बीते ढाई सालों में किसानों के लिए जो कुछ भी हुआ है, किया गया है, उससे एक बात बहुत ही सीधे, साफ और स्पष्ट तौर पर कही जा सकती है तो वो है- ‘किसानों का मजबूत आधार, भूपेश सरकार’. यह बात इसलिए कही जा सकती है क्योंकि इसके पर्याप्त आधार ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ में है. कैसे है ? क्यों है ? इसे जानने के लिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद बीते ढाई सालों में खेती-किसानी के लिए, किसानों के लिए क्या-क्या हुआ है.
भारत को जैसे हम कृषि प्रधान देश कहते हैं, वैसे ही छत्तीसगढ़ भी एक कृषि प्रधान राज्य है. आदिवासी बाहुल्य इस राज्य में 75 फीसदी से अधिक लोग खेती पर ही निर्भर हैं. लिहाजा 2018 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद ही कांग्रेस की सरकार ने कृषि कार्य को मजबूती देने की दिशा में काम की. मुख्यमंत्री का पद ग्रहण करते ही सबसे पहला और बड़ा काम किसानों के लिए भूपेश बघेल ने किया. भूपेश बघेल ने किसानों का कर्जा माफ करने के साथ छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में जो पहल की उसी का परिणाम है कि आर्थिक मंदी, कोरोना संकट के बाद भी आज छत्तीसगढ़ के किसान देश में सबसे समृद्ध, खुशहाल किसान हैं.
छत्तीसगढ़ देश में इकलौता राज्य है जहाँ किसानों को धान पर प्रति क्विंटल 25 सौ रुपया मिल रहा है. केंद्रीय समर्थन मूल्य के अतिरिक्त किसानों को 25 सौ तक धान की कीमत देने राज्य सरकार ने एक योजना बनाई. इस योजना को भूपेश सरकार ने नाम दिया- ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’. आज इस योजना की चर्चा पूरे देश में है.
आइये बताते हैं कि भूपेश सरकार किस तरह से किसानों की तरक्की के लिए काम कर रही है-
कृषि में पर्याप्त निवेश एवं काश्त लागत में राहत देने कृषि आदान सहायता हेतु छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की पुण्यतिथि 21 मई 2020 से राजीव गांधी किसान न्याय योजना लागू की गई है. योजना भूतलक्षी प्रभाव से खरीफ सीजन 2019 से लागू है. इस योजना के तहत खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 के 18.38 लाख किसानों को 4 किस्तों में 5628 करोड़ रूपए की आदान सहायता प्रदान की गई.
राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 के 22 लाख किसानों को 5595 करोड़ रूपए की आदान सहायता 4 किश्तों में दी जा रही है, जिसमें से प्रथम किश्त की राशि रू. 1500 करोड़ 21 मई 2021 को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर किसानों के बैंक खातों में अंतरित की जा चुकी है.
राजीव गांधी किसान न्याय योजना-2021
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इस योजना को और अधिक विस्तारित करने का निर्णय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 19 मई 2021 बैठक में लिया गया और इस योजना के तहत खरीफ की प्रमुख फसलों के साथ वृक्षारोपण के लिए भी आदान सहायता देने का प्रावधान किया गया है.
आदान सहायता राशि-
योजनांतर्गत खरीफ 2021 से धान के साथ खरीफ की प्रमुख फसल मक्का, कोदा – कुटकी, सोयाबीन, अरहर तथा गन्ना उत्पादक कृषकों को प्रति वर्ष राशि रुपए 9000 प्रति एकड़ आदान सहायता राशि दी जाएगी.
वर्ष 2020-21 में जिस रकबे से किसान द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान विक्रय किया था, यदि वह धान के बदले कोदो-कुटकी, गन्ना, अरहर, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन,सुगंधित धान, अन्य फोर्टिफाइड धान, केला, पपीता लगता है अथवा वृक्षारोपण करता है, तो उसे प्रति एकड़ रूपए 10 दस हजार आदान सहायता राशि दी जाएगी. वृक्षारोपण करने वाले कृषकों को तीन वर्षों तक आदान सहायता राशि दी जाएगी.
