आज के आलेख का शीर्षक पढ़कर आप चौंकिए नहीं,मै न तो भाजपा में शामिल होने जा रहा हूँ और न मैंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भक्तमंडल में शामिल होने का फैसला किया है.मै तो भाजपा और प्रधानमंत्री जी की तारीफ सिर्फ इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि उन्होंने दिखा दिया है की ‘ आपदा को अवसर ‘ में कैसे बदला जा सकता है .भाजपा और मोदी जो कारगुजारी आज कर गुजरे हैं उसके बारे में दूसरा कोई राजनीतिक दल कल्पना तक नहीं कर सकता .मोदी और भाजपा ने कोरोना का भी व्यवस्थित तरीके से लाभ लेने के लिए जो महायोजना बनाई थी उससे देश को लाभ तो होगा ही भाजपा और मोदी को 2022 और 2024 के चुनावों का सामना करने में सहूलियत होगी.
कोरोना की दूसरी लहर के समय पूरी तरह नाकाम रही केंद्र सरकार ने हजारो,लाखों लोगों की जान जाने के बाद २१ जून से देष में जिद माहाटिकाकरण अभियान का श्रीगणेश किया है उसका स्वरूप एकदम राजनीतिक है .किसी देश में ऐसा न हुआ है और न हो सकता है ,क्योंकि दूसरे देश मोदी जी और भाजपा जैसा दिमाग कहाँ से लाएंगे. टीकाकरण अभियान के पहले ही दिन देश में 80,96,417 लाख से ज्यादा वैक्सीन डोज लगाई गई हैं. यह एक दिन में कोविड वैक्सीनेशन का सबसे बड़ा कीर्तिमान है. भाजपा ने टीकाकरण महा अभियान के लिए आज का दिन यूं ही तय नहीं कर लिया था बल्कि इसके पीछे भी भाजपा का एजेंडा था .भाजपा इस अभियान के साथ ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवसको भी सुर्ख़ियों में बनाये रखना चाहती थी .
आपको याद होगा कि केंद्र सरकार वैक्सीनेशन उत्पादन में से 75 फीसदी हिस्सा खुद खरीद रही है जबकि 25 फीसदी टीका प्राइवेट अस्पताल खरीद सकेंगे. बता दें, इससे पहले 2 अप्रैल को 42 लाख 61 हजार से ज्यादा वैक्सीन डोज लगाई गई थीं.अपनी गुप्त योजना के तहत शुरू किये गए महाटीककरण अभियान के पहले दिन मिले प्रतिसाद से प्रधानमंत्री जी गदगद है,पुलकित हैं .उन्होंने इस रिकॉर्ड पर खुशी जाहिर की है और इसे ‘हर्षित करनेवाला’ कार्य करार दिया और कहा कि महामारी से लड़ाई में टीका सबसे मजबूत हथियार है.
अपनी स्मरण शक्ति पर जोर डालिये तो आपको समझ आ जाएगा कि भाजपा ने कोरोना के टीके के राजनीतिक इस्तेमाल का इरादा बिहार विधानसभा चुनाव के समय ही जाहिर कर दिया था .उस समय प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि जैसे ही टीका बनेगा सबसे पहले बिहार के लोगों को मुफ्त में दिया जाएगा .’ अब गौर कीजिये कि केंद्र सरकार ये काम पहले भी कर सकती थी ,लेकिन जानबूझकर इसे लटकाया गया. अब इस महाअभियान में भाजपा के एक लाख प्रशिक्षित कार्यकर्ता स्वयंसेवक बनकर स्वास्थ्य विभाग के साथ खड़े हुए हैं .टीकाकरण के लिए जो केंद्र बनाये गए हैं वे सभी बूथ स्तर पर ठीक वैसे ही बनाये गए हैं जैसे आम चुनाव के समय पोलिंग बोथ बनाये जाते हैं. इन केंद्रों पर स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य सेवक बनाकर तैनात किया गया है. स्थानीय पार्षद से लेकर केंद्रीय मंत्री तक इन सेंटरों पार टीका लगवाने वालों के बीच पहुंचकर उनके साथ फोटो खिंचवा रहे हैं,उन्हें पुरस्कार दे रहे हैं,उपहार बाँट रहे हैं .अघोषित रूप से ये भाजपा का जनसम्पर्क अभियान है और मोदी सरकार की बिगड़ी छवि को सुधरने की एक मुहिम भी .
