सरकार की ओर से प्याज निर्यात पर पाबंदी के बाद किसान सड़कों पर उतर आए हैं. देश में प्याज के सबसे बड़े उत्पादक राज्यों में से एक महाराष्ट्र की प्याज मंडी लासलगांव में किसानों ने सरकार के फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया.एनसीपी नेता शरद पवार ने प्याज निर्यात पर बैन के बाद
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात कर इस फैसले को वापस लेने की मांग की.
सरकार ने बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए सोमवार को इसके निर्यात पर पूरी तरह रोक लगा दी थी. भारी बारिश और बाढ़ की वजह से प्याज उत्पादक राज्यों में इसकी फसल खराब हो गई है. इससे थोक बाजार में प्याज के दाम में तीन गुना बढ़ोतरी हो गई है. बारिश और बाढ़ की वजह से प्याज की लगभग 40 फीसदी फसल बरबाद हो गई है. मुंबई में प्याज के दाम 35 रुपए किलो तक पहुंच गए हैं.
देश में प्याज की मंडी कही जाने वाली लासल गांव में ही प्याज के दाम प्रति क्विंटल 3200 रुपये के पार पहुंच गए हैं. सबसे अच्छा प्याज 2800 रुपये प्रति क्विंटल और सबसे लो क्वालिटी के प्याज के दाम 1100 रुपये प्रति क्विंटल हैं. निर्यात पर बैन लगाए जाने के विरोध में लासलगाव की प्याज मंडी को व्यापारियों ने बंद कर दिया है.
खुदरा मार्केट में प्याज के दाम 40 रुपये तक पहुंच गए हैं. कुछ जगहों पर यह इससे भी ज्यादा पर बिक रहा है. प्याज की नई फसल जनवरी में आएगी. ऐसे में अभी नई फसल के अभाव में प्याज के दाम का बढ़ना सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया है. इससे असंतोष न पैदा हो इसलिए सरकार ने प्याज के निर्यात पर पाबंदी लगाने का फैसला किया है. ऐसे में तकरीबन तीन महीने का वक्त है नई फसल के आने में.
इस दौरान देश में ज्यादातर प्याज की सप्लाई कर्नाटक के कुछ हिस्सों और बंगलुरू से होती थी लेकिन इस बार उस इलाके में बारिश होने के कारण प्याज की फसल खराब हो गई है. प्याज के मानसून की मार झेलने के बाद इन किसानों को अपनी फसल को बेहतर भाव मिलना अभी शुरू ही हुआ है, तब तक इस प्रकार के बैन से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है.