किसान हितैषी निर्णय
कृषक जीवन ज्योति योजना अंतर्गत कृषि पम्पों को निःशुल्क विद्युत प्रदाय हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 2 हजार 500 करोड़ का प्रावधान रखा गया है. योजना में लगभग साढ़े 5 लाख किसानों को लाभान्वित किया जायेगा.
कृषि पम्पों के ऊर्जीकरण के लिये 150 करोड़ का बजट प्रावधान रखा गया है. सौर सुजला योजना अंतर्गत हमारी सरकार के गठन के पश्चात अब तक 31 हजार 712 सोलर पंपों की स्थापना की जा चुकी है। वर्ष 2021-22 में इस योजना के लिये 530 करोड़ का प्रावधान रखा गया है.
किसानों को शून्य ब्याज दर पर 5 हजार 900 करोड़ का अल्पकालीन कृषि ऋण वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है. ब्याज अनुदान के भुगतान हेतु वर्ष 2021-22 में 275 करोड़ का प्रावधान रखा गया है.
फसल बीमा योजना में 606 करोड़, कृषक समग्र विकास योजना में 81 करोड़, कृषि यंत्र सेवा केन्द्र की स्थापना एवं कृषि यंत्रों पर अनुदान एवं निःशुल्क वितरण हेतु 95 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं शाकम्बरी योजना में 123 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
राज्य में उद्यानिकी फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए 2021-22 में 495 करोड़ के बजट का प्रावधान रखा गया है.
राज्य में मछुआरों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के उद्देश्य से नवीन मछलीपालन नीति तैयार किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. नवीन मछलीपालन नीति में मत्स्याखेट करने वाले मछुआरों को शासकीय तालाबों एवं जलाशयों के आबंटन से शासन को प्राप्त होने वाली आय का 40 प्रतिशत हिस्सा उत्पादन बोनस के रूप में दिए जाने की अनुशंसा समिति ने की है.
राज्य में केज कल्चर से मछलीपालन को बढ़ावा देने के साथ ही निजी क्षेत्र में मत्स्य बीज एवं हेचरी को बढ़ावा दिए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है.
मत्स्य पालन हेतु उपलब्ध जल क्षेत्रों में से 95 प्रतिशत क्षेत्र को विकसित करके 2 लाख से अधिक मछुआरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है.
स्वयं की भूमि पर तालाब निर्माण कर मत्स्य पालन की योजना राज्य में काफी लोकप्रिय है. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, नील क्रांति योजना एवं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत निजी तालाबों का निर्माण करवाया जा रहा है.
वर्ष 2021-22 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में 79 करोड़ का प्रावधान रखा गया है. मत्स्य पालन को बढ़ावा देने हेतु इसे कृषि के समान दर्जा दिये जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. वर्ष 2021-22 के बजट में मत्स्य पालन की गतिविधियों के लिये 171 करोड़ 20 लाख का प्रावधान किया गया है.
परम्परागत ग्रामीण व्यवसायिक कौशलों के पुनरूद्धार एवं कर्मकारों को सहयोग प्रदान करने के लिए तेलघानी विकास बोर्ड, चर्म शिल्पकार विकास बोर्ड, लौह शिल्पकार विकास बोर्ड एवं रजककार विकास बोर्ड की स्थापना की कार्रवाई प्रक्रिया में है.
वर्तमान में कोसा उत्पादन एवं वस्त्र निर्माण के कार्यों में 50 हजार से अधिक हितग्राहियों को रोजगार से जोड़ा गया है.
हाथकरघा वस्त्र बुनाई के माध्यम से 60 हजार परिवारों को रोजगार मिल रहा है.
लाख पालन के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए ब्याज रहित ऋण की सुविधा प्राप्त करने के लिये लाख पालन को भी कृषि के समकक्ष दर्जा प्रदान किया गया है.
सिंचाई
सिंचाई कर माफी-किसानों पर वर्षों से बकाया 244.18 करोड़ रुपये के सिचाई कर माफ किया गया. छत्तीसगढ़ सरकार ने अभी हाल ही में वर्ष 2018 से अब तक बकाया सिंचाई कर को भी माफ करने का निर्णय लिया है.
