेता की तलाश

कहते हैं आम आदमी पार्टी भले ही छत्तीसगढ़िया डॉ. संदीप पाठक को पंजाब से राज्यसभा में भेजकर राज्य में खलबली मचा दी, लेकिन छत्तीसगढ़ में पैर जमाने के लिए उसे अभी एक जमीनी नेता की तलाश है। चर्चा है कि “आप” के टारगेट में एक कांग्रेसी नेता हैं। इस नेता की राज्य के एक इलाके में अच्छी पकड़ है और इन दिनों वे अपनी सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं। माना जा रहा है कि इस नेता के आप में जाने से 2023 के विधानसभा में उसका खाता तो खुल ही जाएगा। कहा जा रहा है कि आप उस नेता को लुभाने की कोशिश में लगी है , वहीँ इस नेता का एक समर्थक आप के लगातार संपर्क में हैं। देखते हैं आगे क्या गणित बैठता है ?

नेता को अफसर का गिफ्ट ?

चर्चा है की छत्तीसगढ़ की एक नौकरशाह ने एक नेता को एक करोड़ कीमत की गाड़ी गिफ्ट की है। वैसे आम धारणा है कि नौकरशाह लेते हैं, देते नहीं। नौकरशाही का नया ट्रेंड लोगों को अजूबा लग रहा है। चर्चा चल पड़ी है, तो बातों का बाजार गर्म हो चला है और उस नौकरशाह के कई किस्से-कहानियों को लोग चटखारे लेकर सुना रहे हैं। लोग कहने लगे हैं ऐसी परंपराओं से प्रशासन का पतन ही होना है, जो राज्य हित में नहीं हैं। सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे लोगों तक “चर्चा” पहुंचती है या नहीं। इसका लोगों को इंतजार है।

मीठे बोल वाले कलेक्टर साहब

छत्तीसगढ़ में आजकल ऐसे कलेक्टर साहब की बड़ी चर्चा है, जो बड़े मीठे बोल बोलते हैं, पर कुछ चुनिंदा लोगों को छोड़कर किसी का काम नहीं करते हैं। कलेक्टर साहब कई जिलों में कई पदों पर रह चुके हैं। याने घाट-घाट का पानी पी चुके हैं। कहते हैं लोग मिलने जाते हैं, तो कलेक्टर साहब बड़े प्यार से मिलते हैं। उनसे मिलकर बड़े गदगद हो जाते हैं, लेकिन जब काम नहीं होता तो लोग बाल नोचने लग जाते हैं। लोग कहने लग गए हैं – कलेक्टर साहब तो नेताओं के भी बाप निकले।

राजनीतिक पेंच में फंसी पुलिस

कहते हैं पिछले दिनों छत्तीसगढ़ की पुलिस धोखाधड़ी के एक आरोपी को नागपुर से गिरफ्तार कर लाई, लेकिन महाराष्ट्र के एक ताकतवर नेता के दबाव में न केवल आरोपी को छोड़ना पड़ा, बल्कि मामला भी ठंडे बस्ते में डालना पड़ा। कहते हैं महाराष्ट्र के एक ताकतवर ने छत्तीसगढ़ के एक ताकतवर से बातकर आरोपी को छुड़वा लिया। चर्चा है कि महाराष्ट्र का नेता इतना ताकतवर था कि छत्तीसगढ़ के नेता को उसकी बात सुननी ही पड़ी। छत्तीसगढ़ के ताकतवर नेता की बात से छत्तीसगढ़ की पुलिस कैसे इंकार कर सकती थी। भले छत्तीसगढ़ पुलिस के जवान और अफसर धोखाधड़ी के आरोपी को पकड़ने में पूरी ताकत झोंक दी हो, पर सत्तारूढ़ दल के नेता का इशारा ही काफी है।

हैदराबाद की बैठक के बाद भाजपा का नया चेहरा ?

कहा जा रहा है कि 2 से 4 जुलाई तक हैदराबाद में होने वाली राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के बाद प्रदेश भाजपा में बदलाव हो सकता है। संगठन में फेरबदल के संकेत के चलते पार्टी के कई नेता अति सक्रिय हैं, पर कहते हैं हाईकमान अभी असमंजस में है कि किसी कुर्मी नेता को आगे किया जाय या साहू नेतृत्व को महत्व दिया जाय, या फिर पुराने किसी नेता पर ही दांव चला जाय। हैदराबाद की बैठक के बाद ही स्थिति साफ़ होगी। वैसे फिलहाल भाजपा को आदिवासी इलाके सरगुजा और बस्तर में काफी सक्रिय बताया जा रहा है। दोनों संभागों में पार्टी की एक्टिविटी कुछ ज्यादा ही चल रही है। खबर है कि इन इलाकों में संघ के साथ वनवासी परिषद् भी काम कर रही है।


(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )


 

scroll to top