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कही-सुनी ( 21 AUG-22) : छत्तीसगढ़ की राजनीति हुई ओबीसी केंद्रित

रवि भोई की कलम से 


छत्तीसगढ़ की राजनीति हुई ओबीसी केंद्रित

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुकाबले के लिए भाजपा ने अन्य पिछड़ा वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बना दिया है। इससे छत्तीसगढ़ की राजनीति पूरी तरह ओबीसी केंद्रित हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ओबीसी नेता हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल भी ओबीसी हैं। भूपेश बघेल और नारायण चंदेल दोनों ही कुर्मी समुदाय से हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल में संस्कृति और तीज-त्यौहार के माध्यम से जिस तरह राज्य में छत्तीसगढ़िया भावना को जगाया, उससे 2023 के लिए भाजपा की राह चुनौतीभरी हो गई है। राष्ट्रीय स्तर के एक सर्वे में देश के दस टॉप मुख्यमंत्रियों में शुमार भूपेश बघेल ने अपनी छवि तेज-तर्रार नेता की बना ली है। भूपेश बघेल सरकार की गोठान और गोधन योजना को जिस तरह दूसरे प्रदेशों और राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिल रही है , उससे साफ़ है कि वे विकास के फलक पर भी चमकने लगे हैं। भूपेश बघेल जमीन से जुड़े नेता होने की वजह से उनके विकास मॉडल की नींव भी जमीन से उठी है। भूपेश बघेल की छत्तीसगढ़िया छवि पर निशाना साधने के लिए अब भाजपा ने भी छत्तीसगढ़िया चेहरे और ओबीसी पर दांव खेला है। अब देखते हैं 2023 में परिणाम क्या निकलता है।

दमदार हुआ बृजमोहन खेमा

कहा जा रहा है नारायण चंदेल के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अब बृजमोहन अग्रवाल का खेमा पावरफुल हो गया है। इस खेमे में अजय चंद्राकर, शिवरतन शर्मा जैसे वरिष्ठ विधायक हैं। डॉ. रमनसिंह की पसंद पर धरमलाल कौशिक को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था। इस कारण बृजमोहन खेमे के लोगों को श्री कौशिक नापसंद थे और सदन में एकसूत्र में बंधे दिखाई नहीं देते थे। माना जा रहा है कि नारायण चंदेल के नेता प्रतिपक्ष बनने से सदन में भाजपा की अलग धार दिखाई पड़ेगी। कहते हैं कि छत्तीसगढ़ भाजपा के झंडा प्रभारी के तौर पर बृजमोहन अग्रवाल ने घर -घर झंडा पहुंचाने और लोगों को प्रोत्साहित करने का आक्रामक प्रयास किया, उससे भी उनका कद बढ़ गया है। माना जा रहा है कि बृजमोहन अग्रवाल के नेतृत्व में भाजपा ने लोगों को लाखों रुपए के तिरंगे झंडे मुफ्त में बांटें।

तेज निकलीं मनिंदर कौर द्विवेदी

छत्तीसगढ़ कैडर की 1995 बैच की आईएएस डॉ.मनिंदर कौर द्विवेदी तेज निकलीं। छत्तीसगढ़ सरकार की अनापत्ति के बगैर ही अपाइंटमेंट कमेटी आफ कैबिनेट ने उन्हें भारत सरकार के उपक्रम स्माल फार्मर एग्रो बिजनेस कंसोर्टियम ( एसएफएसी ) की एमडी बना दिया। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली अपाइंटमेंट कमेटी आफ कैबिनेट ( एसीसी) ने भारत सरकार के उपक्रम में पदस्थ कर दिया है, तो अब राज्य सरकार को उन्हें कार्यमुक्त करना होगा। उम्मीद है कि उन्हें इस हफ्ते रिलीव कर दिया जाएगा। डॉ.मनिंदर कौर द्विवेदी के पति गौरव द्विवेदी ने भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाने का आवेदन कर रखा है, पर वे अभी इंतजार में हैं। कहा जा रहा है वे भी अगले कुछ महीने में केंद्र सरकार में चले जाएंगे।

निहारिका बारिक छुट्टी से नहीं लौटेंगी

छत्तीसगढ़ कैडर की 1997 बैच की आईएएस निहारिका सिंह बारिक फिलहाल छुट्टी से लौटने के मूड में नहीं है। चाइल्ड केयर लीव में गई निहारिका ने एक साल छुट्टी बढ़ाने के लिए आवेदन किया है। निहारिका के पति जयदीप सिंह छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस हैं। वे भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जर्मनी में पदस्थ हैं। निहारिका बारिक चाइल्ड केयर लीव पर जर्मनी में हैं।

