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दुशांबे में मिलेंगे भारत-चीन के विदेश मंत्री, सीमा तनाव घटाने की कवायदों में रफ्तार की उम्मीद

ताजिकिस्तान के दुशांबे में आज शाम भारत के विदेशमंत्री डॉ एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच अहम मुलाकात अपेक्षित है. एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में शरीक होने पहुंचे दोनों नेताओं की यह मुलाकात ऐसे समय होने जा रही है जब बीते 14 महीनों से जारी सीमा तनाव को सुलझाने की माथा पच्ची जारी है.

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक यह मुलाकात SCO विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद शाम के वक्त होनी है. इससे पहले दोनों नेता एससीओ बैठक के दौरान साथ होंगे. वहीं एक साथ अफगानिस्तान पर बने एससीओ सम्पर्क समूह की मीटिंग में भी भाग लेंगे.उम्मीद की जा रही है कि दुशांबे में होने वाली भारत-चीन विदेश मंत्रियों की इस बैठक से निकलने वाला सन्देश दोनों मुल्कों के बीच प्रस्तावित 13वें दौर की सैन्य कमांडर स्तर बातचीत की दिशा और नतीजे भी प्रभावित करेगा.

महत्वपूर्ण है कि लद्दाख के इलाके में पीते साल मई से जारी सीमा तनाव के बीच यह दूसरा मौका होगा जब भारत और चीन के विदेश मंत्री आमने-सामने मुलाकात के लिए रूबरू होंगे. इससे पहले जयशंकर और वांग यी की मुलाकात मॉस्को में SCO बैठक के हाशिए पर हुई थी.

हालांकि इस दौरान दोनों विदेश मंत्रियों के बीच फोन सम्पर्क होते रहे हैं. गत 30 अप्रैल और उसके पहले जयशंकर और वांग यी के बीच हुए टेलीफोन सम्पर्क में भारत ने साफ कर दिया था कि सम्बन्धों की बेहतरी के लिए ज़रूरी है कि चीन सीमा पर सैन्य जमावड़ा घटाए और तनाव कम करे.

गलवान घाटी हादसे के एक साल बाद हो रही इस मुलाकात में भी भारत की ओर से इस बात पर ज़ोर दिया जाएगा कि चीन बातचीत की मेज पर सीमा तनाव घटाने के अपने वादों को पूरा करे. साथ ही गोगरा, हॉटस्प्रिंग जैसे इलाकों में मौजूद अपने सैन्य दस्तों को पीछे हटाए. साथ ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थायी ढांचों का निर्माण रोके जो तनाव बढ़ा रहे हैं.

गौरतलब है कि गत फरवरी में सैन्य कमांडर स्तर बातचीत में बनी रजामंदी के बाद चीन ने पेंगोंग झील के उत्तरी व दक्षिणी इलाकों और गलवान घाटी इलाके से तो अपने सैनिकों को पीछे ले लिया. लेकिन, पेट्रोलिंग पॉइंट 17A समेत कुछ इलाकों में चीनी सैनिकों की मौजूदगी अब भी बरकरार है. ज़ाहिर है कि चीनी सैनिकों क़ई उपस्थिति के चलते भारतीय सैनिक टुकड़ियां भी तैनात हैं. जबकि तय सीमा सम्बन्धी समझौतों के मुताबिक इन इलाकों में दोनों ही देशों के सैनिकों की स्थाई तैनाती नहीं होनी चाहिए.

बहरहाल इस बीच भारतीय सेना मुख्यालय ने इन खबरों का खंडन किया है कि चीन के साथ लद्दाख इलाके में सैन्य तनाव घटाने को लेकर बनी सहमति टूट गई है. सेना मुख्यालय ने एक बयँ में साफ किया है कि फरवरी 2021 में बनी सहमति के बाद दोने ही पक्षों की तरफ से पूर्वी लद्दाख के उन इलाकों में सैनिक तैनाती की कोशिश नहीं की गई जहाँ डिसेंजएग्मेंट( सैनिक तैनाती हटाने की कवायद) प्रक्रिया पूरी कर ली गई है.

ध्यान रहे कि पूर्वी लद्दाख इलाके में चीन के सैनिक जमावड़े और सैनिक दादागिरी को कारण मई 2021 से दोनों देशों के.बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हालात तनावपूर्ण हैं. सैन्य तनाव का पारा जून के मध्य में चरम पर पहुंच गया था जब गलवान घाटी में हुए टकराव के कारण भारत के 20 सैनिकों की शहादत हुई थी. वहीं चीन के इससे अधिक सैनिकों की भी जान गई थी. इसके बाद से सैन्य और कूटनीतिक से पर बातचीत का सिलसिलतो चलता रहा लेकिन चीन ने अप्रैल 2020 की स्थिति तक अपने सैनिकों को पीछे नहीं हटाया है.

 

 

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