सिंचाई क्षमता दोगुना करने की पहल-राज्य में जल संसाधन विकास का काम भी व्यवहारिक सोच के साथ किया जा रहा है, जिसके कारण वास्तविक सिंचाई का सर्वाधिक लाभ किसानों को मिलने लगा है. 5 वर्षों में सिंचाई क्षमता दोगुनी करने के लिए एक और जहां पुरानी योजनाओं को शीघ्रता से पूरा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर 15 नई वृहद सिंचाई परियोजनाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है प्रदेश में जल संसाधन विकास को उच्च प्राथमिकता देने और समग्र पदों पर सार्थक पहल के लिए नई जल संसाधन नीति तैयार की जा रही है.
सिंचाई की 4 वृहद परियोजनाओं अरपा-भैंसाझार, केलो जलाशय, राजीव समोदा निसदा व्यपवर्तन एवं सोंढूर जलाशय हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 203 करोड़ का प्रावधान रखा गया है.
एनीकट एवं व्यपवर्तन योजनाओं के निर्माण से उपलब्ध जल के उपयोग हेतु सूक्ष्म सिंचाई एवं सौर सूक्ष्म सिंचाई की 33 योजनाएं स्वीकृत हैं. वर्ष 2021-22 के बजट में 4 सूक्ष्म सिंचाई योजना, 5 सौर सूक्ष्म सिंचाई योजना एवं 8 उद्वहन सिंचाई योजनाओं हेतु नवीन मद में प्रावधान किया गया है.
वृहद, मध्यम एवं लघु बांधों के पुनर्वास एवं सुधार कार्य हेतु वर्ष 2021-22 के बजट में 70 करोड़ का प्रावधान रखा गया है.
अहिरन-खारंग लिंक, छपराटोला फीडर जलाशय, रेहर-ऐटम (झिंक) लिंक परियोजना का क्रियान्वयन छत्तीसगढ़ अधोसंरचना विकास निगम द्वारा किया जायेगा. इसके लिये निगम को 5 करोड़ की सहायता दी जायेगी.
किसानों के लिए मॉडल राज्य छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की पहचान बीते ढाई सालों में किसानों के साथ न्याय करने वाले राज्य के रूप में कायम हुई है. राज्य के किसानों के हितों की रक्षा और उन्हें सीधे-सीधे लाभ पहुंचाने के लिए मौजूदा सरकार ने,जो फैसले लिए हैं, नीतियां और योजनाएं बनाई हैं, उसके चलते किसानों और ग्रामीणों के जीवन में खुशहाली का नया दौर शुरू हो गया है. यही वजह है कि राज्य में कृषि रकबे और किसानों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ ही खेती-किसानी के प्रति रुझान बढ़ा है.
किसानों को लगभग एक लाख करोड़ की सीधी मदद-बीते ढाई सालों में छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों की कर्जमाफी, सिंचाई कर माफी, समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, खरीफ एवं रबी फसलों की बीमा दावा राशि, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना, तेंदूपत्ता संग्रहण, लघु वनोपजों की खरीदी जैसी हितैषी नीतियों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से लगभग एक लाख करोड़ रूपए की राशि का भुगतान सीधे किसानों, पशुपालकों और संग्राहकों के खातों में किया है.
कृषि भूमिअधिग्रहण मुआवजा
अब चार गुना-राज्य शासन द्वारा विकास योजनाओं के लिए किसानों की भूमि के अधिग्रहण पर मुआवजा राशि, दोगुना से बढ़ाकर चार गुना कर दिया गया है.
छत्तीसगढ़ कृषि मंडी संशोधन अधिनियम
सगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों से राज्य के किसानों और आम नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए छत्तीसगढ़ कृषि मंडी संशोधन अधिनियम पारित किया है. इसके जरिए कृषि उपज के क्रय-विक्रय पर निगरानी, डीम्ड मंडी एवं इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की स्थापना की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है.