पोस्टिंग के इंतजार में रीना कंगाले

छत्तीसगढ़ कैडर की 2003 बैच की आईएएस रीना बाबा साहेब कंगाले लंबी छुट्टी से लौट आईं हैं, पर पोस्टिंग के इंतजार में हैं। छुट्टी पर जाने से पहले रीना कंगाले राज्य की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के साथ सचिव महिला बाल विकास और समाज कल्याण भी थी। सरकार ने फिलहाल मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का प्रभार 2006 बैच के अधिकारी पी. दयानंद और महिला बाल विकास और समाज कल्याण की जिम्मेदारी भुवनेश यादव को सौंपी हैं। उम्मीद है रीना कंगाले की पोस्टिंग के साथ कुछ हेरफेर होगा।

कौन होंगे स्वास्थ्य सचिव ?

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी की भारत सरकार में नियुक्ति के बाद अब नए स्वास्थ्य सचिव के नाम को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। अभी स्वास्थ्य विभाग में शहला निगार और सी आर प्रसन्ना सचिव हैं। इनमें से किसी को मुखिया बनाया जाएगा या फिर नए अफसर को जिम्मेदारी दी जाएगी ? स्वास्थ्य विभाग के मंत्री टीएस सिंहदेव हैं। वैसे एसीएस रेणु पिल्ले को फिर स्वास्थ्य विभाग का प्रभार सौंपे जाने की भी बात होने लगी है। रेणु पिल्ले के पास अभी प्रशासन अकादमी के महानिदेशक के साथ खेल एवं युवा कल्याण विभाग,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव हैं। सरकार को नए संचालक स्वास्थ्य की भी तलाश है। स्वास्थ्य संचालक नीरज बंसोड़ की नियुक्ति भारत सरकार में हो गई है, वे भी जल्द चले जाएंगे।

जीएसटी के खिलाड़ी अफसर

जीएसटी, जिसे कांग्रेस ने “गब्बर सिंह टैक्स” का नाम दिया है, उसके फेर में जनता तो परेशान हैं ही, परिवहन कारोबारी भी खून के आंसू रो रहे हैं। कहते हैं राज्य जीएसटी के दो कनिष्ठ अफसर ट्रांसपोर्टरों को दबोचने के माहिर खिलाडी बन गए हैं। सरकार जीएसटी के कमिश्नर को फटाफट बदल दे रही है, जिसके चलते कमिश्नर कनिष्ठ अफसरों के खेल को समझने से पहले ही विदा हो जा रहे हैं और उनका खेल बिना रोक-टोक के चल रहा है। अब देखते हैं जीएसटी के वर्तमान कमिश्नर भीमसिंह कनिष्ठ अफसरों के खेल को कितना समझ पाते हैं या खेल समझने तक वहां बने रहते हैं या कहीं और उनकी पोस्टिंग हो जाती है।

मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक 22 को भोपाल में

दो साल बाद मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक 22 अगस्त को भोपाल में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में होगी। इसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी और अन्य अधिकारी हिस्सा लेंगे। यह बैठक 2020 में रायपुर में हुई थी। इस बैठक में उत्तरप्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल होंगे। बैठक में नक्सलवाद के साथ आतंरिक सुरक्षा और आतंकी गतिविधियों को लेकर चर्चा होने की उम्मीद है।

गुमनाम हुए कल्लूरी

चर्चित आईपीएस अधिकारी एसआरपी कल्लूरी इन दिनों गुमनामी में चले गए हैं। भूपेश बघेल की सरकार में ही ईओडब्ल्यू के मुखिया, फिर परिवहन आयुक्त रहे श्री कल्लूरी अभी किस पद पर पदस्थ हैं, बहुत कम लोगों को पता है। वे एडीजी स्तर पर पदोन्नत हो गए हैं, पर कुछ खास करने को उनके पास नहीं है। राजेश मिश्रा डीजीपी स्तर के अधिकारी होने के बाद भी राज्य न्यायालिक विज्ञान प्रयोगशाला के संचालक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। भाजपा राज में कई जिलों के एसपी रहे आईपीएस मयंक श्रीवास्तव निदेशक ट्रेनिंग, आपरेशन, अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा, नगर सेना एवं नागरिक सुरक्षा के पद पर तैनात हैं।


(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )


 

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