कोरोनाकाल में 25 हजार से ज्यादा लोगों की बलि दे चुके मध्य प्रदेश ने भी आज रिकॉर्ड बनाया है. अकेले एमपी में ही 13 लाख 72 हजार से ज्यादा लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई गई है. एमपी सरकार ने दस लाख लोगों के वैक्सीनेशन का टारगेट रखा था, लेकिन 3 लाख 72 हजार ज्यादा लोगों को टीका लग चुका है.मध्यप्रदेश ने ही ‘किल-कोरोना अभियान’ चलकर भाजपा को इस महा अभियान का सूत्र थमाया है .
मुझे इस टीकाकरण अभियान के पहले दिन मिले प्रतिसाद पर खुशी है लेकिन इससे पहले इस अभियान को अमल में लाने के कारण हुई देरी की वजह से मरे गए लोगों के परिजनों के प्रति सहानुभूति भी है .देश के दूसरे दलों को इस अभियान की भनक लाग भी जाती तो वे शायद कुछ कर ही न पाते क्योंकि आखिरकार टीके तो केंद्र सरकार के हाथ में हैं .सारकार ने इस महाअभियान के लिए ‘प्रेरक’ नाम के एक नए तत्व की खोज की और उन तमाम लोगों को प्रेरक बनाकर नेताओं तथा नौकरशाहों के साथ फोटो खिंचवाने का अवसर भी दिया जो किसी न किसी वजह से सरकार से नाराज थे .
कोरोना का दूसरा उफान जब दुनिया में आया था उस समय मै संयोग से भारत से बाहर निकलकर अमेरिका आ गया था .यहां भी कोरोना की जाँच और टीकरण की व्यापक व्यवस्थाएं की गयीं थीं लेकिन कहीं किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता या नेता या ‘प्रेरक’ की तैनाती नहीं देखि थी. आज भी अमेरिका में सब कुछ अपनी गति से चल रहा है ,क्योंकि यहाँ की राजनीति में ‘आपदा को अवसर ‘ में बदलने की प्रवृत्ति अभी पनपी नहीं है .मैंने यहां टीके लगवाए थे,मुझे जो प्रमाणपत्र मिला उस पर भी यहां के किसी नेता की तस्वीर नहीं थी.मै सोच रहा था कि कम से कम जो बाइडन की तस्वीर तो इन प्रमाणपत्रों पार होगी .
मुझे पूरी उम्मीद है कि इस सुनियोजित और राजनीतिक दृष्टिकोण वाले महातीकाकर्ण अभियान से देश की आम जनता को बड़ा लाभ होगा ,क्योंकि इसे जनता के लाभ के लिए ही चलाया गया है भले ही इसका मकसद राजनीतिक लाभ लेना है .दुनिया वाले आपदा में अवसर को बुरा मानते हैं तो माना करें,हमारे यहां तो ये सहज स्वीकार्य है. सरकार के साथ-साथ उद्योगपति,नौकरशाही ,नेता ,कालाबाजारिये अपने-अपने ट्रिक्स आपदा को अवसर में बदलने में लगे हैं .इस मामले में कांग्रेस समेत दूसरे दलों की निष्क्रियता मुझे हैरान नहीं करती.क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में ये दल न अपनी विचारधारा को संरक्षण दे पा रहे हैं और न अपने समर्थकों को .इन नेताओं ने जैसे राजनीति करना छोड़ ही दी है .
आप माने या न मानें किन्तु मौजूदा सरकार का मुखर आलोचक ९विरोधी नहीं ] होने के बावजूद मेरा मानना है कि भाजपा जिस तरह की राजनीति देश में कर रही है उसके चलते 2022 के विधानसभा चुनाव ही नहीं बल्कि 2024 के आम चुनावों में भी ‘ऊँट की करवट बदलने वाली नहीं है .बदल भी कैसे सकती है जबकि जनता और जनता के आदेश पर चलने वाले राजनीतिक दल प्रतिरोध की क्षमता ही खो बैठे हों .अब देश की राजनीति में जो भी परिवर्तन होगा वो अदृश्य होगा.राजनीति की भाषा में जिसे ‘अंडर करेंट ‘ कहा जाता है .ये ऐसा करेंट है जिसका अनुमान अच्छे से अच्छे सूरमा भी नहीं लगा पाते .जैसे कि हाल में बंगाल में और उससे पहले दिल्ली और उससे पहले मप्र,राजस्थान और छग में नहीं लग पाया था .
बहरहाल जो है सो है,आप भी टीका जरूर लगवा लें भले ही इसके लिए आपको प्रेरित करने वाला कोई भाजपा का ही कार्यकर्ता क्यों न हो ?इस समय टीका जरूरी है ,राजनीति को झेलना मजबूरी . @ राकेश अचल
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