समृद्ध होती खेती-किसानी
राज्य में खेती-किसानी समृद्धि का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि बीते दो सालों में न सिर्फ खेती के रकबे में वृद्धि हुई है, बल्कि किसानों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है. वर्ष 2017-18 में धान बेचने वाले किसानों की संख्या लगभग 15 लाख और धान खरीदी अधिकतम 55-56 लाख मैट्रिक टन थी. आज राज्य में धान बेचने वाले किसानों के पंजीयन का आंकड़ा बढ़कर 21 लाख 52 हजार 475तथा धान का पंजीकृत रकबा 27 लाख 61 हजार हेक्टेयर से अधिक हो गया है.
95.38 प्रतिशत किसानों ने बेचा धान
विपणन वर्ष 2020-21 में कुल पंजीकृत किसानों में से रिकार्ड 95.38 प्रतिशत किसानों ने धान बेचा.धान बेचने वाले किसानों की संख्या इस साल सबसे अधिक है. इस वर्ष पंजीकृत 21 लाख 52 हजार 475 किसानों में से 20 लाख 53 हजार 483 किसानों ने अपना धान बेचा है.
धान खरीदी का कीर्तिमान
छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों की संख्या, कुल पंजीकृत रकबा, बेचे गए धान के रकबे, धान बेचने वाले किसानों के प्रतिशत के साथ-साथ कुल उपार्जित धान की मात्रा में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. वर्ष 2020-21 में राज्य गठन के 20 वर्षों में इस वर्ष छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक 92 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी का नया कीर्तिमान बना है.
कृषि ऋण माफी
राज्य के किसानों के ऊपर बकाया लगभग 9 हजार 270 करोड़ रूपए का कृषि ऋण माफ करने का क्रांतिकारी फैसला लिया गया. जिसका लाभ राज्य के 18 लाख 82 हजार किसानों को मिला.
सिंचाई कर माफी
किसानों पर वर्षों से बकाया 244.18 करोड़ रुपये के सिचाई कर माफ किया गया. छत्तीसगढ़ सरकार ने अभी हाल ही में वर्ष 2018 से अब तक बकाया सिंचाई कर को भी माफ करने का निर्णय लिया है.
किसानों को निःशुल्क एवं रियायती विद्युत सुविधा
राज्य के 5 लाख से अधिक किसानों को निःशुल्क एवं रियायती दर पर बिजली उपलब्ध कराकर सालाना लगभग 900 करोड़ रूपए की राहत दी गई.
सिंचाई पंपों का ऊर्जीकरण
राज्य में बीते ढाई वर्षों में 63 हजार से अधिक सिंचाई पंपों का ऊर्जीकरण किया गया है.
कृषि ऋण वितरण
वर्ष 2020-21 में किसानों को 4700 करोड़ रूपए के ऋण वितरण के लक्ष्य के विरूद्व 4703 करोड़ रूपए का ब्याज मुक्त ऋण किसानों को दिया गया. इस वर्ष 2021-22 में 5300 करोड़ रूपए के ऋण वितरण का लक्ष्य रखा गया है.
फसल क्षतिपूर्ति
बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि जैसी आपदाओं से हुई क्षति की भरपाई के लिए लगभग 6 लाख किसानों को 411 करोड़ रुपए की सहायता दी गई है.
लाख की खेती को कृषि का दर्जा
छत्तीसगढ़ में लाख की खेती को कृषि का दर्जा दिया गया है। लाख उत्पादक कृषकों एवं समूहों को कृषि फसलों के अनुरूप अल्पकालीन कृषि ऋण एवं ऋण पर नियमानुसार ब्याज अनुदान दिया जाएगा।इससे प्रदेश के 50 हजार से अधिक वनवासी कृषक लाभान्वित होंगे.
कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा
वर्ष 2020-21 में राज्य में कृषकों को 525 स्वचालित यंत्र जैसे- पावर टिलर, रीपर, पैडी ट्रांसप्लांटर, 1092 शक्ति चालित यंत्र जैसे- सीड ड्रील, रोटावेटर, प्लाऊ, थ्रेसर, कल्टीवेटर आदि तथा 4154 हस्त एवं बैल चलित यंत्र एवं 155 नग ट्रैक्टर वितरण का लक्ष्य पूर्णता की ओर है.
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