पितृ पक्ष प्रारंभ होने जा रहा है. पंचांग के पंचाग के अनुसार अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष का आरंभ होगा. माता पिता की सेवा को सबसे बड़ा धर्म माना गया है. हिंदू धर्म में पूर्वजों को याद कर उन्हें आभार व्यक्त करने की परंपरा है. पितृ पक्ष में पितरों को याद कर उन्हें सम्मान प्रदान किया जाता है. पितृ पक्ष यानि श्राद्ध का समापन अमावस्या की तिथि में किया जाता है. इस दिन को किया जाने वाला श्राद्ध सर्वपित्रू अमावस्या या महालय अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. पितृ पक्ष में महालय अमावस्या सबसे महत्वपूर्ण माना गया है.
पितृ पक्ष का महत्व
मान्यता है कि जो हमारे पूर्वज अपनी देह का त्याग कर देते हैं. उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण किया जाता है. इस क्रिया को श्राद्ध भी कहा जाता है. श्राद्ध का अर्थ होता है, श्रद्धा पूर्वक. माना जाता है कि पितृ पक्ष यानि श्राद्ध के दिनों में मृत्युलोक के देवता यमरात पूर्वजों की आत्मा को मुक्त देते हैं. ताकि वे अपने परिजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें. ज्योतिष शास्त्र के अनुसा पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है. जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में पितृ दोष होता है उसे जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मान सम्मान प्राप्त नहीं होता है, धन की बचत नहीं होती है. रोग और बाधाएं उसका पीछा नहीं छोड़ती हैं. इसलिए पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है और परेशानियों से मुक्ति मिलती है.
पितृ पक्ष कब से आरंभ होगा
हिंदू पंचाग के अनुसार इस साल पितृ पक्ष 20 सितंबर 2021 से शुरू हो रहे हैं और समापन 6 अक्टूर 2021 को होगा. इस साल 26 सितंबर को पितृ पक्ष तिथि नहीं है.
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