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वर्मी कम्पोस्ट बैग बना आय का जरिया, गौठानों में किए विक्रय

० सिंगल यूज प्लास्टिक की जगह उपभोक्ताओं को मिला वर्मी कम्पोस्ट बैग का विकल्प

रायपुर। प्लास्टिक पर्यावरण के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है। प्लास्टिक की वजह से प्रदूषण न हो तथा इंसानों और मवेशियों को भी इससे नुकसान न हो इसके लिए सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस प्रतिबंध के चलते गौठानों के जरिए ग्रामीण महिलाओं को रोजगार का नया साधन उपलब्ध हुआ है। गौठानों में महिला स्व सहायता समूह अब वर्मी कंपोस्ट से बैग तैयार कर रही हैं जो सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प के रूप में पर्यावरण को संरक्षण दे रहा है तथा इससे आय भी अर्जित हो रही है।

राज्य में महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगित पार्क (रीपा) के अंतर्गत मानक रूप वर्मी कम्पोस्ट बैग बनाने का उद्यम स्थापित किए जा रहे हैं। इसके लिए मशीन की स्थापना की जा रही है जिससे समूह की महिलाओं को अपनी आय बढ़ाने में मदद मिल रही है। इस रोजगार से जुड़ी समूह की महिलाएं अब अमानक प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए वैकल्पिक उत्पाद जैसे वर्मी कम्पोस्ट बैग, थैले, कागज के लिफाफे और दूसरे सामान बनाने की ओर अग्रसर हैं। इसी तर्ज पर महिला समूह अमानक प्लास्टिक पर असरदार तरीके से बैन लगाने के लिए सस्ते दरों पर वैकल्पिक सामग्रियां उपलब्ध करा रही हैं। इसी क्रम में महासमुंद जिले के बिरकोनी गौठान की ग्रामीण महिलाएं सिरपुर वर्मी कम्पोस्ट नाम से बैग निर्मित कर रही हैं।

राज्य सरकार द्वारा नो प्लास्टिक मुहीम के तहत रीपा के माध्यम से महिला समूहों को रोजगार से जोड़ने की कार्ययोजना बनायी गयी है। बिरकोनी की राम जानकी स्व सहायता महिला समूह द्वारा बनाए गए वर्मी कम्पोस्ट बैग एवं अन्य पैकिंग सामग्री, जरूरत अनुसार गौठनों में और सी-मार्ट में उपलब्ध हो रहे हैं। राम जानकी स्व-सहायता समूह बिरकोनी की श्रीमती रेखा नागपुरे ने बताया कि अब तक उन्हांने 5 हजार वर्मी कम्पोस्ट बैग जिले की गौठानों में मांग अनुसार उपलब्ध कराया है तथा उन्हें और भी ऑर्डर लगातार मिल रहे हैं। समूह की अध्यक्ष के अनुसार यह बैग मानक के अनुरूप और काफी हल्के और मजबूत होने के कारण लाने ले जाने में आसान है जिसकी वजह से इनकी मांग ज्यादा है।

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