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विराट कोहली से चार साल में तीन अहम फैसले लेने पर हुई चूक, गंवानी पड़ी टी-20 से कप्तानी

क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में विराट कोहली की कप्तानी का रिकॉर्ड जो है वो काफी अच्छा है. टी-20 में 45 में से 27, वन डे में 95 में से 65 और टेस्ट क्रिकेट में 65 में से 37 मैचों में जीतने के बाद भी फिर क्यों विराट कोहली की कप्तानी खतरे में है. विराट को ना सिर्फ टी20 की कप्तानी छोड़नी पड़ी है बल्कि वनडे की कमान भी उनके हाथों से निकल सकती है.

विराट कोहली 2016 के बाद तीनों फॉर्मेट में टीम इंडिया की कमान संभाले हुए हैं. इन 4 सालों में 3 अहम फैसलें लेने में गलतियों की वजह से ही आखिर विराट कोहली पर दबाव बढ़ा. आखिर वो कौन से तीन फैसले हैं जिनकी वजह से विराट को आखिर एक फॉर्मेट से कप्तानी छोड़नी पड़ी?

फैसला नंबर एक (18 जून 2017)

विराट कोहली ने चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान के खिलाफ टॉस जीतकर भी गेंदबाजी चुनी. ओवल में मैच के दिन काफी गर्मी थी और मौसम भी सूखा था. पिच पर कोई नमी नही थी. फिर भी टॉस जीतकर विराट ने गेंदबाजी करने का फैसला लिया और पाकिस्तान 50 ओवर में 4 विकेटों पर 338 रन बना लिया. पाकिस्तान ने फखर ज़ामन की सेंचुरी के बदौलत मैच 180 रनों से जीत लिया. विराट पिच को रीड करने से पूरी तरह से नाकाम रहे.

फैसला नंबर दो (10 जुलाई, 2019)

मैनचेस्टर में वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच जीतने के लिए भारत को 240 रन बनाने थे. सीमिंग विकेट पर के एल राहुल, रोहित और विराट एक के बाद एक आउट हो गए. टीम का स्कोर सिर्फ पांच रन था. भारतीय टीम के सामने मौका था सबसे अनुभवी क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को बल्लेबाज़ी करने के लिए भेजने का. लेकिन पहले रिषभ पंत और उनके बाद दिनेश कार्तिक को भेजा गया. धोनी जब बल्लेबाज़ी करने के लिए आये तब 22 ओवर हो चुका थे और आधी टीम पवेलियन वापस जा चुकी थी. फिर भी जडेजा के साथ उन्होंने कोशिश की लेकिन टीम इंडिया जीत से 18 रन दूर रह गई.

फैसला नंबर तीन (जून 18-जून 23 , 2021)

आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल मुकाबला. साउथहैम्पटन में मैच से पहले काफी बारिश हुई थी. इसके बावजूद विराट कोहली ने फाइनल मैच में कीवी टीम के खिलाफ 2 स्पिनरों के साथ खेलने का फैसला लिया. जडेजा को पहली पारी में सिर्फ 7 ओवर गेंदबाजी करने का मौका मिला था. पहली पारी में तीन तेज गेंदबाजों ने मिलकर 97 ओवर्स डालें और बार-बार ऐसा लगा कि प्लेइंग 11 में एक और फ़ास्ट बॉलर होता तो मैच का नतीजा कुछ और ही हो सकता था.

इस मुकाबले में न्यूजीलैंड की टीम 4 फ़ास्ट बॉलर और एक पेसर ऑलराउंडर के साथ मैदान पर उतरी थी. टीम साउथी, ट्रेंट बोल्ट, काइल जेमीसॉन, नील वेगनर के साथ-साथ कॉलिन डी ग्रैंडहोम ने भी इस मैच में न्यू ज़ीलैंड की तरफ से गेंदबाजी की और एक भी स्पिनर को कीवी टीम ने प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं दी थी. इस बार भी विराट पिच को रीड करने में चूक गए थे. भारत को 8 विकेटों से हार मिली थी और काइल जेमीसॉन दो इनिंग्स में 7 विकेट लेकर मैन ऑफ द मैच बने.

तो 4 सालों में तीन आईसीसी टूर्नामेंट के तीन अहम मुकाबलों में विराट कोहली के गलत फैसलों की वजह से टीम इंडिया जीत नहीं पाई. 2013 में आखिरी बार कोई आईसीसी टूर्नामेंट में भारत के हिस्से में आया था. विराट कोहली पर यह नाकामी भारी पड़ गई और उन्हें टी20 की कप्तानी गंवानी पड़ी.

 

 

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