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गुरु पूर्णिमा आज : जानें गुरु पूर्णिमा का महत्व, पूजा विधि और शुभ योग के बारे में

गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई दिन सोमवार को मनाई जा रही है। हर वर्ष गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, इस पूर्णिमा का आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य गुरु का पूजन कर आशीर्वाद लेते हैं और गुरु के प्रति आभार व्यक्त करते हैं क्योंकि गुरु अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। सनातन धर्म में गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि गुरु ही भगवान के बारे में बताते हैं और इनके बिना ब्रह्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है। आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा का महत्व, पूजा विधि और शुभ योग के बारे में…

गुरु पूर्णिमा 2023 महत्व

कबीरदासजी ने लिखा है- गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये। कबीरदासजी का यह दोहा गुरु के प्रति सम्मान को व्यक्त करते हुए है। गुरु पूर्णिमा गुरु व शिष्य की परंपरा के लिए विशेष होता है। गुरु अपने ज्ञान से शिष्य को सही मार्ग पर ले जाते हैं और भगवान का साक्षात्कार करवाते हैं। इसलिए गुरुओं के सम्मान में हर वर्ष यह पर्व मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के अलावा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। इस दिन गाय की पूजा व सेवा और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है। वहीं गुरु की पूजा करने से कुंडली में गुरु दोष समाप्त होता है। इस दिन अनेक मंदिरों और मठों में गुरु पूजा की जाती है।

वेदव्यासजी बने प्रथम गुरु
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन वेद व्यासजी का जन्म हुआ था इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। वेद व्यास महर्षि पराशर और सत्यवती के पुत्र हैं। महर्षि वेद व्यासजी ने मानव जाति को पहली बार चार वेदों का ज्ञान दिया था इसलिए उनको मानव जाति का प्रथम गुरु भी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, व्यासजी को तीनों काल का ज्ञाता भी माना जाता है और उन्होंने महाभारत ग्रंथ, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद, अट्ठारह पुराण, श्रीमद्भागवत और मानव जाती को अनगिनत रचनाओं का भंडार दिया है। वेद व्यास का पूरा नाम कृष्णद्वैपायन है लेकिन वेदों की रचना करने के बाद वेदों में उन्हें वेद व्यास के नाम से ही जाना जाने लगा। गुरु पूर्णिमा की शुरुआत वेद व्यासजी के पांच शिष्यों ने शुरुआत की थी।

गुरु पूर्णिमा 2023 तिथि

आषाढ़ मास की पूर्णिमा प्रारंभ – 2 जुलाई, रात 8 बजकर 21 मिनट पर
आषाढ़ मास की पूर्णिमा समापन – 3 जुलाई, शाम 5 बजकर 8 मिनट पर
उदया तिथि को मानते हुए गुरु पूर्णिमा का पर्व 3 जुलाई दिन सोमवार को मनाया जाएगा।

गुरु पूर्णिमा 2023 शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा, स्नान, दान का शुभ मुहूर्त 3 जुलाई सुबह 5 बजकर 27 मिनट से 7 बजकर 12 मिनट तक है। इसके बाद सुबह 8 बजकर 56 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। फिर दोपहर में 2 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।

गुरु पूर्णिमा 2023 शुभ योग
गुरु पूर्णिमा वाले दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और सूर्य व बुध की युति से बुधादित्य राजयोग भी बन रहा है।

गुरु पूर्णिमा पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान है। सुबह स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें और घर के पूजाघर में पूजा अर्चना कर गुरुओं की प्रतिमा पर माला अर्पित करें। इसके बाद गुरु के घर जाएं और उनकी पूजा कर उपहार देते हुए आशीर्वाद लें। जिन लोगों के गुरु इस दुनिया में नहीं रहे, वे गुरु की चरण पादुका का पूजन करें। गुरु पूर्णिमा का दिन गुरुओं के प्रति समर्पित होता है। शिष्य अपने गुरु देव की पूजा करते हैं। जिन लोगों के गुरु नहीं होते, वे अपने नए गुरु बनाते हैं।

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