नई दिल्ली। आईआईटी-दिल्ली के स्टार्टअप स्वात्रिक (SWATRIC) ने देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का उत्कृष्ट और उन्नत कपड़ा विकसित करने के लिए फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के साथ करार किया है। इस स्टार्टअप के माध्यम से तिरंगा के बेहतरीन कपड़े के लिए अनुसंधान करने के वास्ते हाल ही में एफआईटीटी, आईआईटी-दिल्ली और फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के बीच एक समझौतै पर हस्ताक्षर किये गए थे।
आईआईटी-दिल्ली के कपड़ा और फाइबर इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ताओं द्वारा शुरू किया गया स्टार्टअप स्वात्रिक, भारतीय घरेलू कपड़ा और परिधान उद्योगों में स्मार्ट और फंक्शनल उत्पादों की नई और प्रतिस्पर्धी श्रेणियों के व्यावसायीकरण में मदद करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने का काम कर रहा है।
26 जनवरी 2002 को, भारतीय नागरिकों को पूरे वर्ष अपना राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति प्रदान कर दी गई। इसके बाद 23 जनवरी 2004 को एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि पूर्ण मान-सम्मान के साथ स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।
भारत की विविध जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ध्वज के कपड़े डिजाइन और विकसित करना एक बड़ी चुनौती है। ध्वज के लिए सामग्रियों का चयन और डिजायन विशेष रूप से किये जाने की आवश्यकता है ताकि वजन भी कम रहे और बहुत अधिक गर्मी, बहुत अधिक ठंड अथवा भारी बरसात में भी तिरंगा पूरी मजबूती और आन-बान-शान से फहराता रहे।
स्वात्रिक के मेंटर और आईआईटी-दिल्ली के कपड़ा एवं फाइबर इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. बिपिन कुमार ने कहा, “यह समय की आवश्यकता है कि ध्वज निर्माताओं को ध्वज की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए उचित मानकों और विषय के गंभीर ज्ञान अथवा तकनीकी धागा-तंतु के कौशल से यथोचित सहयोग दिया जाए ताकि झंडे के कपड़ों की गुणवत्ता में वांछित सुधार आए।”
गौरतलब है कि फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया एक गैर-सरकारी संगठन है, जो सोसाइटी रजिस्ट्रेशन ऐक्ट-1980 के तहत पंजीकृत है। संस्था का सपना है कि अधिक से अधिक भारतीयों के हाथ में तिरंगा हो और उनके मन में राष्ट्रीय ध्वज के प्रति गर्व की अनुभूति भी हो।
आईआईटी-दिल्ली से समझौता करने के बाद फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के सीईओ मेजर जनरल (रि.) अशीम कोहली ने अपने संबोधन में कहा,“हम सदैव अच्छी क्वालिटी के ध्वज हासिल करने की चुनौती का सामना करते रहे हैं। यह वाकई हमारे लिए गर्व का पल है कि आईआईटी-दिल्ली के विशेषज्ञ उचित तकनीकी का विकास कर रहे हैं, जो हमारे देश के सम्मान के लिए गौरवशाली होगा।”
इस सहयोग की सराहना करते हुए आईआईटी-दिल्ली के निदेशक प्रो. रामगोपाल राव ने कहा, “सूती वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में भारत के ग्लोबल लीडर बनने की अपार संभावनाएं हैं। आईआईटी-दिल्ली में कपड़ा और फाइबर इंजीनियरिंग विभाग लगातार स्मार्ट और फंक्शनल कपड़ा परियोजनाओं के क्षेत्र में काम कर रहा है, ‘मेक इन इंडिया’ प्रौद्योगिकियों के माध्यम से जियो-टेक्सटाइल, रक्षा, खेल से संबंधित वस्त्र, स्मार्ट वियरेबल्स, चिकित्सा, कंपोजिट्स, परिवहन, सुरक्षा पैकेजिंग समेत संपूर्ण भारतीय टेक्सटाइल उद्योग को सशक्त बनाने के लिए नेशनल टेक्सटाइल्स मिशन को सहयोग दे रहा है।
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